लगातार घट रहा यमुना का जलस्तर, उत्तर प्रदेश की सप्लाई पर लगी रोक

punjabkesari.in Friday, Dec 29, 2017 - 02:49 PM (IST)

यमुनानगर(सुरिन्दर मेहता): सैकड़ों मील विस्तृत मैदानी इलाकों को हरा भरा रखने वाली यमुना नदी का जलस्तर पिछले सात महीनों से जारी है। यमुना नदी के घटते जलस्तर के कारण उत्तर प्रदेश के मैदानी इलाकों जलापूर्ति पर रोक लगा दी गई है। वहीं दिल्लीवासियों के विभिन्न आवश्यकताओं को पूरा करने वाली यमुना नदी पर दिल्ली की सप्लाई पर रोक लगाई जा सकती है, फिलहाल ऐसी नौबत अभी नहीं आई है। गत बृहस्पतिवार को बैराज पर मात्र 1176 क्यूसेक पानी रिकॉर्ड होने के बाद उत्तर प्रदेश की सप्लाई रोक दी गई है। सुप्रीमकोर्ट के आदेश के चलते हरियाणा भाखड़ा नहर की नरवाना ब्रांच से मूनक नहर के जरिए अपने हिस्से में से राजधानी दिल्ली को जलापूर्ति जारी रखे हुए है।

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यमुनानगर में यमुनानदी पर बने हथनीकुंड बैराज में जलबहाव घटने से पश्चिमी यमुना नहर पर 4 जगहों पर चल रही आठ इकाईयों में बिजली उत्पादन ठप हो गया है। इन्हें चालू रखने के लिए करीब 5600 क्यूसेक जलबहाव की जरूरत होती है। हथनीकुंड बैराज पर तैनात अधिकारी के मुताबिक आज सुबह हथनीकुंड बैराज में 1176 क्यूसेक जलबहाव था। जिसमें से सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक जंगली जानवरों के ‌लिए 352 क्यूसेक सीधा यमुना नदी में और 866 क्यूसेक पश्चिमी यमुना नहर में छोड़ा गया।

इस साल दो बार बनी ऐसी स्थिति
इस साल 20 फरवरी 2017 में हथनीकुंड बैराज में न्यूनतम जल स्तर 1166 क्यूसेक दर्ज किया गया था, जिससे हालात चिंताजनक बन गए थे। और उत्तर प्रदेश की सप्लाई बंद करने के बाद पश्चिमी यमुना नहर में 814 क्यूसेक पानी छोड़ा गया था।

कैसे बढ़ता है जल स्तर
पहाड़ों पर या कैचमेंट एरिया में बारिश होने या फिर पहाड़ों पर गर्मी पडऩे से बर्फ पिघलने लगती है, जिससे जल बहाव बढ़ता है। बर्फ पिघलने पर जलबहाव ज्यादा से ज्यादा 20 या 30 हजार क्यूसेक तक ही सीमित रहता है। लेकिन अगर बारिश और गर्मी न बढऩे के बावजूद पहाड़ों पर तेज चलने वाली हवाओं से भी बर्फ पिघलती है और जलबहाव कभी-कभी 5 हजार क्यूसेक को पार कर जाता है।


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