घोटालों की पर्यायवाची है गठबंधन सरकार, जांच से क्यों डरती है: भूपिंद्र सिंह हुड्डा

punjabkesari.in Saturday, Aug 29, 2020 - 11:34 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): हरियाणा में एक बाद एक कई घोटाले सामने आए। इन घोटोलों को लेकर कांग्रेस लगातार प्रदेश सरकार को घेर रही है। इस बीच नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा ने कहा कि धान घोटाले की सी.बी.आई की जांच करवाओ, पैसा कहां-कहां से, किसके-किसके पास गया, कहां लूट मची, सब सामने आ जाएगा। उन्होंने कहा कि गठबंधन सरकार घोटालों की पर्यायवाची है, जांच से क्यों डरती है।

हरियाणा के मुख्यमन्त्री, विधानसभा स्पीकर समेत कई कर्मचारियों के कोरोना पॉजिटिव रहने से जो मानसून सत्र बड़ा हंगामेदार रहने वाला था, उसका एक दिन में बड़ी आसानी से समापन हो गया। इसे लेकर नेता प्रतिपक्ष भूपेन्द्र सिंह हुड्डा कितने सन्तुष्ट हैं? और बरौदा उपचुनाव को लेकर काग्रेंस की रणनीति आखिर क्या है ? इन सब सवालों को लेकर पंजाब केसरी के विशेष प्रतिनिधि चन्द्रशेखर धरनी ने हुड्डा से बातचीत की। 

जिसके कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं-
प्रश्न- विधानसभा सेशन एक दिन तक ही सीमित रहा। इसमें आमजम के मुद्दे पूरी तरह से नहीं आ सके ?
उतर- यह तो ऐसी परिस्थिति बन गई थी। मुख्यमन्त्री, विधानसभा स्पीकर, काफी कर्मचारी कोरोना से संक्रमित पाए गए हैं। सबकी जान खतरे में हैं। उन्होंने सुझाव दिया था कि सेशन 2 दिन की जगह एक दिन कर दिया जाना चाहिए। मैंने इस पर सहमति जताई थी। लेकिन मैंने कहा था कि जो जरूरी काम है वह कर लो। लेकिन जो फैसला बी.ए.सी. की मीटिंग में नहीं हुआ था, वो भी कर दिया इन्होंने।

प्रश्न- सता पक्ष का दावा है कि जो भी बी.ए.सी. की मीटिंग में तय हुआ था। हम उससे बाहर नहीं गए और इस मीटिंग में हुड्डा साहब भी मौजूद थे ?
उतर- मैं मौजूद था उसमें। यह तय हुआ था कि जो जरूरी बिल होंगे वो ही लेकर आएंगें। तय हुआ था कि हाईकोर्ट में जिनका जवाब देना है या कोर्ट ने जिनका टाईम बाउन्ड कर रखा है। वह ही लेकर आएंगे। लेकिन हाउस में वो इस बात पर कायम नहीं रहे और नाजरूरत के बिल भी लेकर आए। जैसे बिल 7ए. रजिस्ट्री घोटाले को कवर करने के लिए लेकर आए और दूसरी तरफ कहते हैं कि रजिस्ट्री घोटाला हुआ ही नहीं। 

प्रश्न- शराब घोटाला, रजिस्ट्री घोटाले पर उपमुख्यमन्त्री ने ब्यान दिया है कि भ्रष्टाचार नही अनियमितताएं हैं। जिनकी जांच भी की जा रही है और कार्यवाही भी की जा रही है ?
उतर- धान घोटाले में हम तो कह रहे हैं कि घोटाला है वो कह रहे हैं कि नहीं है। अगर नहीं है तो जांच करवाने में उन्हें क्या एतराज है। सी.बी.आई की जांच करवाओ। पैसा कंहा-कंहा से, किसके-किसके पास गया। किस प्रकार से लूट मची, सब सामने आ जाएगा। केवल धान घोटाला ही क्यों किलोमीटर स्कीम घोटाला, माइनिंग घोटाला, भर्ती में घोटाला, पेपर लीक घोटाला, शुरू में गिरदावरी में घोटाले हुए। 

पी.टी.आई. का पेपर लीक हो गया। यह कह रहे हैं कि घोटाला नहीं हुआ। लोग इनकी सरकार से परेशान हो चुके हैं। किसान को भाव नहीं मिल रहा। हाल ही में करनाल में धान 1100-1200 में बिकी। डीजल का भाव इतना बढ़ा दिया। किसान को लागत मूल्य भी नहीं मिल पा रहा।

प्रश्न- जिस प्रकार से फाइनल एग्जाम की बच्चों की परीक्षा लेने के लिए सरकार कटिबद्ध है। सदन में भी शिक्षा ने यह कहा है। दूसरी तरफ एन.एस.यू.आई. इसका विरोध कर रही है। आपका स्टैंड क्या है ?
उतर- बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं होना चाहिए। लेकिन उनकी सुरक्षा के साथ भी नहीं किया जा सकता। जब हम अपना सेशन नहीं कर सकते। तो एग्जाम कैसे दे सकते हैं।

प्रश्न- बरौदा चुनाव को लेकर कांग्रेस की क्या रणनीति है। कोरोना काल में लोगों के साथ किस प्रकार से जनसम्पर्क किया जा रहा है
उतर- हमारे साथी घर-घर पहुंच रहे हैं। सम्पर्क कर रहे हैं। क्योंकि अभी पब्लिक मीटिंग तो कर नहीं सकते। लेकिन घर-घर पहुंचकर इस सरकार की गलत नीतियों के बारे में लोगों को बताया जा रहा है। जनता इस सरकार से परेशान है और बरौदा का यह चुनाव हरियाणा का भविष्य तय करने वाला होगा। कांग्रेस बरौदा से भारी मतों से चुनाव जीतने जा रही है।

प्रश्न- कोरोनाकाल को देखते हुए आने वाले समय में पूरे प्रदेश में किस प्रकार से जनता तक पहुंचेगे ?
उतर- हमारे साथी तो जा रहे हैं। आगे जो भी गाइडलाइन होंगी इलेक्शन कमीशन की। उनके हिसाब से चुनाव भी लड़ेंगे और जनता के बीच भी जाएंगे।

प्रश्न- जे.जे.पी. और उपमुख्यमन्त्री दुष्यन्त चैटाला द्वारा यह कहा जाना कि विपक्ष के पास तो कोई मुद्दे ही नहीं हैं। ये तो केवल शोर मचाते हैं। इस पर क्या कहेगें ?
उतर- इन्होंने यमुना का रास्ता बदल दिया। खनन घोटाला मामले में सुप्रीम कोर्ट ने इनको अंकित किया है। पर किलोमीटर स्कीम में घोटाला हुआ। फिर यह कैंसिल हुई। एक के बाद एक घोटाले कर रही है, यह सरकार और यह मुद्दों की बात करते हैं। आज किसान इनके द्वारा लाए गए अध्यादेशों से परेशान है। यह फ्री मार्केट की बात करते हैं इससे किसान को बहुत नुकसान होने वाला है और व्यापारी को बहुत ज्यादा फायदा। 

हमने इन अध्यादेशों के बाद सरकार से मांग की थी कि चौथा अध्यादेश एक और लाओ जिसमें यह होगा कि जो भी किसान की फसल एम.एस.पी. से कम कीमत पर खरीदेगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही का प्रावधान होगा। लेकिन ऐसा नहीं होगा। क्योंकि सरकार का केवल एक उद्देश्य है कि बड़े व्यापारियों की तिजौरियों को भरना। आज प्रदेश पर कर्ज बढ़ चुका है। आम छोटा व्यापारी, दुकानदार, किसान, मजदूर, कर्मचारी सभी परेशान हैं और यह कहते हैं कि हमारे पास मुद्दे नहीं हैं।


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vinod kumar

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