प्रदेश में मंथन बैठकों के जरिए तंवर करेंगे  ‘अपनों’ की पहचान

punjabkesari.in Saturday, Jan 13, 2018 - 11:44 AM (IST)

अम्बाला(ब्यूरो):काफी समय से प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष के बदलाव का इंतजार कर रहे पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा समर्थकों को संगठन में बदलाव नहीं होने से निराशा का सामना करना पड़ा है। समर्थक चाह रहे थे कि हुड्डा को ही प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए परंतु पार्टी हाईकमान ने अभी यह जिम्मेदारी तंवर के पास ही रखने का निर्णय लिया है। अब तंवर पूरे प्रदेश में मंथन बैठकों के जरिए ‘अपने और पराए’ की पहचान करेंगे। इसकी शुरूआत गुरुग्राम से 15 जनवरी को होगी। ऐसा मना जा रहा है कि पूरे प्रदेश में होने वाली इन बैठकों से हुड्डा खेमा दूरी बनाए रखेगा। 

प्रदेश कांग्रेस में आपसी फूट कोई नई बात नहीं है। पार्टी संगठन को मजबूत बनाने के लिए एकजुट होकर काम करने की बजाय कांग्रेसी नेता अपना-अपना वर्चस्व बढ़ाने में लगे हुए हैं। हुड्डा जहां खुद को मजबूत करने के लिए रथ यात्रा का सहारा ले रहे हैं वहीं तंवर साइकिल के सहारे लोगों के बीच जा रहे हैं। कभी प्रदेश का सी.एम. बनने के सपने देखने वाले कैप्टन अजय सिंह यादव पदयात्रा के सहारे अपना जनाधार बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। उनका अपने गृह क्षेत्र से बाहर कोई खास जनाधार नहीं है। अपने साथ-साथ वह अपने बेटे चिरंजीव राव को भी अगला चुनाव लड़ाने की तैयारी में लगे हुए हैं। 

उनके गढ़ में सेंध लगाने के लिए हुड्डा ने पूरी ताकत लगाई हुई है। कभी कैप्टन अजय के निजी सचिव रहे महाबीर यादव व पूर्व मंत्री जसवंत सिंह इस काम में हुड्डा का खुलकर साथ दे रहे हैं। रणदीप सुर्जेवाला केंद्र में प्रवक्ता का पद होने के बावजूद प्रदेश की राजनीति में ज्यादा दिलचस्पी ले रहे हैं। हुड्डा की राजनीतिक विरोधी रही किरण चौधरी भी अलग चल रही हैं। उनका भी अपने गृह क्षेत्र से बाहर ज्यादा राजनीतिक वजूद नहीं है। इन नेताओं में हुड्डा को छोड़कर किसी का भी पूरे प्रदेश में राजनीतिक प्रभाव नजर नहीं आता। खुद पार्टी अध्यक्ष अशोक तंवर जनाधार के मामले में धरातल पर दिखाई देते हैं। हालांकि वह पूरे प्रदेश में अपना जनाधार बढ़ाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। 

तंवर 15 जनवरी से 3 दिवसीय मंथन बैठकों की शुरूआत दक्षिणी हरियाणा से कर रहे हैं। इन बैठकों में पार्टी के सभी नेताओं और पदाधिकारियों को आमंत्रित किया गया है। ये बैठकें उस इलाके में होने जा रही हैं जहां कांग्रेस के अधिकांश पूर्व विधायक हुड्डा के खास हैं। राव दान सिंह, अनीता यादव, राव नरेंद्र सिंह, यादुवेंद्र सिंह जैसे पूर्व विधायकों के मंथन बैठक में शामिल होने की संभावनाएं नहीं के बराबर हैं। पूर्व विधायकों के साथ-साथ पार्टी के कई पदाधिकारी भी हुड्डा खेमे से ही जुड़े हुए हैं। जिससे तंवर का ‘मंथन’ पार्टी के चंद नेताओं और पदाधिकारियों तक सीमित रह सकता है।

तंवर को इन बैठकों से यह पता जरूर चल जाएगा कि पार्टी संगठन के कितने लोग उनके साथ खड़े हैं। तंवर के सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी संगठन को एकजुट करने की है। अगर आने वाले विधानसभा चुनावों से पहले वह पार्टी की गुटबाजी को खत्म करने में कामयाब नहीं होते हैं तो इससे पार्टी को नुक्सान होने की पूरी आशंका रहेगी। फिलहाल यह काम उनके लिए इसलिए आसान नजर नहीं आ रहा क्योंकि वे खुद हुड्डा के साथ छत्तीस का आंकड़ा बनाए हुए हैं। अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी आगे बढऩे के बाद वह पूरे प्रदेश में अपनी राजनीतिक जमीन मजबूत करने में जुटे हुए हैं। दूसरी ओर ऐसा माना जा रहा है कि पार्टी हाईकमान हुड्डा से नाराज है। यही कारण है कि उनका प्रदेश अध्यक्ष बनने का सपना अभी अधूरा ही रहा है। देखना यह होगा कि आने वाले समय में प्रदेश कांग्रेस की राजनीति किस ओर करवट लेती है। 

हुड्डा की नजर दक्षिणी हरियाणा पर
प्रदेश की राजनीति में दक्षिणी हरियाणा हमेशा ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पूर्व में सरकार बनाने से लेकर चौ. बंसी लाल की सरकार गिराने तक में इसी इलाके के विधायकों का बड़ा रोल रहा था। इस इलाके से कैप्टन अजय सिंह यादव वरिष्ठ कांग्रेसी नेता हैं। किसी समय हुड्डा के काफी करीब रहे अजय हुड्डा के राजनीतिक दुश्मन नंबर वन बने हुए हैं। जब भी मौका मिलता है वह हुड्डा के खिलाफ जमकर भड़ास निकालते हैं। हुड्डा ने भी कैप्टन के जनाधार में सेंध लगाने के लिए पूरी ताकत लगाई हुई है। गत दिनों वह कैप्टन के गढ़ में बड़ी सभा भी कर चुके हैं। कैप्टन विरोधी कांग्रेसियों को हुड्डा ने अपने पाले में किया हुआ है। इस काम में उनके पुत्र दीपेंद्र सिंह हुड्डा भी उनका खुलकर साथ दे रहे हैं। 


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