उत्तराखंड, पंजाब, कश्मीर, राजस्थान के कलाकारों ने बांधा समां, ब्रह्मसरोवर के तट पर उमड़ी भीड़
punjabkesari.in Monday, Dec 02, 2019 - 12:40 PM (IST)
कुरुक्षेत्र(धमीजा): अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में देश भर से आए कलाकारों ने मदमस्त होकर अपने-अपने प्रदेश के लोक नृत्य को प्रस्तुत किया। उत्तराखंड, कश्मीर, पंजाब, राजस्थान, हिमाचल के कलाकारों ने कुरुक्षेत्र उत्सव गीता महोत्सव में समा बांधा और पर्यटकों ने तालियां बजाकर न केवल कलाकारों का अभिवादन स्वीकार किया, बल्कि उनकी प्रस्तुति की सराहना की और लोक नृत्यों पर डांस किया। अहम पहलू यह है कि रविवार को छुट्टïी होने के कारण ब्रह्मसरोवर के तट पर भारी भीड़ उमड़ पड़ी।
महोत्सव के 9वें दिन सुबह व सायं के सत्र में उत्तराखंड, पंजाब, कश्मीर, राजस्थान के साथ-साथ विभिन्न प्रदेशों के के कलाकारों ने अलग-अलग व एक साथ अपनी प्रस्तुति देकर पर्यटकों को तालियां बजाने पर मजबूर कर दिया। भारत के इन सांस्कृतिक झरोखों को देखकर पर्यटक भाव-विभोर हो गए। इस उत्सव के इस मंच पर भारत की लोक संस्कृति को देखा जा सकता है।
इन लोक नृत्यों में हिमाचल प्रदेश के गद्दी लोक नृत्य ने पर्यटकों के सामने अपनी प्रस्तुति देकर खूब वाहवाही बटोरी है। इस उत्सव में पंजाब, उत्तराखंड, हिमाचल, कश्मीर और राजस्थान के लोक कलाकारों ने पर्यटकों का मनोरंजन किया। इस महोत्सव में आने वाले पर्यटक जहां शिल्पकला को पसंद कर रहे हैं, वहीं सांस्कृतिक कार्यक्रमों का भी आनंद ले रहे हैं। पंजाब के बाद जम्मु कश्मीर के लोक कलाकारों ने धमाली की प्रस्तुति दी। इस प्रकार ब्रहमसरोवर का महिला घाट भारत की संस्कृति का केंद्र बनता नजर आया। इस मंच पर सभी प्रदेशों की संस्कृति की झलक देखी गई।
ग्रंथ अकादमी की तरफ से महोत्सव में लगाई गई है पुस्तक प्रदर्शनी
अंतर्राष्ट्रीय गीता महोत्सव में हरियाणा ग्रंथ एकादमी द्वारा स्टाल पर पुस्तकों की प्रदर्शनी लगाई गई है। गं्रथ एकादमी के सदस्य राजेश ने बताया कि हरियाणा गं्रथ एकादमी पिछले 3 सालों से यहां प्रदर्शनी लगा रहे है। उन्होंने बताया कि इस प्रदर्शनी का मुख्य उद्देश्य हरियाणा के साहित्य व इतिहास को जन-जन तक पहुंचाना है। एकादमी द्वारा इन पुस्तकों पर 30 से 75 प्रतिशत तक की छूट दी जा रही है। उन्होंने बताया कि इस पुस्तक प्रदर्शनी में इतिहास साहित्य के अलावा लोक प्रशासन, जनसंचार आदि की पुस्तकें भी उपलब्ध है। यहां पर सांग व रागिनी परम्परा की पुस्तकें, परीक्षाओं की तैयारियां कर रहे विद्याॢथयों के लिए उपयोगी पुस्तकों के अलावा विभिन्न जिलों का इतिहास भी यहां पर मौजूद है।
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