राष्ट्रीय बालिका दिवस पर विशेष: एक बेटी ने बदल दिए पिता के अहसास और बदल दी समाज की तस्वीर

punjabkesari.in Sunday, Jan 23, 2022 - 01:27 PM (IST)

चंडीगढ़( चन्द्र शेखर धरणी): आपने सेल्फी विद डॉटर का नाम तो सुना ही होगा...जी हां, वही अन्तर्राष्ट्रीय अभियान , जिसके फ़ाऊंडर जींद जिले के बीबीपुर गांव के पूर्व सरपंच सुनील जागलान हैं। सुनील जागलान ऐसे व्यक्तित्व हैं, जिनके अभियानों से प्रभावित होकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश विदेश में न केवल आठ बार उनके नाम का जिक्र कर चुके हैं, राष्ट्रपति भी उनके अभियानों के मुरीद रहे हैं और  केंद्र व राज्य सरकारों ने जागलान द्वारा छोटे स्तर पर आरंभ किए गए करीब एक दर्जन से ज्यादा अभियानों को अपनी मुहिम, योजना तथा मिशन बनाकर जनता में पेश किया है लेकिन क्या आप जानते हैं सुनील जागलान को यह प्रेरणा कहॉं से मिली , उन्हें यह प्रेरणा मिली राष्ट्रीय बालिका दिवस 24 जनवरी 2012 को पैदा हुई उनकी बेटी नंदिनी से जिसे सेल्फ़ी विद डॉटर गर्ल के नाम से भी जाना जाता है । 

हम यहां जिक्र कर रहे हैं कि सोमवार को आयोजित होने वाले राष्ट्रीय बालिका दिवस का। 24 जनवरी 2012 की बात है। अस्पताल में सुनील जागलान की  बेटी का जन्म हुआ तो अस्पताल की एक नर्स के चेहरे भाव बड़े अजीबो-गरीब थे। अस्पताल से छुट्टी के समय उन्होंने जब नर्स को मिठाई बांटने के लिए दो हजार रुपये दिए तो नर्स ने यह कहते हुए लेने से इनकार कर दिया कि अगर बेटा होता तो हम यह ले सकते थे। आप केवल 100 रुपए ही दे दीजिए , अगर लड़का होता तो इससे भी अधिक ले लेती । फिर रात को गॉंव में थाली बजी तो सबने सोचा कि सरपंच के घर बेटा पैदा हुआ है और फिर छटी पर कार्यक्रम पर लोगों द्वारा ताने देकर कहना कि ये रीत तो लड़के के लिए ही होती है और इस घटनाक्रम से बीबीपुर से बेटी बचाओ अभियान शुरू हुआ । 

इस घटनाक्रम के बाद सुनील जागलान ने समाज की बेटियों के प्रति सोच बदलने तथा उन्हें गौरव दिलाने की दिशा में कई प्रयास किए, जो बेहद सफल हुए हैं। उनकी बेटी का नाम नंदिनी है। जागलान बताते हैं कि सबसे पहले मैं गांव के के स्वास्थ्य केंद्र पर गया। वहां रजिस्ट्र में चेक किया तो पता चला कि बीबीपुर का लिंगानुपात बहुत ख़राब है। फिर देश की पहली महिला ग्राम सभा की, जिसमें पता चला कि कोख में लड़के की चाह में कन्या भ्रूण हत्याएं होती हैं। फिर बेटी बचाओ अभियान को जन आंदोलन के रूप में बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी। गांव में कन्या भ्रूण हत्या रोकने के लिए खाप पंचायत की, जिसमें इतिहास में पहली बार महिलाओं ने भाग लिया ।

नौ जून 2015 को जब नंदिनी मोबाइल के कैमरे से सेल्फी ले रही थी तो सेल्फी विद डाटर का आइडिया दिमाग में आया। सुनील जागलान ने नंदिनी के साथ इंटरनेट मीडिया पर सेल्फी अपलोड की तो वह खूब वायरल हुई, जिसके बाद तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी व प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इसे देखकर जन आंदोलन बनाने के लिए प्रेरित हुए। आज यह अभियान बड़ा अभियान बन चुका है।  एक बार नंदिनी ने जब अपने पिता से पूछा कि आपका और दादा का नाम ही घर के बाहर है , हमारा नहीं तो सुनील जागलान ने 6 जुलाई 2015 को घर के बाहर सुनील जागलान सरपंच व पिता मास्टर ओमप्रकाश जागलान का नाम हटाकर बेटी नंदिनी के नाम की नेमप्लेट लगाई और इसे अभियान बनाकर शुरू किया ,  6 साल के भीतर करीब 18 हजार नेम प्लेट ऐसी लग चुकी हैं। विभिन्न राज्य सरकारों ने इस अभियान को आत्मसात किया है।

इसके साथ ही जब मैंने कई मिडिया रिपोर्टर के माध्यम से पढ़ा कि लडकीयों को माहवारी अब 11-12 की उम्र में शुरू हो जाती है तो मैंने सोचा हमारी बेटी को कभी इसके बारे में ग़लत कुप्रथाओं का एहसास न हो तो और पिरियड चार्ट अभियान शुरू किया जो कि देश कि दहलीज़ लॉंग कर दूसरे देशों में भी पसंद किया जा रहा है ।  नंदिनी अब सभी अभियानों में शामिल होकर इन अभियानों को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है ।  सुनील जागलान कहते हैं कि मैं भी वहीं आम पुरूष हूं, जो पितृसत्ता देखते व महसूस करते हुए बड़ा हुआ था। मैं भी कभी नहीं बदलता, अगर नंदिनी मेरी जिंदगी में विभिन्न तरह के अहसास के साथ नहीं आई होती। वह पैदा हुई तो कन्या भ्रूण हत्या को रोकने का अहसास पैदा हुआ। यह सब कोई जादू नहीं है। मुझे देखिए..मुझे अहसास हुआ तो मैं बदल गया, जिस दिन दूसरे पुरूषों को अहसास होगा तो वह बदल जाएंगे।

 

 


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Content Writer

Isha

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