हरियाणा में लागू पंजाब के नाम के 163 कानूनों से पंजाब शब्द हटाना सरल नहीं

punjabkesari.in Thursday, Feb 18, 2021 - 12:05 PM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): हरियाणा विधानसभा के आगामी बजट सत्र में मौजूदा भाजपा-जजपा सरकार द्वारा एक विशेष विधेयक लाकर एवं उसे सदन से पारित करवाकर हरियाणा  में पंजाब के नाम (शीर्षक) से लागू 163  अधिनियमों (कानूनों) में से पंजाब शब्द  को बदलकर हरियाणा शब्द  डालने जा रही है। कुछ महीनों पहले हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष (स्पीकर) ज्ञान चंद गुप्ता द्वारा राज्य  सरकार के साथ यह विषय उठाया गया था जिसके लिए  विधि परामर्शदाता (एल.आर.) की अध्यक्षता में एक कमेटी भी गठित की गई जिसमें चार अन्य अधिकारी भी शामिल थे जिन्होंने उक्त विधेयक लाने पर अपनी रिपोर्ट  दी जिसे मुख्य सचिव और  मुख्यमंत्री की भी मंजूरी मिल गई है।

इसी बीच पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार ने बताया कि 54 वर्षों  पूर्व भारतीय संसद द्वारा सितम्बर, 1966 में अधिनियमित (बनाये )  गए  पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 के 1 नवंबर, 1966 से लागू होने के बाद तत्कालीन  संयुक्त पंजाब सूबे से अलग होकर हरियाणा देश का 17 वां  राज्य बना जिस कारण विभिन्न विषयो पर तत्कालीन पंजाब  विधानमंडल द्वारा बनाये गए सभी अधिनियम (कानून ) तत्काल प्रभाव से  हरियाणा में भी लागू हो गए. हेमंत  ने बताया कि पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 89 के अनुसार हरियाणा के अलग राज्य बनने के दो वर्षों  के भीतर अर्थात 1 नवंबर 1968 से पहले हरियाणा सरकार द्वारा उपयुक्त  आदेश जारी कर पंजाब में तत्कालीन लागू कानूनों को अपने राज्य (हरियाणा ) में प्रासंगिक  संशोधनों आदि के साथ अपनाया जा सकता था. इसी विषय में तत्कालीन हरियाणा सरकार द्वारा हरियाणा अडॉप्टेशन ऑफ़ लॉज़ (राज्य एवं समवर्ती सूची ) आदेश, 1968 जारी कर पंजाब में तब लागू 163 कानूनों को उपयुक्त संशोधनों के साथ हरियाणा में अपना लिया गया हालांकि तब उनके सभी के  लंबे शीर्षक (लांग टाइटल) और प्रस्तावना (प्रीएम्बल) में ही पंजाब शब्द को बदलकर हरियाणा किया गया जबकि तब उनके संक्षिप्त नाम में ऐसा नहीं किया गया।

जहाँ तक हरियाणा में वर्तमान में लागू पंजाब के  नाम से 163 कानूनों के संक्षिप्त नामों से पंजाब को हटाकर हरियाणा शब्द प्रतिस्थापित करने का विषय है, इस पर हेमंत ने बताया की आज से 48 वर्ष पूर्व धर्म 1973 में तत्कालीन बंसीलाल सरकार के दौरान भी  ऐसी कवायद चली थी परंतु विस्तृत विचार विमर्श के बाद यह प्रस्ताव किया गया कि ऐसा करना इतना सहज नहीं होगा एवं इसके लिए उन सभी संबंधित  कानूनों को अलग से विधानसभा द्वारा अधिनियमित करवाना होगा एवं जो कानून संविधान की समवर्ती सूची में हैं, उनमें केंद्र सरकार की पूर्व स्वीकृति भी आवश्यक होगी. बहरहाल तब नये सिरे से सारे कानून बनवाने की सारी प्रक्रिया सिरे नहीं चढ़ पाई थी। हेमंत ने यह भी बताया कि अगर हरियाणा विधानसभा द्वारा प्रदेश में पंजाब के नाम से  लागू कानूनों  के संक्षिप्त नाम  में  संशोधन किया भी जाता है परन्तु फिर भी  उस कानून के अधिनियमित (बनाने )   वाले राज्य, सम्बंधित वर्ष और अधिनियम  की क्रम संख्या का विषय  है, उसमें हरियाणा विधानसभा द्वारा कोई संशोधन नहीं किया जा सकता। 

इसका एक उदाहरण देते हुए हेमंत ने बताया की जैसे पंजाब एक्साइज (आबकारी ) एक्ट, 1914  है  जो वर्ष 1914  का पंजाब का एक्ट क्रम संख्या  1 हैं , जिसे बाकी 162  कानूनों के साथ  हरियाणा सरकार द्वारा अपनाया गया एवं जो हरियाणा में आज भी लागू है, ताज़ा  संशोधन के बाद उसका नाम तो  हरियाणा एक्साइज  एक्ट, 1961 हो जाएगा परन्तु  इसके साथ ही इसे  वर्ष 1914 का  पंजाब का एक्ट क्रम  संख्या 1 ही लिखा  जाएगा क्योंकि जब वर्ष 1914  में हरियाणा विधानसभा मोजूद ही नहीं थी,  तो उस वर्ष बने किसी कानून को हरियाणा का कानून कैसे कहा जा सकता है ?

हेमंत ने बताया कि आज से दस वर्ष पूर्व गुजरात विधानसभा द्वारा  भी तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल दौरान  इसी तर्ज पर गुजरात संक्षिप्त नाम संशोधन कानून, 2011  बनाया  गया जिसके द्वारा गुजरात में 1 मई, 1960 (अर्थात गुजरात राज्य बनने से पूर्व ) से पहले लागू तत्कालीन बॉम्बे राज्य के 67 कानूनों के संक्षिप्त नाम में बॉम्बे के स्थान पर गुजरात का नाम कर दिया गया परन्तु उक्त 2011 कानून में यह स्पष्ट उल्लेख है कि कानूनों के संक्षिप्त नामो में  बॉम्बे के स्थान पर गुजरात का नाम होने के बावजूद उन कानूनों की मूल संख्या और बनने वाले वर्ष में बॉम्बे का ही उल्लेख रहेगा. जैसे बॉम्बे प्रोहिबिशन (मद्य-निषेध) एक्ट, 1949 का वर्तमान नाम तो  गुजरात प्रोहिबिशन एक्ट, 1949 हैं परन्तु आज भी उसे बॉम्बे राज्य के वर्ष 1949 का एक्ट संख्या 25 ही कहा जाता है।

 


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Content Writer

Isha

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