दो साल से लापता अनुज परिवार से दोबारा मिला, लॉकडाउन ना लगता तो आज होता ऑस्ट्रेलिया

punjabkesari.in Monday, Oct 05, 2020 - 05:40 PM (IST)

झज्जर (प्रवीण): हरियाणा स्टेट क्राइम ब्यूरो को दो साल से लापता एक मासूम को उसके परिजनों से मिलवाने में बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। अनुज नामक मासूम दो साल पहले बहादुरगढ़ के इंडस्ट्रियल एरिया से लापता हो गया था। अनुज के पिता बबलू मूंडका स्थित एक फैक्ट्री में काम करते थे। उस दौरान अनुज को उसके परिवार वालों ने खूब तलाश किया, लेकिन जब उसका कहीं कोई अता-पता नहीं मिला तो अनुज के मां-बाप अपने दिल पर पत्थर रखकर दिल्ली छोड़ अपने पैतृक गांव हरदोई जाकर बस गए थे। लेकिन दो सालपहले ही बहादुरगढ़ पुलिस को अनुज पारले फैक्ट्री के पास अकेले घूमता हुआ मिला।

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अनुज को न तो पढऩा-लिखना आता था और न ही उसे बोलना आता था। जिसके चलते वह पुलिस द्वारा उस दौरान की गई पूछताछ में कुछ भी ऐसा नहीं बता पाया कि पुलिस उसके परिजनों तक पहुंच पाती। इसी के चलते पुलिस ने मासूम अनुज को पुलिस ने बहादुरगढ़ गी उमंग चिल्ड्रन होम को सौंप दिया। स्टेट क्राइम ब्यूरो के अनुसार वैसे तो अनुज के परिजनों ने इसका नाम हरिपाल रखा था। लेकिन चूंकि पुलिस के सामने वह कुछ भी बता पाने में वह असमर्थ था इसी के चलते सामाजिक संस्था उमंग ने ही उसे अनुज का नाम दिया। दो साल से ही वह उक्त संस्था में रह रहा था। 

यूपी का रहने वाला अनुज अब पूरी तरह से हरियाणवी संस्कृति में रच बस गया है। पाबूजी का खानपान और बोली हरियाणवीहो गई है, जबकि उसके माता-पिता की भाषा में पूरी तरह से यूपी वाला तडक़ा है। अनुज के माता पिता पूरी तरह से अनपढ़ हैं उन्हें अपना नाम भी लिखना नहीं आता, जबकि अनुज ने बाल भवन में पढऩा शुरू कर दिया था और कुछ ही दिनों बाद अनुज का प्राइवेट स्कूल में एडमिशन भी होना था। क्राइम ब्रांच के एसआई राजेश कुमार जोकि चिल्ड्रंस होम का दौरा करते रहते हैं उन्हें अनुज के बारे में पता चला। अनुज को केवल अपने आसपास के गांव के बारे में पता था। जिसके आधार पर एएसआई राजेश कुमार ने अनुज के माता-पिता को खोज लिया।

नहीं लगता लॉकडाउन तो अनुज होता ऑस्ट्रेलिया
काबिले गौर है कि अगर लॉकडाउन ना लगता तो अनुज अब तक ऑस्ट्रेलिया जा चुका होता। एक ऑस्ट्रेलियन फैमिली ने अनुज को अडॉप्ट करने के लिए प्रोसेस भी शुरू कर दी थी। लगभग सारा काम कंप्लीट भी हो चुका था, लेकिन लॉकडाउन के कारण अनुज ऑस्ट्रेलिया नहीं जा सका और इसी बीच पुलिस को अनुज के माता-पिता के बारे में पता चल गया। लॉकडाउन वैसे तो कई लोगों के लिए मुसीबत बन के सामने आया, लेकिन अनुज के मामले में इसे लकी कहा जा सकता है। क्योंकि अगर लॉकडाउन ना लगता तो शायद अनुज कभी भी अपने माता-पिता से नहीं मिल पाता।

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अनुज को एक ऑस्ट्रेलियन परिवार ने गोद लेने का फैसला कर लिया था, जिसकी प्रोसेस भी पूरी लगभग कंप्लीट हो चुकी थी, लेकिन एकदम से लॉकडाउन होने के कारण अनुज ऑस्ट्रेलिया नहीं जा सका। शायद किस्मत यही चाहती थी कि अनुज अपने माता पिता से दोबारा मिले। वैसे अनुज के माता पिता मजदूरी करते हैं तो चर्चा होना लाजमी था कि अगर अनुज ऑस्ट्रेलिया चला जाता तो उसकी जिंदगी बेहतर हो जाती। 

शायद ऐसा हो भी जाता। अगर बड़ा होने के बाद अपने असली माता पिता से मिलने की टीस पूरी जिंदगी अनुज को जरूर सताती और सफलता इस चीज को नहीं देखती कि आप गरीब परिवार में पैदा हुए हैं या अमीर में, सफलता सिर्फ और सिर्फ आपकी मेहनत देखती है। चाइल्ड वेलफेयर कमेटी ने तमाम डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद अनुज को उसके माता-पिता को सौंप दिया।


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vinod kumar

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