2011 की पॉलिसी पर कर्मियों को नियमित करेगी सरकार

punjabkesari.in Thursday, Oct 19, 2017 - 12:39 PM (IST)

चंडीगढ़ (ब्यूरो): हरियाणा सरकार ने स्पष्ट किया है कि ग्रुप बी., सी. तथा डी. के उन्हीं कर्मचारियों को नियमित करने का विचार किया जा सकता है जो 29 जुलाई 2011 को जारी नीतियों के तहत पात्रता रखते हैं। सरकार के एक प्रवक्ता ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मुख्य सचिव की ओर से सभी प्रशासनिक सचिवों, विभागों के मुखियाओं, उपायुक्तों, पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार, बोर्ड, निगम के प्रबंध निदेशकों तथा राज्य के विश्वविद्यालयों के रजिस्ट्रारों को निर्देश दिए गए हैं कि वे राज्य सरकार द्वारा जारी हिदायतों का पालन करें। 

उन्होंने बताया कि एडहॉक/ अनुबंध/ वर्क चार्जड/ डेली वेजिज आधार पर नियुक्त किए गए कर्मचारियों को नियमित करने के लिए सरकार ने 29 जुलाई 2011 को दो नीतियां जारी की गई थी। इसमें हरियाणा सरकार ने ग्रुप बी. से संबंधित कर्मचारियों हेतु नोटिफिकेशन नंबर 6/50/2007-1जीएसआई, दिनांक 29.7.2011 तथा ग्रुप सी. एवं डी. से संबंधित कर्मचारियों हेतु नोटिफिकेशन नंबर जी.एस.आर.9/ कान्सट./ आर्ट.309/ 2011, दिनांक 29.7.2011 जारी किया था। उन्होंने स्पष्टï किया कि कर्मचारियों के नियमित करने की ये दोनों नीतियां आज भी अस्तित्व और संचालन में हैं, इन नीतियों पर किसी भी कोर्ट का स्टे नहीं है। 

प्रवक्ता ने आगे बताया कि हरियाणा में अस्थायी तौर पर लगे कर्मचारियों को नियमित करने की 16 जून 2014 या उसके बाद जो भी नीति बनाई गई है उस पर हाईकोर्ट का स्टे आर्डर है। उन्होंने बताया कि हाईकोर्ट ने सी.डब्ल्यू.पी. नंबर 17206 ऑफ 2014 के तहत 2 सितम्बर 2016 को नियमित करने पर स्टे आर्डर दिया हुआ था। हाईकोर्ट के आदेशों की अनुपालना में सरकार ने 15 सितम्बर 2016 को अधिसूचित किया कि कोर्ट के केस का निर्णय आने तक भविष्य में कर्मचारियों की सेवाओं को 16 जून 2014 या उसके बाद जारी की गई नीति के तहत नियमित नहीं किया जाएगा।

सर्व कर्मचारी संघ ने उठाया था मुद्दा : लांबा
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेश महासचिव सुभाष लांबा ने बताया कि इस मामले को संघ की ओर से मुख्यमंत्री के साथ बैठक में प्रमुखता से उठाया गया था, जिस पर अब सरकार की नींद खुली है। उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी में कुछ ही कर्मचारियों को नियमित होने का लाभ मिल सकता है, ऐसे में अब सरकार को 2014 की पॉलिसी पर ध्यान केंद्रित करते हुए हाईकोर्ट में अपना पक्ष मजबूती से रखना चाहिए।


 


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