बिना सुरक्षा उपकरण के सीवर में उतर रहे सफाईकर्मी, विभाग नहीं ले रहा कोई सुध

punjabkesari.in Sunday, Feb 23, 2020 - 11:14 AM (IST)

पलवल (बलराम गुप्ता) : पूरा पलवल शहर सीवर के भरोसे जिंदा रहता है, लेकिन जो सीवर साफ करते हैं वो जिंदा लाश बन जाते हैं। तकनीक के दौर में भी किसी को ऐसे जान जोखिम में डालनी पड़े तो इसका मतलब है सफाई के नाम पर करोड़ों खर्च करने के बाद भी बिना सुरक्षा उपकरण सीवर मेनों को सीवर में उतारा जा रहा है। इन समाज के लोगों के योगदान को हमेशा नजरअंदाज किया जाता रहा है। यह लोग मामूली सी तनख्वाह के लिए अपने प्राण हमेशा खतरे में डालते हुए काम करते हैं, लेकिन सदियों से समाज इनके हिस्से का सम्मान इन्हें देने में नाकाम रहा है।

हालत यह है कि सीवरेज की सफाई के लिए पहले कर्मचारी को टैंक में जाने के लिए कहा जाता है और जब इन लोगों की मौत हो जाए तो कुछ रुपए का मुआवजा देने की बात की जाती है। स्वच्छ भारत अभियान की बात करने वाली सरकार इस समस्या का समाधान सेफ्टी किट, दस्ताने और मास्क उपलब्ध करा कर तलाशती है, लेकिन इस समस्या के असल समाधान की तरफ  आज तक कोई बढ़ता हुआ नजर नहीं आया है। सफाई के लिए मशीनों के इस्तेमाल पर सालों से बहस चल रही है, लेकिन जमीन पर कोई बदलाव दिखाई नहीं देता है।

सरकार स्मार्ट सिटी बनाने की बात करती है, लेकिन स्मार्ट सिटी में सीवर का पानी ऊपर सड़क पर बहता दिखाई देता है। पलवल जिले में सेनिटेशन को लेकर लोग बहुत जागरूक नहीं है। बहुत से लोग सारी गंदगी, कागज, प्लास्टिक गटर में डाल देते है और वह जब जाम हो जाता है तो किसी ना किसी को उसे साफ  करने के लिए उसके अंदर जाना पड़ता है। पलवल में बारिश और रोजमर्रा के पानी को निकालने के लिए ज्यादा व्यवस्था नहीं है और शहर लगातार बढ़ रहा है और पूरे पलवल में सिर्फ  एक ही सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट है जिसके अधिकतर पम्प और मोटरें खराब पड़े होते है, इसीलिए बारिश के समय ज्यादा परेशानी खड़ी हो जाती हैं।

सरकार अक्सर यह कहकर पल्ला झाड़ लेती है कि सफाई कर्मचारी को हमने नहीं ठेकेदार ने सीवर में उतारा है पर जब कानून ठेके पर देने को अपराध मानता है तो यह कैसे संभव होता है। सीवरेज के अंदर जाते सीवर मैन गंदगी की बदबू, बीमारी और मौत से जूझते हुए अपने कार्य को अंजाम तक पहुंचाते हैं, लेकिन सरकार द्वारा गरीबों के लिए चलाई गई आयुष्मान भारत योजना जिसका मकसद ही आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को 5 लाख तक का बीमा उपलब्ध कराना है जैसी सूची में पलवल के अधिकतर सीवर मैन और सफाई कर्मचारियों के नाम तक नहीं है। जहां तक सफाई की मशीन की बात है।

वह पूरे पलवल जिले में सिर्फ  एक है। वह भी साल के नौ-दस महीने खराब हालत में रहती है। एक मशीन होने के कारण सफाई कर्मचारी को सीवर में उतरना पड़ता है। उच्च न्यायालय के आदेश यह है कि हरियाणा में यह सुनिश्चित किया जाए कि सीवरेज या मेन होल की सफाई के लिए कर्मचारी को सीवरेज लाईन, सेप्टिक टैंक या मेन होल में उतारने की प्रक्रिया पूरी तरह से बंद होनी चाहिए। 


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Isha

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