तिरंगा यात्रा की सफलता से भाजपाई गदगद, निकाय चुनाव में प्रदेश में खिलेगा कमल!

punjabkesari.in Thursday, Aug 12, 2021 - 04:13 PM (IST)

रेवाड़ी/नारनौल (योगेंद्र सिंह): किसान आंदोलन एवं कोरोना काल में लोगों की नाराजगी झेल रही भाजपा के लिए तिरंगा यात्रा किसी ऑक्सीजन से कम नहीं है। तिरंगा यात्रा को प्रदेशभर में मिली सफलता से भाजपा नेता गदगद हैं। अब तिरंगा यात्रा के माध्यम से भाजपा प्रदेश में होने वाले 43 नगर पालिका एवं परिषद चुनाव में परचम लहराने का सपना देख रही है। हालांकि यह सच भी है कि जिस प्रकार से हरियाणा के लोगों ने तिरंगा यात्रा को अपना समर्थन दिया और इसका स्वागत किया उससे तो साफ लगता है कि किसान आंदोलन एवं कोरोना काल की लोगों की नाराजगी अब दूर हो गई है। इस सफलता के लिए सबसे अधिक संगठन के कार्यकर्ता एवं पदाधिकारियों ने दिन-रात पसीना बहाया था और इसके परिणाम भी सार्थक रहे।

किसान आंदोलन से ही आंदोलनकारियों के निशाने पर भाजपा पार्टी एवं उसके नेता रहे हैं। आंदोलनकारियों ने पार्टी प्रोग्राम एवं मंत्रियों के कार्यक्रम का बायकाट करने के साथ ही उसका जमकर विरोध किया था। यह दौर आज भी जारी है। इसी बीच कोरोना काल में जो हालात खराब हुए उसके लिए भी लोगों ने भाजपा को ही जिम्मेदार माना। विपक्ष ने भी आग में घी डालने का प्रयास किया और खट्टर सरकार पर लगातार तीखे प्रहार किए। विपक्ष को लोगों का साथ भी मिला और यही कारण रहा कि कोरोना काल में भाजपा का पूरे प्रदेश में जमकर विरोध हुआ। 

इसी के चलते प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ एवं सीएम मनोहरलाल खट्टर ने मंत्रणा कर इस विरोध की काट तलाशने की दिशा में मंथन किया। नतीजा सरकार एवं उसके मंत्रियों के विरोध के चलते रास्ता निकाला गया कि इसके लिए संगठन के कार्यकर्ताओं एवं पदाधिकारियों को मैदान में उतारा जाए। यह दांव काम कर गया और कार्यकर्ताओं ने गांव-गांव, शहर-शहर जाकर लोगों से सीधा संवाद किया और उनकी समस्याओं को दूर किया। गलतफहमियां दूर होने उपरांत लोगों से ओर अधिक जुडऩे में तिरंगा यात्रा ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। 

जानकारों की माने तो यह भी एक रणनीति का हिस्सा थी और यह पूरी तरह अपने मकसद में सफल भी रही। जिस प्रकार से तिरंगाा यात्रा को लोगों का सपोर्ट मिला वह भाजपा के लिए किसी संजीवनी से कम नहीं है। अब इसी संजीवनी से भाजपा नगर पालिका एवं नगर परिषद चुनाव में फतह हासिल करना चाहती है। लोगों के सहयोग के चलते यह प्रतित होता है कि निकाय चुनाव में प्रदेश में एक बार कमल खिल सकता है। 



खट्टर-धनखड़ की जुगलबंदी आई काम
पहले किसान आंदोलन फिर कोरोना काल ने सीएम मनोहरलाल खट्टर एवं प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ की नींद ही उड़ाकर रख दी थी। इनकी जुगलबंदी और उनके बीच का तालमेल का ही नतीजा है कि कोरोना काल में संगठन कार्यकर्ताओं ने भाजपा एवं लोगों के बीच का गेप कम किया। अब अब तिरंगा यात्रा ने तो पूरी तरह प्रदेश का माहौल ही बदलकर रख दिया। भाजपा तिरंगा यात्रा की सफलता के दम पर ही अब निकाय चुनाव फतह हासिल करने का सपना देख रही है। यह अलग बात है कि निकाय चुनाव के परिणाम क्या होते हैं लेकिन भाजपाईयों को जीत का पूरा विश्वास है।

युवा एवं सीनियर के बीच तालमेल काम आया
प्रदेशाध्यक्ष ने संगठन का जब विस्तार किया तो उन्होंने सुनी सबकी लेकिन की अपनी। इसके लिए उन्होंने कई वरिष्ठ भाजपा नेता, सांसदों के करीबियों को दरकिनार किया। युवा और सीनियर का तालमेल बैठाकर लंबे समय से उपेक्षित चल रहे कार्यकर्ताओं के जिम्मे पर बोझ डाला और इसी का परिणाम है कि आज प्रदेश में भाजपा लोगों के बीच एक बार फिर अपना विश्वास बनाने में सफल रही है। हालांकि इसके लिए धनखड़ पर काफी दबाव था और उन्हें वरिष्ठों की नाराजगी भी सहना पड़ी लेकिन पार्टी को मजबूत रूप देने के लिए वह नहीं डिगे और आज इसका परिणाम सभी के सामने है।

चुनाव को लेकर लगातार हो रहा मंथन
निकाय चुनाव को लेकर सीएम मनोहरलाल खट्टर, प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ एवं अन्य कमेटी सदस्यों के बीच लगातार मंथन हो रहा है। चुनाव आयोग पहले ही कह चुका हैकि वह चुनाव कराने के लिए पूरी तरह तैयार है। अब भाजपा अपनी रणनीति बनाकर स्वतंत्रता दिवस पश्चात चुनाव आयोग का चुनाव कराने के लिए पत्र लिख सकती है। इस स्थिति में सितंबर-अक्टूबर में प्रदेश में चुनाव होने की उम्मीद बनती नजर आ रही है।


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Content Writer

Shivam

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