रेयान की बेहिसाब सम्पत्ति की कौन करेगा जांच ?

punjabkesari.in Tuesday, Sep 12, 2017 - 09:07 AM (IST)

गुड़गांव:लूट के संगठित तंत्र का नाम है रेयान ग्रुप ऑफ स्कूल। हकीकत में यह पैसा उगाही का कारखाना है जिसके देश-विदेश में तकरीबन 100 से अधिक कारपोरेट कार्यालय है जो मासूमों की शिक्षा के नाम पर अरबों रुपए वसूल कर रहा है। गुड़गांव में इस विद्यालय के शुरूआत के दो दशक भी नहीं हुए होंगे इसने खूब जमकर धनउगाही की है और शिक्षा के नाम पर तरह-तरह के तामझाम को बढ़ावा दिया है। प्रति छात्र 30,000 से 40,000 रुपए वसूलने वाला यह स्कूल अंदरखाने पाठशाला के बजाए वधशाला के रूप में जाना जाने लगा है। 

बताया जाता है कि मुंबई के बोरीवली साल 1987 इसने अपना पहला ब्रांच शुरुआत किया था। जिसके बाद यह देशभर में पसरता गया और कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। पैन इंडिया के नाम से इस कातिल गु्रप का देश-विदेश में लगभग 150 शाखाएं हैं जो रायन इंटरनेशनल, सेंट जेवियर और छदम नामों से कार्य कर रहे हैं। हालांकि रेयान इंटरनेशनल पर आरोप लगता रहा है कि यह मिशनरीज स्कूल न होने के बावजूद बच्चों को मिशनरीज की तरह टे्रन किया जाता है। यही कारण है कि मुंबई के इनके पहले स्कूल में ईसाईयों के धर्मगुरु पोप ने दौरा किया था। हालांकि प्रद्युमन हत्याकांड का मामला अब देशभर में गूंजने लगा है और देश की शीर्ष अदालत ने भी इस बारे में संज्ञान लिया है। लेकिन असल सवाल यह है कि इस संस्था के अरबों की संपत्ति की जांच कौन करेगा? 

कालाधन छिपाने के लिए भाजपा का दामन थामा
पिटों की पत्नी ग्रेस भपटों और उनका बेटा रेयान के नाम पर स्कूलों की शृंखला देशभर में चलाई जा रही है। मजे की बात यह कि हवा का रुख भांपने में माहीर पिंटों सियासत के रुख को भी भांप लेने में माहीर है। महाराष्ट्र सहित केंद्र में भाजपा की सरकार बनते ही पिंटो दंपति ने भाजपा का दामन थाम लिया। इसके पूर्व इस दंपति का कांग्रेस पार्टी से जुड़ाव हुआ करता था। जबकि बताया यह जाता है कि इनके तार अंतरराष्ट्रीय चर्च एसोसिएशन से भी जुड़े हुए हैं। देशभर में खासकर देश के पूर्वोत्तर और आदिवासी बहुल इलाकों में चलने वाले मिशनरीज स्कूलों में रेयान की मोटी रकम चैरिटी के नाम पर दी जाती है। आरोप यह भी है कि अरबों के कालेधन को सरकारी नजर से छुपाने के लिए भाजपा का दामन थामने में इस दंपति ने देर नहीं लगाई। 
 


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