अगर कानून वापस न लिए तो यह केंद्र व राज्य सरकार के लिए कफन में कील साबित होंगे: सुभाष बत्रा

punjabkesari.in Monday, Dec 07, 2020 - 10:45 AM (IST)

चंडीगढ़ (चंद्रशेखर धरणी) : सरकार का ढुलमुल रवैया है और भारत सरकार पूरी तरीके से किसानों की इस मूवमेंट को फेल करने में लगी है। देश के लाखों मजदूर-किसान दिल्ली में बैठे हैं। सरकार को तो पहले ही दिन फैसला ले लेना चाहिए। लेकिन सरकार किसानों को हताश करना चाह रही है। यह कानून खासतौर पर प्रदेश की बीजेपी की सरकार के कफन का कील साबित होने वाले हैं। यह बात पूर्व गृह राज्य मंत्री सुभाष बत्रा ने पंजाब केसरी से बातचीत के दौरान कही। उन्होंने कहा कि हरियाणा सरकार अपना पूरा कार्यकाल नहीं कर पाएगी। आने वाले कुछ समय में ही यह सरकार अपने बोझ तले खुद दब जाएगी।

बत्रा ने कहा कि आज ऑल इंडिया किसान यूनियन ने फैसला किया है कि जो विधायक और सांसद किसानों की सपोर्ट में नहीं खड़े हुए, उनका विरोध किया जाए। उन्होंने कहा कि 2 दिन और देखो यह सभी प्रतिनिधि खुलकर किसानों के हक में खड़े होंगे और प्रदेश की  मनोहर सरकार गिर जाएगी। उन्होंने हाल ही में अभय चौटाला के बयान पर टिप्पणी की है कि अभय चौटाला क्यों इंतजार कर रहे हैं, किसान उनके पास जाकर इस्तीफे के लिए अपील थोड़ी ना करेंगे। किसान तो सभी का इस्तीफा चाहता ही है।

बत्रा ने कहा कि ऑल इंडिया किसान यूनियन ने शायद 9 तारीख को होने वाली सरकार के साथ बैठक में ना जाने का फैसला ले सकती हैं। क्योंकि उन्होंने सरकार से हां या ना लिखकर कहा था। इसलिए उन्हें मीटिंग में जाना भी नहीं चाहिए। बत्रा ने कहा कि यह सरकार बड़े पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए किसानों के हक में कोई फैसला नहीं करना चाहती। साथ ही बत्रा ने कांग्रेस पर भा.ज.पा. के आरोप का भी जवाब देते हुए कहा की राहुल गांधी और सोनिया गांधी ने इस कानून के पास होते ही इसका विरोध कर दिया था और कह दिया था कि कांग्रेस किसानों के साथ है। फिर इसमें खेल कौन सा रहेगा। कांग्रेस आज नहीं हमेशा से ही किसान-मजदूरों के साथ खड़ी रही है।


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Manisha rana

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