चिकित्सकों के निर्देश: डेंगू से डरने की बजाए जागरूकता ज्यादा जरूरी, ये केवल एक वायरल फीवर

punjabkesari.in Friday, Oct 29, 2021 - 02:00 PM (IST)

चंडीगढ़( चंद्रशेखर धरणी): हरियाणा में लगातार डेंगू के मरीजों की संख्या में इजाफा आमजन को परेशान किए हुए है। वही स्वास्थ्य विभाग के विशेषज्ञ डेंगू से डरने की बजाय इसके बचाव के उपायों में इजाफा करने की सलाह दे रहे हैं। इस बारे में पंचकूला सिविल अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक गोपाल भारद्वाज ने महत्वपूर्ण जानकारियां देते हुए बताया कि सीजन बदलने पर बारिश आने से जगह-जगह जो पानी का ठहराव हुआ उसमें मच्छर पैदा होने तथा उनके काटने के चलते एकाएक डेंगू में इजाफा देखा जा रहा है। इस बीमारी से बचने के लिए इसके बचाव के साधनों को अपनाना अति आवश्यक है। शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले कपड़े पहनकर मच्छर के काटने से बचा जा सकता है। साथ ही इनकी पैदावार को खत्म करने पैदावार को पनपने से रोकने के लिए अपने घर या आसपास के क्षेत्र में पानी को या तो इकट्ठा ना होने दें, अगर कहीं इकट्ठा है अभी तो वहां सप्रे करके मच्छर की पैदावार पर रोक लगाई जानी चाहिए।

गोपाल भारद्वाज ने कहा कि अगर किसी को बुखार आता है तो सबसे पहले अच्छे चिकित्सक की सलाह से चेकअप करवाना चाहिए और उनसे मिली हिदायतों को अपनाना चाहिए। डेंगू से घबराने की जरूरत नहीं है। यह एक वायरल फीवर है। जिसमें कुछ केस अवश्य सीरियस हो जाते हैं। लेकिन अगर शुरू से ही व्यक्ति अपनी हाइड्रेशन, पानी की मात्रा इत्यादि को परिपूर्ण रखें तो स्थिति गंभीर नहीं होगी। घर में बना ओआरएस जैसे शिकंजवी इत्यादि का अधिक से अधिक प्रयोग करना चाहिए। शुगर के मरीज नींबू पानी और नारियल पानी पीकर अपने आपको काफी हद तक सुरक्षित रख सकता है। क्योंकि इससे सर्कुलेट्री वॉल्यूम बनी रहती है। जो खून की तरल मात्रा ब्लड प्रेशर को ड्रिप नहीं करने देती। जिससे मरीज सीरियस नहीं होता। बुखार में ऐसी चीजों का इस्तेमाल करना चाहिए जो ब्लडिंग के चांसेस नहीं पैदा होने देती। दिन में दो-तीन बार पेरासिटामोल टेबलेट, कोल्ड स्पैमिंग इत्यादि ज्यादा बुखार में मदद देता है।

भारद्वाज ने बताया कि डेंगू आने से पहले कुछ लक्षण जैसे बॉडी में अकडाहट, जुखाम, मुंह का स्वाद बदल जाना और थकावट आना जैसे लक्षण दिखने लगते हैं। इसमें हम ओआरएस पीने की सलाह देते हैं। डेंगू आने के बाद एक बार प्लेटलेट का स्तर काफी हाई हो जाता है और फिर गिरना शुरू हो जाता है। शुगर, कैंसर, ब्लड प्रेशर इत्यादि गंभीर बीमारियों से ग्रस्त व्यक्ति को 15-20 हजार प्लेटलेट के लेवल तक ज्यादा दिक्कत नहीं होती और स्वस्थ व्यक्ति को 10000 तक ज्यादा गंभीर नहीं माना जाता। इलाज के बाद प्लेटलेट बढ़ने शुरू हो जाते हैं। अगर उसमें ब्लीडिंग के लक्षण दिखे तो प्लेटलेट चढ़ाने की जरूरत कुछ दिनों की सपोर्ट के लिए होती है। कुछ दिन इलाज के बाद बॉडी अपने आप प्लेटलेट बनाना शुरु कर देती है।

भारद्वाज ने बताया कि स्वास्थ्य मंत्री के सख्त निर्देशों के बाद हमारी एडमिनिस्ट्रेशन अथॉरिटी, चिकित्सक बचाव कार्य में लगे हुए हैं। हम इलाज के साथ-साथ एडवाइजरी भी दे रहे हैं। अस्पतालों में दवाइयों की कोई कमी नहीं है। गंभीर स्थिति के मरीजों को इमरजेंसी में अलग-अलग लेवल के हिसाब से रखा जा रहा है। जिन वार्डों में काम कम था उन्हें डेंगू वार्ड में कन्वर्ट कर दिया गया है। आने वाले हर मरीज को अटेंड किया जा रहा है। कुछ झोलाछाप डॉक्टरों इत्यादि द्वारा फैलाए गए भ्रम के कारण आम लोग प्लेटलेट इत्यादि घटने से अधिक भयभीत हो जाते हैं। लेकिन केंद्र सरकार, एम्स और पीजीआई की गाइडलाइन फॉलो की जा रही हैं। डेंगू के मरीज को प्लेटलेट से ज्यादा लिक्विड और स्पोर्टिव ट्रीटमेंट की आवश्यकता होती है। बहुत कम केसों में सीरियस पोजीशन पर हम प्लेटलेट के लिए सलाह देते हैं। इसलिए डेंगू से डरने की बजाए जागरूकता बहुत अधिक आवश्यक है।


 


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Content Writer

Isha

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