अपनी शिकायत की सत्यता साबित करने के लिए सीएम को भेजा 10 लाख का चैक

punjabkesari.in Friday, Mar 16, 2018 - 11:41 AM (IST)

अम्बाला(ब्यूरो): मनोहर राज में अफसरशाही किस कदर हावी है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि एक व्यक्ति को अपनी शिकायत सही होने की गारंटी देने के लिए सी.एम. को 10 लाख रुपए का सशर्त चैक भेजना पड़ा है।

उसने सी.एम. से शिकायत की जांच की मांग करते हुए कहा कि अगर उसकी शिकायत गलत पाई जाती है, तो उसका चैक मुख्यमंत्री राहत कोष में जमा कर लिया जाए और उसके खिलाफ संबंधित थाने में केस दर्ज करा दिया जाए। यदि शिकायत सही पाई जाए, तो उसे खारिज करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। 

वर्ष 2016 में गुरुग्राम के सैक्टर-5 निवासी कृष्णलाल ने सी.एम. विंडो पर एक शिकायत लगाते हुए कहा था कि पालम विहार रोड स्थित चौमाखेड़ा की गौशाला ‘नंदीधाम’ की करीब एक एकड़ भूमि पर भू-माफिया ने कब्जा किया हुआ है। अधिकारियों के इशारे पर करोड़ों रुपए की बेशकीमती जमीन पर बिल्डिंग खड़ी कर दी गई है। शिकायत में गौशाला की जमीन खाली कराने की मांग की गई थी। कृष्णलाल ने बताया कि शिकायत की निगम अधिकारियों ने जांच की। 

जांच में शिकायत को सही मानते हुए बिल्डिंग के एक हिस्से को गिराने के आदेश जारी कर दिए गए। इससे जमीन पर कब्जा करने वाले लोगों में हड़कंप मच गया। उनका आरोप है कि इसके बाद भू-माफिया ने अधिकारियों के साथ सांठगांठ कर ली। जमीन की फर्जी सेल डीड दिखाकर कोर्ट से निगम के निर्णय के खिलाफ स्टे ऑर्डर ले लिए। निगम अधिकारियों ने बाद में उसकी शिकायत को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है, इसलिए उसकी शिकायत को डिस्पोज-ऑफ कर दिया गया।

सी.एम. को 10 लाख रुपए के चैक के साथ भेजे शपथ पत्र और शिकायत में कृष्णलाल ने कहा है कि जब कब्जाधारियों की ओर से कोर्ट में पेश किए गए सेल डीड के दस्तावेजों की जांच कराई गई, तो ये दस्तावेज फर्जी पाए गए। उसका आरोप है कि फर्जी दस्तावेज तैयार कराने में राजस्व विभाग के अधिकारियों की संलिप्तता भी रही है। राजस्व और नगर निगम अधिकारियों ने इस मामले में जमकर सांठगांठ की है। यही कारण है कि गौशाला की करोड़ों रुपए की जमीन पर अवैध कब्जा बरकरार है। 

अगर इस जमीन को खाली कराकर गौशाला के हवाले किया जाए, तो इससे गौशाला को फायदा होगा। कृष्णलाल ने शिकायत और शपथपत्र के माध्यम से सी.एम. को बताया है कि करोड़ों रुपए की जमीन होने के कारण अधिकारियों ने मामले को दबाने के लिए भी मोटा पैसा लिया है। इस मामले की सही तरीके से जांच हो, तो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने वाले अधिकारियों के काले कारनामों से पर्दा उठ सकता है। यहां सवाल यह भी उठ रहा है कि अपनी शिकायत को सही साबित करने के लिए किसी व्यक्ति को लाखों रुपए का चैक लगाना पड़ रहा है। मामला साफ है कि ब्यूरोक्रेसी पूरी तरह बेलगाम है। 


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