सैलजा का केंद्र सरकार पर तीखा वार, भारी GST थोप कर व्यापारियों से धोखा

punjabkesari.in Sunday, Jul 16, 2017 - 05:23 PM (IST)

पंचकूला(उमंग श्योराण):राज्यसभा सांसद कुमारी सैलजा ने जीएसटी को लेकर एक बार फिर केंद्र सरकार पर तीखा वार किया है। सैलजा ने कहा कि नोटबंदी की आड़ में सरकार ने इंस्पेक्टरी राज स्थापित कर दिया। इसकी वजह से न केवल व्यापारी परेशान होंगे बल्कि छोटे दुकानदारों पर भी आर्थिक संकट आएगा। जीएसटी की वजह से किसान व मजदूर भी मुश्किलों का सामना करेंगे। सैलजा रविवार इंद्रधनुष ऑडोटोरियम में आयोजित व्यापारी-दुकानदार सम्मेलन में उमड़े जनसैलाब को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि अब व्यापारी कारोबार नहीं करेगा बल्कि कारोबार चलाने के लिए दस्तावेजी कार्रवाई में उलझा रहेगा। उन्होंने कहा कि इसका सीधा असर उसके कारोबार पर पड़ेगा। लागू किए गए जीएसटी से जनता को राहत नहीं अपितु कठोर मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा।

पूर्व केंद्रीय मंत्री कुमारी सैलजा ने कहा कि तत्कालीन यूपीए सरकार द्वारा प्रस्तावित जीएसटी जनहित में था। जबकि कांग्रेस व भाजपा के जीएसटी में जमीन आसमान का अंतर है।कांग्रेस द्वारा प्रस्तावित जीएसटी में देशभर में केवल 12 फीसदी टैक्स लगाने की व्यवस्था थी। जबकि 45 प्रतिशत वस्तुओं को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया था। इससे इंस्पेक्टरी राज से मुक्ति का रास्ता निकलना तय था। जबकि भाजपा द्वारा लागू किए गए जीएसटी में 29 प्रतिशत वस्तुएं ही जीएसटी के दायरे से बाहर हैं। कांग्रेस के जीएसटी में विलास की वस्तुओं पर ज्यादा से ज्यादा 18फीसदी टैक्स का प्रावधान था। लेकिन केंद्र की मोदी सरकार ने सात दरों वाले जीएसटी को लागू कर हर वर्ग की कमर तोड़कर रख दी है। केंद्र सरकार द्वारा लागू किए गए जीएसटीमें 0.25 फीसदी, 3 फीसदी, 5फीसदी, 12 फीसदी, 18 फीसदी, 28फीसदी, 40 फीसदी व 43 फीसदीटैक्स की व्यवस्था है।

कुमारी सैलजा ने कहा कि चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत को विश्व गुरु बनाने की कल्पना की थी। जीएसटी के जरिए यह कल्पना अब साकार हो गई है। उन्होंने कहा कि दुनिया में ऐसा जीएसटी किसी भी देश में  लागू नहीं है जोकि यहां लागू किया गया है। उन्होंने कहा कि अंतर्राज्यीय कारोबार में भी एक फीसदी जीएसटी के नए प्रावधान ने कारोबारियों की मुसीबत बढ़ा दी। जबकि राज्य सरकारों को भी जीएसटी के अतिरिक्त टैक्स लगाने की छूट दी गई है। कांग्रेस के प्रस्तावित जीएसटी में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं थी। इस सरकार में कारोबारियों को मंडी के साथ सिनेमा की टिकटों पर टैक्स, गाड़ियों की आरसी पर टैक्स व एक जगह से दूसरी जगह पर आने जाने वाले सामान पर भी टैक्स  देना होगा।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद देश में कभी कपड़े पर टैक्स नहीं लगा था। मगर मोदी सरकार ने यह कसर भी पूरी कर दी है। कपड़ा हर घर में हर व्यक्ति इस्तेमाल करता है। भाजपा ने कपड़े पर भी टैक्स लगाकर आम जनता की कमर तोडऩ़े का काम किया है। हाथोंसे बनाए जाने वाले धागे पर 18फीसदी टैक्स लगाया गया है। जबकि मशीनी  धागे को टैक्स के दायरे से बाहर रखा गया है। मशीनी धागे से बनने वाले कपड़े पर केवल 5फीसदी टैक्स लगाया गया है। ऐसे में बड़ी मिलों के मालिकों को करोड़ों के हिसाब से फायदा पहुंचाया गया है। कफन में इस्तेमाल होने वाले कपड़े को भी टैक्स के दायरे में रखा गया है।

वहीं पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे से बाहर रखकर केंद्र सरकार ने जनता के साथ धोखाधड़ी की है। जान-बूझकर पेट्रोल व  डीजल कोजीएसटी के दायरे से बाहर रखा गया है। पेट्रोल की मौजूदा कीमत 63.46रूपए प्रति लीटर है जबकि उत्पादनका खर्च तेल कंपनियों की बेवसाइट पर दिए गए अनुमान के मुताबिक केवल 23.03 रूपए है।इसी तरह डीजल की कीमत 54 रूपए प्रतिलीटर है जबकि उत्पादन पर खर्च23.86 रूपए है। इस तरह तेल परटैक्स 30.30 रूपए है। यदि पेट्रोल डीजल पर 18 फीसदी जीएसटी लगा  दिया जाए व बाकि टैक्स हटा लिए जाएं तो  पेट्रोल-डीजल 25-25रूपए प्रति लीटर सस्ता हो जाएगा। मगर सरकार ने ऐसा नहीं किय। छोटे व मध्यम आकार के व्यवसाय में बेहद दिक्कतें बढ़ गई हैं। जीएसटी की अनुपालना करने में  इनका मुनाफा कम व लागत अधिक हो गई है। जीएसटी के  दायरे में आने से अब  ऐसे कारोबारियों को पेशेवर चार्टेड एकाउंटेंट्स से रिटर्न दाखिल करवानी पड़ेगी। यह स्थिति छोटे कारोबारियों के लिए  बेहद दुखदायी होगी। उन्होंने कहा कि रोजरमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले लेडिज हैंडबैग पर जीएसटी में 18 फीसदी टैक्स की व्यवस्था है। महिलाओं के बजट पर इसका सीधा असर पड़ेगा। इसी तरह स्कूली छात्रों की नोटबुक, पेन,पेंसिल, स्याही व अध्यापकों के चोक तक पर छह फीसदी टैक्स लगाया गया है। बच्चों के खेलकूद के सामान पर भी सरकार ने भारी भरकम टैक्स लगाया है।

 


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