यूपी व अन्य राज्यों से किसानों की फसलें हरियाणा में न आने देने के आरोप बेबुनियाद: पीके दास

punjabkesari.in Tuesday, Sep 29, 2020 - 11:15 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा खाद्य एवं आपूर्ति विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव पीके दास ने कहा है कि वन नेशन वन मार्किट के तहत यूपी व अन्य प्रांतों के किसानों की फसलें हरियाणा में न आने देने के आरोप बेबुनियाद व काल्पनिक है। किसान दो किस्म का धान बासमती और नॉन बासमती बाहर से लेकर आ रहे हैं, जिसमें कोई रोक-टोक नहीं है। उन्होंने बताया कि जो वन नेशन वन मार्किट है उसका मकसद ही यही है कि खरीदने और बेचने वाला कहीं भी बैठा हो वे आपस मे खरीद फरोख्त कर सकते हैं। 

उन्होंने बताया कि हम कोशिश कर रहे हैं कि 6 अक्टूबर से जो बाहर के किसान हरियाणा मे बेचना चाहते हैं, उनके लिए पोर्टल खोला जाएगा, वो वहां अपना पंजीकरण करवाकर एसएमएस पाने के बाद अपना समान बेच सकेंगे।

वहीं मंडियां में इंस्पेक्टरी राज पर पीके दास ने कहा कि सरकार ट्रांसपेरेंट है जबकि सरकार में जो लोग हैं वो चाहते हैं कि ऐसी गलतियां न हों, ऐसी कोई गलत प्रथा न चले। इसलिए अगर कोई मांग रहा है पैसा तो उसे पैसा दे दिया, यह कहने की बजाय कोई पैसा मांग रहा है और हमने नहीं दिया है। आप इसका निदान करो, यह कहना बेहतर होगा।

पीके दास ने कहा कि मैं इसके इंतजार में रहूंगा कि चाहे किसान, आढ़ती या मिलर को लगता है कि कोई सरकारी कर्मचारी या प्रोक्योरमेन्ट से जुड़ा कोई भी व्यक्ति उनको तंग कर रहा है तो वो पहले हमें बताएं। अगर कोई भी हमारा कर्मचारी या अधिकारी पैसा लेता हुआ पाया जाता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

पीके दास ने कहा है कि 26 सिंतबर से हरियाणा के चार जिलों अंबाला, कैथल, कुरुक्षेत्र व करनाल में धान की खरीद शुरू हो चुकी है। जबकि मंगलवार से बाकी सारी धान की मंडी भी शुरू हो गई है। इसके अलावा ई-खरीद पोर्टल भी मंगलवार से चालू हो गया है। उसी के तहत गेट पास बन रहा है। उसी के तहत एंट्री हो रही है जबकि खरीद के तहत एस फार्म, जे फार्म और आई फार्म बनना शुरू हो गया है।

वहीं पीके दास ने बताया कि केंद्र के नए कृषि विधेयकों से सरकारी खरीद पर कोई असर नहीं है। पिछले रबी के सीजन में भी हमने सरकारी मंडियों में एजेंसी द्वारा किसान की पूरी फसल खरीदी जबकि गेहूं आढ़तियों के जरिए खरीदी, जबकि इस बार भी हम सरकारी मंडियों में प्रोक्योरमेंट करेंगे। इसीलिए नए कानून बन जाने से किसान को हम प्रोक्योरमेन्ट से बाहर कर देंगे और आढ़ती को उसका आढ़त मिलना बंद हो जाएगा, ऐसा मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा है।

पीके दास ने बताया कि इस बार हम फसल मेरी फसल मेरा ब्यौरा के जरिए ही खरीद रहे हैं। उससे वास्तविक किसान ही अपना समान बेचने के लिए आएगा, जिसकी खरीद की जाएगी। इसके बाद अगर किसान चाहता है तो उसे डायरेक्ट पेमेंट होगी और किसान आढ़तिए के जरिए पेमेंट चाहता है तो उसे आढ़तिए के जरिए पेमेंट होगी। 

वहीं मंडी से मिलर तक सामान को पहुंचाने की जिम्मेदारी हमारी होगी, जहां पर सामान की लोडिंग होगी वहां वीडियोग्राफी भी की जाएगी, मिल में माल पहुंचने के बाद भी हमारा आदमी माल को रिसीव करेगा। इसके अलावा मिलर के कंपाउंड में जो माल रहेगा। हर 15 दिन में हमारा इंस्पेक्टर उस माल का सर्टिफिकेट देगा।


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Shivam

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