महापंचायत के जरिए सियासी ताकत दिखा अभय ने कर दिया चुनावी शंखनाद !

punjabkesari.in Thursday, Mar 04, 2021 - 09:04 AM (IST)

चंडीगढ़(संजय अरोड़ा): 2018 में विघटन के बाद करीब अढ़ाई फीसदी वोट बैंक तक सिमट गई इंडियन नैशनल लोकदल को अभय सिंह चौटाला के इस्तीफे के बाद एक नई हिम्मत और हौसला मिला है और जो वोट बैंक पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाले इस दल से दूर हो गया था, वह अब फिर से इनैलो से जुड़ता भी नज़र आ रहा है ।  27 जनवरी को किसानों के मुद्दे पर ऐलनाबाद विधानसभा सीट से त्यागपत्र दिए जाने के बाद अभय सिंह चौटाला ने अपने निर्वाचन क्षेत्र ऐलनाबाद में बुधवार को एक कामयाब किसान महापंचायत कर अपनी सियासी ताकत तो दिखाई ही, वहीं इसके साथ ही इस विधानसभा क्षेत्र में भविष्य में प्रस्तावित उपचुनाव को लेकर विरोधी दलों को फिर से
उम्मीदवारों को लेकर मंथन और पुनर्विचार करने को भी विवश कर दिया है।

गौरतलब है कि ऐलनाबाद में हुई इस किसान महापंचायत में अभय सिंह का वक्तव्य किसान आंदोलन पर केंद्रीत रहा तो उनके निशाने पर उनके भतीजे व सरकार में उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला भी रहे।  जींद उपचुनाव से पहले नवम्बर 2018 में इनैलो में हुए विघटन के बाद पार्टी को खासा नुक्सान हुआ। हरियाणा विधानसभा चुनाव में इसका असर साफ नजर आया। इनैलो का अधिकांश वोट बैंक जननायक जनता पार्टी में खिसक गया था। यही कारण रहा कि इनैलो को 2.44 प्रतिशत वोट के साथ एक सीट पर जीत मिली, जबकि जजपा ने 10 सीटों पर जीत हासिल की।

उल्लेखनीय है कि हरियाणा में क्षेत्रीय दल के रूप में पिछले कई चुनावों में
प्रभावी भूमिका में रहने वाली पार्टी इंडियन नैशनल लोकदल का ग्राफ पिछले संसदीय व विधानसभा चुनावों में काफी नीचे चला गया था। अक्तूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव में इनैलो को महज 1 सीट पर जीत मिली और उसे करीब 2.44 प्रतिशत वोट ही हासिल हुए तो पिछले लोकसभा चुनाव में इनैलो का खाता भी नहीं खुला था और उसे करीब 1.89 प्रतिशत मत मिले थे। पिछले करीब 15 वर्ष से सत्ता से दूर इनैलो ने आज से करीब 21 साल पहले वर्ष 2000 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व में 47 सीटों पर जीत दर्ज करते हुए  सरकार बनाई थी। 47 सीटों का यह आंकड़ा 2019 में 1 सीट पर आकर बेशक सिमट गया , पर इन विकट परिस्थितियों में भी इनैलो के लिए सकारात्मक पहलू यह रहा कि इनैलो नेता अभय सिंह चौटाला पूरी हिम्मत के साथ राजनीतिक रण में डटे हुए हैं। उन्होंने न केवल ऐलनाबाद से जीत की हैट्रिक बनाई। विधायक के रूप में विधानसभा के भीतर व बाहर भी वे पहले से अधिक आक्रामक नजर आए। 

अब पिछले काफी समय से चल रहे किसान आंदोलन में अभय ही इकलौते ऐसे विधायक हैं जिन्होंने विधानसभा सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया। इसके बाद अभय सिंह  को ऐलनाबाद के पैंतालिता में 3 फरवरी को सम्मानित किया गया तो 11 फरवरी को महम में हुई किसान महापंचायत में उन्हें किसान केसरी की उपाधि दी गई। अब बुधवार को उन्होंने अपने निर्वाचन क्षेत्र ऐलनाबाद में एक सफल महा पंचायत कर जहां सियासी हलचल को तेज कर दिया है। बेशक अभी विधानसभा चुनाव का शंखनाद नहीं हुआ है, लेकिन अभय ने अभी अपने निर्वाचन क्षेत्र में आज की रैली से चुनावी श्रीगणेश जरूर कर दिया
है।

विघटन होने पर खिसका था वोट बैंक
इनैलो में विघटन होने के बाद ही पार्टी को अधिक नुक्सान पहुंचा था । 7 अक्तूबर 2018 को गोहाना चौ.देवी लाल की जयंती के मौके पर आयोजित हुई रैली में पार्टी में दरार की नींव पड़ी। इसके बाद इनैलो सुप्रीमो ओमप्रकाश चौटाला ने अजय सिंह , दुष्यंत चौटाला व दिग्विजय चौटाला को पार्टी से निष्कासित कर दिया। दिसम्बर 2018 में दुष्यंत ने नई पार्टी बना ली। इसी बीच इनैलो से करीब 15 विधायक दूसरे दलों के पाले में चले गए। इसके बाद से इनैलो का अधिकांश वोट बैंक जजपा में खिसक गया था। इनमें सबसे अधिक युवा वर्ग शामिल था। लेकिन आज ऐलनाबाद में हुई अभय चौटाला की महापंचायत में सबसे अधिक संख्या युवाओं की रही। सियासी पर्यवेक्षकों का मानना है कि पिछले चुनाव में जजपा के लिए जी जान लगाने वाला युवा वर्ग ही वर्तमान में जजपा से नाराज चल रहा है। अधिकांश सीटों पर जजपा को उन लोगों ने वोट दिए जो भाजपा  को हराना चाहते थे। ऐसे में चुनाव परिणाम के बाद जजपा द्वारा भाजपा के साथ गठबंधन सरकार बनाने पर युवा वर्ग रूपी यह बड़ा वोट बैंक धीरे धीरे जजपा से नाराज़ होने लगा और अब कोई अन्य विकल्प तलाश रहा है। अब अभय के इस्तीफे के बाद युवा वर्ग का झुकाव फिर से इनैलो की तरफ नज़र आने लगा है, जिसका प्रमाण आज अभय की ऐलनाबाद रैली में देखने को भी मिला ।

भीड़ में भी जोश तो अभय भी दिखे आक्रामक
ऐलनाबाद की महापंचायत में आज लंबे समय पश्चात भीड़ में एक नया जोश नजर आया तो वहीं अभय के तेवर भी काफी आक्रामक रहे । आज से करीब दो से तीन बरस पहले जैसा जोश और उत्साह इनैलो की रैलियों में दिखता था, वैसा ही माहौल आज भी नजर आया। भीड़ में जोश दिखा तो अभय चौटाला के तेवर भी आक्रामक नजर आए। उन्होंने कहा कि 'उनकी रगों में चौधरी देवीलाल का रक्त है और वे उनके ही नक्शेकदम पर चलकर किसानों के हितों के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार हैं। अभय ने कहा कि चौ. देवी लाल के नक्शे कदम पर भी हम ही चल रहे हैं और उनकी सियासी विरासत भी हम हीआगे बढ़ाएंगे । उन्होंने कहा कि किसान संगठित होकर लंबे समय तक किसान आंदोलन को मजबूत बनाएं और अपने खेतों में खड़ी गेहूं की फसल की चिंता न करें। वे उनकी गेहूं की फसल को प्रभावित नहीं होने देंगे और कंबाइन को उनके खेतों तक पहुंचाएंगे।

इनेलो नेता अभय सिंह चौटाला ने भाजपा जजपा गठबंधन को कटघरे में खड़ा करते हुए किसानों से आह्वान किया कि वे शपथ लें कि दोनों राजनीतिक दलों के मंत्रियों और विधायकों को गांवों में नहीं घुसने देंगे और यदि वे आएं तो उनसे अपने पदों से इस्तीफा देने को कहें। अभय सिंह चौटाला ने कहा कि निकट भविष्य में ऐलनाबाद में उपचुनाव होंगे और वे संगठित होकर अन्य राजनीतिक दलों को सबक सिखाएं। मौजूदा गठबंधन सरकार पर बरसते हुए उन्होंने कहा कि इस सरकार ने किसानों को गेहूं व बाजरे की फसल पर एम.एस.पी तक नहीं दिया और आज वे किसान हितैषी बनने का ढोंग रच रही हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना संक्रमण की आड़ में सरकार ने आमजन को लूटा। इतना ही नहीं लॉकडाउन के दौरान सैकड़ों मजदूरों के लिए किसी प्रकार की कोई वाहन व्यवस्था न होने के कारण वे अकाल मौत का ग्रास बने।


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Content Writer

Isha

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