खैर तस्करी मामला: वन विभाग में घोटाला, डिप्टी रेंज आफिसर काबू

punjabkesari.in Friday, Mar 17, 2017 - 10:01 AM (IST)

यमुनानगर(सुमित ओबेराय):खैर तस्करी के मामले में सी.आई.ए.-टू ने वन विभाग के डिप्टी रेंजर सरबजीत निवासी बिलासपुर को गिरफ्तार किया है। कोर्ट ने उसे 2 दिन के रिमांड पर भेज दिया है। रेंजर के पास इन दिनों जगाधरी रेंज का चार्ज था। अधिकारी की सर्विस करीब 25 साल की है। यह उस पर पहली पुलिस कार्रवाई है। इसका खुलासा गुरुवार को एस.पी. राजेश कालिया ने किया। वे अपने कार्यालय में पत्रकारों से बात कर रहे थे। एस.पी. ने बताया कि जिले में खैर तस्करी बड़ा मुद्दा था। इस मामले में अपराध काफी बढ़ चुका था जिसे देखते हुए सी.आई.ए.-टू के सब-इंस्पैक्टर नरेश शर्मा की देख-रेख में एस.आई.टी. का गठन किया गया। उनके साथ ए.एस.आई. राजेश कुमार, राय सिंह, चरणजीत, राजू व कुलदीप ने भी सहयोग किया। उन्हीं के द्वारा कार्रवाई को अंजाम दिया गया। ध्यान रहे इसी मामले में बुधवार शाम अमर विहार कालोनी के सुदेश कुमार को भी गिरफ्तार किया जा चुका है। वह खैर के मामले में सैटिंग करवाने आया था। पुलिस ने उसे 20 हजार रुपए रिश्वत के साथ पकड़ लिया। 


रेंज अधिकारी ऐसे आया काबू
एस.पी. राजेश कालिया ने बताया कि खैर तस्करों ने खिजराबाद व छछरौली क्षेत्र में फर्म बना रखी है। जांच में सामने आया कि यमुना इंटरप्राइजिज के नाम से संजीव कुमार फर्म चला रहे है। जो मुंडा खेड़ा के रहने वाले है। वर्ष-2016 में वन विभाग ने 125 कि्वटल खैर जब्त की थी। इस फर्म के मालिक ने फर्जी बिल के आधार पर पर्यावरण न्यायालय को मलकीयत दिखाई थी। न्यायालय के आदेश पर पकड़े गए सरबजीत सिंह को बिलों की तस्दीक के लिए नेपाल सीमा के नजदीक सरबस्ती भेजा गया। बिल फर्जी थे। रेंज आफिसर ने न्यायालय को बयान के जरिए इन्हें असली करार दिया, जो अब गिरफ्तार कर लिया गया है। 

डी.एफ.ओ. निवेदिथा बोजाराजन का कहना है कि पुलिस ने डिप्टी रेंज आफिसर को गिरफ्तार किया है। इसकी जानकारी मुख्यालय को दे दी है। सर्विस रूल के मुताबिक गिरफ्तारी के बाद अधिकारी को सस्पैंड ही माना जाता है। पुलिस ने खैर तस्करी के मामले में बड़ी कार्रवाई की है। निश्चित ही इस कदम के बाद खैर तस्करी पर रोक लगेगी। 


पुलिस के 21, वन विभाग के 54 मामले
खैर तस्करी का अंदाजा दर्ज किए गए मामलों से लगाया जा सकता है। पुलिस रिकार्ड में 21 मामले दर्ज है। अधिकारी सहित 3 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। इसी तरह वन विभाग पर्यावरण न्यायालय कुरुक्षेत्र में 54 मामले विचाराधीन है। खैर तस्करी इस कदर बढ़ गई थी कि आरोपी हमला करने से भी बाज नहीं आते थे। छोटे-छोटे वाहनों में इसकी तस्करी शुरू हो गई थी। पुलिस के मुताबिक जिले की सीमा से लगते उत्तरप्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, दिल्ली व हिमाचल के लोग भी पकड़ में आ सकते हैं। यहां तक की सरकारी विभाग के अधिकारियों की भूमिका भी संदिग्ध मानी जा रही है। 


रजिस्ट्रेशन नंबर भी मोटरसाइकिल स्कूटर के निकले
खैर तस्करी में सी.आई.ए.-टू की टीम ने गहराई से जांच की है। टीम ने इस दौरान ईमानदारी और निडरता का परिचय भी दिया। जांच अधिकारी नरेश कुमार ने बताया कि अभी जांच जारी है। मामले की और परतें खुलेंगी। कुछ फर्मों की जांच भी चल रही है। खैर तस्करी के मामले में इन फर्म की बड़ी भूमिका है। जांच में यह भी पाया गया है कि तस्करों के ताल नेपाल तक जुड़े हुए है। ये लोग पड़ोसी राज्यों में ही खैर बेचते है। बिल में जो रजिस्ट्रेशन नंबर लिखा है उसकी जांच की गई तो सामने आया कि ये बड़े वाहन के नहीं स्कूटर मोटरसाइकिल के नंबर थे। 


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