हरियाणा में कोरोना के कारण 26 बच्चे हुए अनाथ, उमाशंकर सीएम के ड्रीम प्रोजेक्ट को सार्थक करने में जुटे

punjabkesari.in Tuesday, Jul 06, 2021 - 10:31 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने हाल ही में कोविड-19 महामारी के कारण 18 वर्ष से कम उम्र के बच्चों, जिन्होंने अपने माता-पिता या कानूनी अभिभावकों को खो दिया है, का पुनर्वास और सहायता करने व उनको सुरक्षित भविष्य देने के उद्देश्य से मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना की घोषणा की थी। इस योजना को एलआर, वित्त विभाग और मंत्रिमंडल से हरी झंडी मिल चुकी है।

मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर के ड्रीम प्रोजेक्ट 
परिवार पहचान पत्र के माध्यम से हरियाणा में 26 बच्चे ऐसे मिले हैं। जिनको बाल सेवा योजना के दायरे में पाया गया है। जब सरकार ने अब फिजिकली वेरिफिकेशन करवाई तो 26 बच्चे ही वेरिफाई हुए जिनके मां-बाप कोविड की इस दूसरी लहर में प्राण गवा चुके हैं। मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर के नेतृत्व में डिप्टी प्रिंसिपल सेक्रेटरी आशिमा बरार व पूरी टीम मुख्यमंत्री की योजना को कार्यान्वित करने में अहम भूमिका अदा कर रहे हैं।

सूत्रों के अनुसार कैथल में एक परिवार के 5 बच्चे, जिनमें 1 लड़का व 4 लड़कियां शामिल हैं। जिन्होंने अपने परिवार खोए हैं। कुछ ऐसे भी बच्चे हैं जिन पर दोहरी मार पड़ी है। इन बच्चों ने पहले अपने मां-बाप किसी तरह खो दिए थे, कोरोना में उनके दादा दादी भी मारे गए। कुछ परिवार तो सरकारी नौकरी से सेवानिवृत्ति के बाद पेंशन के दम पर पल रहे थे। अब मुख्यमंत्री मनोहर लाल की अनाथ बच्चों को परवरिश देने व आत्म निर्भर बनाने की सोच के चलते उनका पालन पोषण होगा। गौरतलब है कि 10 जून 2021 को हुई स्टैंडिंग फाइनेंस कमेटी की बैठक में भी इस योजना को मंजूरी दे दी गई थी।  इस योजना के तहत विभिन्न जिलों द्वारा चिन्हित किए जा चुके 26 लाभार्थियों को लाभ प्रदान किया जाएगा। 

गैर-संस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता
इस योजना के तहत माता-पिता की मृत्यु के बाद जिन बच्चों की देखभाल परिवार के अन्य सदस्य कर रहे हैं, ऐसे बच्चों के पालन पोषण के लिए 18 वर्ष तक 2,500 रुपये प्रति बच्चा प्रति मास राज्य सरकार की ओर से परिवार को दिए जाएंगे। इस राशि में 2,000 रुपये प्रति माह की राशि केंद्र प्रायोजित योजना के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएगी। इसके अतिरिक्त, 18 वर्ष की आयु तक बच्चे की पढ़ाई के लिए 12,000 रुपये प्रति वर्ष राशि परिवार को दिए जाएंगे। 

यह राशि बच्चे की देखभाल कर रहे अभिभावक या परिवार के संयुक्त बैंक खाते में जमा करवाई जाएगी। हरियाणा में 59 बाल देखभाल संस्थान हैं। इसके अलावा, 18 वर्ष की आयु तक 1500 रुपये प्रतिमाह की वित्तीय सहायता आवर्ती जमा खाते में जमा की जाएगी और 21 वर्ष की आयु होने पर बच्चे को मैच्योरिटी राशि दे दी जाएगी।

किशोरियों के लिए संस्थागत देखभाल और शिक्षा
कोरोना महामारी के कारण जिन लड़कियों ने किशोरावस्था में अपने माता-पिता को खोया है, उन्हें कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय (केजीबीवी) में आवासीय शिक्षा मुफ्त दी जाएगी। इसके अलावा, माता-पिता की मृत्यु के बाद बच्चों की देखभाल कर रहे परिवार के मामले में दिए जाने वाले लाभ, जैसे कि 18 वर्ष तक 2,500 रुपये और अन्य खर्चों के लिए 12,000 रुपये प्रति वर्ष, इन किशोरियों को दिए जाएंगे। राज्य में 25 केजीबीवी हैं, जो कक्षा 6 से 8वीं तक शिक्षा प्रदान करते हैं। 8 केजीबीवी कक्षा 6वीं से 10वीं तक शिक्षा प्रदान करते हैं और 3 केजीबीवी कक्षा 6 से 12वीं तक शिक्षा प्रदान करते हैं। 

विवाह पर लड़कियों को सहायता
कोविड महामारी के कारण माता-पिता की मृत्यु के बाद अनाथ हुई लड़कियों मुख्यमंत्री विवाह शगुन योजना के तहत 51000 रुपये की आर्थिक सहायता दी जाएगी। यह राशि बालिका के नाम पर बैंक में रखी जाएगी और विवाह के समय उन्हें ब्याज सहित पूरी राशि दी जाएगी।

कक्षा 8-12 में बच्चे के लिए टैबलेट
कक्षा 8वीं से 12वीं के बीच या व्यावसायिक पाठ्यक्रम में किसी भी कक्षा में पढऩे वाले बच्चों को उनकी शिक्षा में सहायता के लिए एक टैबलेट प्रदान किया जाएगा। गैर-संस्थागत देखभाल में बच्चों के लिए वित्तीय सहायता और विवाह पर लड़कियों को सहायता का लाभ प्रदान करने के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग नोडल विभाग होगा और संबंधित उपायुक्त के समन्वय के साथ योजनाओं का कार्यान्वयन करेगा। इसी प्रकार, किशोरियों के लिए संस्थागत देखभाल और शिक्षा और कक्षा 8-12 में बच्चे के लिए टैबलेट का लाभ प्रदान करने के लिए स्कूल शिक्षा विभाग नोडल विभाग होगा।

विवाह पर लड़कियों को सहायता देने के संबंध में अनुसूचित जाति एवं पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग 'विवाह के शीघ्र पंजीकरण' योजना के तहत 3100 रुपये का लाभ प्रदान करने के लिए नोडल विभाग होगा। जिला प्रोग्राम ऑफिसर, महिला एवं बाल विकास विभाग समय पर इस लाभ का वितरण सुनिश्चित करेगा। जिला उपायुक्त योजना के पैटर्न होंगे और योजना के तहत लाभ सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार होंगे। प्रवक्ता ने बताया कि पात्र बच्चों की जानकारी डीसीपीओ बाल देखभाल संस्थान से मंजूरी लेने के बाद जिला उपायुक्त की अध्यक्षता में गठित अनुमोदन समिति को भेजेगा।


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Content Writer

vinod kumar

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