सिर्फ बराला ही हैं खट्टर के लिए "राइट च्वाइस", भाजपा प्रदेशध्यक्ष के लिए मनमाफिक चेहरा!

punjabkesari.in Friday, Mar 20, 2020 - 09:56 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): भाजपा हरियाणा प्रदेश अध्यक्ष के लिए इस समय गोटियां बिछाई जा रही हैं। राज्यसभा की दोनों सीटों के लिए किसी जाट नेता की बजाय दलित और पिछड़े नेताओं को सेलेक्ट किए जाने के बाद अब प्रदेश अध्यक्ष पद पर जाट नेता की तैनाती की संभावनाएं ज्यादा प्रबल हो गई हैं। हरियाणा की सत्ता पर काबिज होने के चलते भाजपा के लिए प्रदेश अध्यक्ष का पद भी खास मायने रखता है। सरकार और संगठन के बीच संतुलन कायम करने के लिए प्रदेशाध्यक्ष की भूमिका बेहद खास होती है। इसलिए इसके चयन को लेकर कई बेहद जरूरी "फैक्टरों" को खंगाला जा रहा है।

पांच "पांडव" हैं प्रधानगी के दावेदार 
भाजपा के पांच बड़े जाट नेता प्रदेश अध्यक्ष का पद हासिल करने के लिए भरपूर कोशिश कर रहे हैं। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र सिंह, पूर्व प्रदेश कृषि मंत्री ओमप्रकाश धनखड़, पूर्व प्रदेश वित्त मंत्री कैप्टन अभिमन्यु और दूसरी बार विधायक बने महिपाल ढांडा प्रदेश अध्यक्ष बनने की हसरत रखते हैं। ये सभी नेता अपने चयन को पक्का करने के लिए भाजपा हाईकमान के दरबार में अपने आकाओं से फरियाद कर रहे हैं और फील्डिंग को जंचा रहे हैं।

सीएम की एनओसी होगी डिसाइडिंग
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष पद पर तैनाती के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की एनओसी सबसे "डिसाइडिंग" फैक्टर रहेगी। मुख्यमंत्री ऐसा प्रदेशाध्यक्ष चाहेंगे जो उनके साथ पूरा तालमेल कायम करते हुए सरकार और पार्टी के बीच बेहतर समन्वय कायम कर सकें। मनोहर लाल ऐसा प्रदेशाध्यक्ष हरगिज नहीं चाहेंगे जो उनकी सोच के साथ मैच ना करता हो और जिसके साथ काम करने में उन्हें किसी तरह की परेशानी हो। मुख्यमंत्री प्रदेशाध्यक्ष के लिए अपनी एनओसी देने से पहले पूरा तोल-मोल करते हुए अपना फैसला सुनाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि प्रदेशाध्यक्ष जहां एक तरफ उनका "सहारा" बन सकता है। वहीं दूसरी तरफ उनके लिए "सिरदर्द" भी साबित हो सकता है।

बराला हैं राइट च्वाइस
वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष सुभाष बराला मुख्यमंत्री के लिहाज से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए सबसे राइट च्वाइस नजर आ रहे हैं। अपने वर्तमान कार्यकाल के दौरान सुभाष बराला ने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ पूरी ट्यूनिंग बैठाते हुए हर मोर्चे पर उनका साथ निभाया है। दोनों ही नेताओं के बीच एक बार भी रिश्तो में खटास नजर नहीं आई। सुभाष बराला मुख्यमंत्री के मिजाज को बेहतरीन तरीके से समझ गए हैं। इसी हिसाब से पार्टी संगठन और सरकार के बीच वे कड़ी के रूप में काम कर रहे हैं। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को सुभाष कराला के कामकाज को लेकर कोई भी शिकायत नहीं है। इसलिए बराला की दुबारा लॉटरी लग सकती है।


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Shivam

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