13 कुमाऊँ की चार्ली कंपनी के मु_ी भर जवानों की गौरव गाथा का किया चित्रण

punjabkesari.in Tuesday, Apr 19, 2022 - 08:25 PM (IST)

गुडग़ांव ब्यूरो: सरस मेले में आयोजित की गई सांस्कृतिक संध्या में रेजांगला की शौर्य गाथा का मंचन किया गया। इस नाटक में दर्शाया गया कि किस प्रकार 1962 के भारत चीन युद्ध में रेजांगला पोस्ट पर सेना की 13 कुमाऊँ की चार्ली कंपनी के मु_ी भर सैनिकों ने चीनी सेना को कड़ी टक्कर देते हुए रेजांगला पोस्ट को बचाने में सफलता प्राप्त की परंतु इस संघर्ष में चार्ली कंपनी के 110 वीर जवान सैनिकों ने अपने प्राणों की बाजी लगा दी। इस नाटक का निर्देशन रवि मोहन द्वारा किया गया है। सरस मेले की सांस्कृतिक संध्या में पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करते हुए रेजांगला की लड़ाई में शहीद हुए वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित की और अच्छे अभिनय के लिए कलाकारों को पुरस्कृत किया।

इस अवसर पर पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता ने अपने विचार रखते हुए कहा कि रेजांगला की शौर्य गाथा देश के इतिहास का वह स्वर्णिम अध्याय है जिसे याद करते हुए हमारा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है। रेजांगला की लड़ाई में देश के वीर सपूतों ने जिस प्रकार जंग के मैदान में अपनी जान की परवाह किए बगैर बहादुरी से दुश्मनों का सामना किया, वह देशवासियों विशेषकर युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत है। उन्होंने रेजांगला की शौर्य गाथा प्रस्तुत करने वाले नाटक के सभी कलाकारों की पीठ थपथपाते हुए उन्हें बधाई व शुभकामनाएं दी। रेजांगला की लड़ाई के आखरी दिन यानी 18 नवंबर 1962 को मु_ी भर जवानों द्वारा जिस प्रकार वीरता व साहस का परिचय देते हुए जंग के मैदान में इतिहास रच दिया, वह देशवासियों के लिए गौरव की बात है। इस लड़ाई में 13 कुमाऊँ की चार्ली कंपनी के जवानों ने मेजर शैतान सिंह की अगुवाई में वीरता का ऐसा इतिहास रचा जिसे आज भी पूरे भारतवर्ष द्वारा गर्व से याद किया जाता है।

इस युद्ध के 110 बलिदानियों में 60 जवान हरियाणा के अहिरवाल क्षेत्र से थे। इस नाटक के माध्यम से जनमानस के मन मे अनजाने ही बसे उस मिथ्या पर कड़ा प्रहार किया गया है जहां हम सोचते हैं की एक सैनिक, चाहे वो जिस भी मुल्क का हो, उसका काम है सिर्फ लडऩा या लडक़र मर जाना जहां उसके मन में अपने परिवार के लिए, अपनों के लिए, अपने संसार के लिए बसी उन भावनाओं से हमें कभी भी कोई मतलब नहीं होता जो उस क्षण उस सैनिक को युद्ध के मैदान में होती हैं। इस नाटक में एक सैनिक की जीवनशैली का प्रभावी ढंग से चित्रण किया गया और दर्शाया गया कि किस प्रकार सैनिक अपने तीज-त्यौहार भी विषम परिस्थितियों में मनाते हैं। उन्हें भी अपने परिवार और सगे संबंधियों की याद आती है तो वे उनके बारे में आपस में ही बात करके अपना मन हल्का कर लेते हैं। कंपनी कमांडर मेजर शैतान सिंह का रोल गौरव सक्सेना द्वारा किया गया था जिनकी प्रभावशाली प्रस्तुति से दर्शक अत्यधिक प्रभावित नजर आए। नाटक में रेजांगला की शौर्य गाथा का संजीव चित्रण करने के लिए लाइट एंड साउंड के साथ स्पेशल इफेक्ट देते हुए इसे और आकर्षक बनाने का प्रयास किया गया था।

कलाकारों में दयाल सिंह की भूमिका फराज सिद्दकी ,धनजीत बोरा की भूमिका सुनील बाबू, निहाल सिंह की आशीष सैनी, सिंघ राम सिंह की भूमिका आकाश बालियान द्वारा निभाई गई थी जिसे उपस्थित दर्शकों द्वारा खूब सराहा गया और बार-बार दर्शक उनके एक-एक संवाद पर तालियां बजाते हुए दिखाई दिए। सांस्कृतिक संध्या में हवलदार निहाल सिंह, जो उस समय चीनी सैनिकों को चकमा देकर उनके चुंगल से निकल आए थे, वे भी रेवाड़ी से विशेष रूप से नाटक देखने गुरूग्राम पहुंचे थे। उनके अलावा, रेजांगला शौर्य समिति से डा. मेजर टी सी राव, नरेश चौहान, स्वतंत्रता सेनानी उत्तराधिकारी समिति के जिलाध्यक्ष कपूर सिंह दलाल, सदस्य बिजेंद्र ठाकरान के अलावा रेजांगला शौर्य समिति के अन्य सदस्यगण उपस्थित रहे। सरस मेले की सांस्कृतिक संध्या में सभी कलाकारों को जिला प्रशासन की ओर से पटौदी के विधायक सत्यप्रकाश जरावता तथा जिला परिषद की मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनु श्योकंद ने स्मृति चिन्ह व प्रशंसा पत्र भेंट कर सम्मानित किया।
 


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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