अल्ट्रासाउंड के बदले सेंपल से करते थे लिंग जांच

punjabkesari.in Monday, Aug 23, 2021 - 06:13 PM (IST)

गुडग़ांव (संजय): देश में पहली बार बिना पंजीकरण ही आनुवंशिक परीक्षण के खिलाफ  लिंग जांच कर रहे एक मामले का स्वास्थ्य विभाग ने पर्दाफास किया है। इस प्री-नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक का संचालन डा. लाल पैथ लैब के अधिकृत संग्रह केंद्रों पर किया जा रहा था। जिसे करने के लिए लैब रजिस्टर्ड भी नही थी। जिसकी सेक्टर-63 पुलिस थाने में पीएनडीटी एक्ट के उल्लंघन पर एफआईआर दर्ज कराई गई है। आनुवंशिक परीक्षण के खिलाफ  देश में अपनी तरह की इस पहली प्राथमिकी का उल्लेख करना उचित है।


ज्ञात हो कि सिविल सर्जन गुरुग्राम डॉ वीरेंद्र यादव को जानकारी मिली कि जिले में प्री- नेटल डायग्नोस्टिक तकनीक का संचालन डॉ लाल पैथ लैब के अधिकृत संग्रह केंद्रों द्वारा किया जा रहा है। जहां पीएनडीटी शर्तों का बिना पालन किए व बिना पंजीकरण ही इस तकनीकि का संचालन किया जा रहा था। बताया गया है कि इसके लिए प्रति परीक्षण 15 हजार से 25 हजार रूपए के भुगतान इस कार्य को अंजाम दिया जा रहा था। लिहाजा मामले की जांच के लिए जिला उपयुक्त प्राधिकारी ने एक टीम का गठन किया। जिसमें प्रमुख रूप से डॉ अनिल गुप्ता नोडल अधिकारी पीएनडीटी, डॉ दीपांशु चिकित्सा अधिकारी, डॉ उमंग चिकित्सा अधिकारी, सुभाष शर्मा क्लर्क को शामिल किया गया। डिकॉय ऑपरेशन करने के बाद टीम ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की। जिसमें यह पता चला कि डॉ लाल पैथ लैब अपने संग्रह केन्द्रों गुरुग्राम स्थित क्षेत्रीय प्रयोगशाला व दिल्ली स्थित राष्ट्रीय संदर्भ प्रयोगशाला के माध्यम से प्रसव पूर्व निदान तकनीकों का संचालन में लिप्त है। पीएनडीटी के नोडल अधिकारी डा. अनिल गुप्ता ने बताया ऐसी तकनीकों की अनुमति केवल पीएनडीटी अधिनियम के तहत निर्धारित प्रावधानों व पंजीकृत केंद्र पर ही दी जाती है। लेकिन डॉ लाल पैथ लैब ने उक्त प्रावधानों का को दर किनार कर एक्ट का सरासर उल्लंघन किया है। जिला उपयुक्त प्राधिकारी गुरुग्राम ने डा. अनिल गुप्ता, नोडल अधिकारी को डॉ लाल पैथ लैब के चेयरमैन डॉ अरविंद लाल, लैब के निदेशक, लैब के प्रबंधक, कर्मचारी सहित 4 लोगों पर सेक्टर-63 पुलिस थाने में मामला दर्ज करवाया गया है। 
देश में इस तरह का पहला मामला
दर्ज एफआईआर में यह भी उल्लेख है कि आनुवंशिक परीक्षण के खिलाफ  देश में अपनी तरह की इस पहली प्राथमिकी का उल्लेख करना उचित है। अधिकारियों की मानें इससे पूर्व अल्ट्रासाउंड मशीनों से जांच की जाती थी। लेकिन सेंपल के जरिए लिंग जांच का यह पहला मामला है।  
क्या सेंपल व अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट में अंतर
विशेषज्ञों की मानें तो अल्ट्रासाउंड व सेंपल रिपोर्ट से जांच के लिए विभिन्न शर्तो का पालन करना जरूरी होता है। जिसका पालन लैब द्वारा बिलकुल नही किया। दूसरा दिल्ली लैब के मुताबिक जेनेटिक जांच के लिए सिर्फ रजिस्टर्ड क्लीनिक ही जांच कर सकते है। सबसे बड़ा अंतर ये है कि सेंपल जांच से 5 सप्ताह के भू्रण का पता चल जाता है। जबकि अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट 12 से 15 हप्तें में भू्रण का पता चलता है। 
वर्जन-
‘‘सूचना मिली थी जिसके आधार पर टीम का गठन कर इसकी जांच पड़ताल किया गया। जिसमें पाया गया कि इसमें पीएनडीटी एक्ट का गंभीर उल्लंघन था जिसमें नियमों की अनदेखी की गई। इसमें लैब संचालक सहित 4 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया गया है।’’ डा. विरेन्द्र यादव, सीएमओ गुडग़ांव
 


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Content Editor

Gaurav Tiwari

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