जातिवाद और भेदभाव जैसी दुर्भावना को जड़ से समाप्त करना चाहती है सरकार: कृष्ण बेदी

punjabkesari.in Thursday, Feb 02, 2023 - 10:47 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): 3 फरवरी को नरवाना में शिरोमणि संत रविदास जयंती समारोह के होने वाले आयोजन को लेकर पूर्व मंत्री एवं मुख्यमंत्री के निजी सचिव कृष्ण बेदी प्रदेशभर में लगातार कार्यकर्ताओं की बैठके की। लोगों से जनसंपर्क अभियान चलाए हुए हैं। नरवाना की अनाज मंडी में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रदेश के मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत करेंगे। इस कार्यक्रम में प्रदेशभर से लाखों लोगों के पहुंचने की उम्मीदें लगाई जा रही हैं। पूर्व मंत्री कृष्ण बेदी ने बुधवार को कार्यक्रम स्थल का दौरा भी किया। लगातार प्रदेशभर की सभी विधानसभा क्षेत्रों में कार्यकर्ताओं की बैठकों में कृष्ण बेदी अधिक से अधिक संख्या में लोगों से पहुंचने का आह्वान कर रहे हैं। कार्यकर्ता भी कार्यक्रम के सफल आयोजन को लेकर लगातार मुलाकाते कर रहे हैं।

 

बता दें कि प्रदेश की भाजपा सरकार लगातार कई वर्षों से संत शिरोमणि रविदास की जयंती पर इस प्रकार के लगातार कार्यक्रम करवाती रही है। इस विषय पर कृष्ण बेदी ने कहा कि सरकार आपसी सद्भावना और भाईचारे को लगातार बढ़ान के प्रयास में है। जिस प्रकार से पूर्व की सरकारों ने आपसी भेदभाव को बढ़ावा देकर वोट बैंक साधने की सोच के साथ काम किया, अब बिल्कुल ऐसा नहीं होने दिया जाएगा। भाजपा सरकार हर गरीब-शोषित समाज के साथ हमेशा खड़ी रही है। उन्होंने सर्व समाज से बड़ी संख्या में पहुंचकर कार्यक्रम की शोभा बढ़ाने का आह्वान किया।

 

संत रविदास ने भेदभाव-जातिवाद से दूर रहने का हमेशा दिया संदेश

 

शिरोमणि संत रविदास को सतगुरु और जगतगुरु की उपाधि भी प्राप्त है। ना केवल देश- प्रदेश बल्कि पूरे विश्व में संत रविदास के प्रति आस्था रखने वाले लोगों की एक बहुत बड़ी आबादी है। भारतीय जनता पार्टी लगातार भेदभाव और जातिवाद की भावना से समाज को दूर रहने के संदेश को लेकर आगे बढ़ती नजर आती रही है। संत रविदास ने रेदासिया और रविदासिया पंथ की स्थापना की थी। शिरोमणि संत रविदास द्वारा रचे हुए कुछ भजन सिख लोगों के पवित्र ग्रंथ गुरु ग्रंथ साहिब में भी शामिल है। वाराणसी में जन्मे हिंदू संत के रूप में प्रख्यात संत रविदास को हर समाज बड़े सम्मान की दृष्टि से देखते थे। संतोख दास और कलसा देवी के घर जन्मे इस संत ने हमेशा समाज को जातिगत भेदभाव को दूर कर सामाजिक एकता पर बल दिया। मधुर व्यवहार के कारण उनके संपर्क में आने वाले लोग बहुत प्रसन्नता महसूस करते थे। बेहद परोपकारी और दयालु भाव रखने वाले शिरोमणि संत रविदास हमेशा दूसरों की सहायता का स्वभाव और संदेश देते थे।

 

साधु संतों की सहायता में विशेष आनंद प्राप्त करने वाले संत रविदास ने मानवतावादी मूल्यों की हमेशा नीव रखी। वैसे तो उनके वास्तविक अध्यात्मिक गुरु संत कबीर साहब थे, लेकिन उन्होंने कबीर साहेब के कहने पर संत रामानंद को अपना गुरु मानकर उनसे अपना आध्यात्मिक ज्ञान अर्जित किया। पत्नी लोना देवी भी उनके विचारों से हमेशा प्रभावित रही और आध्यात्मिक विचारधारा का संदेश लोगों में देती रही। लोभ- लालच- दुख- दरिद्रता और भेदभाव से कोसो दूर संत रविदास बेहद दानवीर और दयालु थे और जरूरतमंद को बिना पैसा लिए जूते दान में देने के लिए काफी प्रसिद्ध थे। वाराणसी में जन्मे संत रविदास का वहीं भव्य मंदिर और मठ में मौजूद है और उनके नाम से गुरु रविदास स्मारक और श्री गुरु रविदास पार्क में दूर-दूर से लोग घूमने और दर्शन करने पहुंचते हैं। अब इस कार्यक्रम में कृष्ण बेदी लगातार प्रदेश भर में एक संदेश के साथ पहुंच रहे हैं कि कोई भी संत किसी एक समाज का नहीं होता। संत सभी 36 बिरादरी का उद्धार करते हैं और प्रदेशभर से सभी समाज के लोग वहां पहुंचकर एकता-सद्भावना और भाईचारे का एक संदेश दें।   

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Content Editor

Ajay Kumar Sharma

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