हरियाणा में भाजपा की नई रणनीत, 2024 के पहले धरातल बनाने की कवायद

punjabkesari.in Sunday, Oct 10, 2021 - 04:56 PM (IST)

रेवाड़ी/महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह): भले ही अभी प्रदेश में और देश में लोकसभा चुनाव में काफी समय है लेकिन भाजपा ने प्रदेश में अपनी मजबूत पकड़ बनाने के लिए अभी से रणनीति बनाकर उस पर काम करना शुरू कर दिया है। संभवत : यही कारण है कि भाजपा पर सवाल उठाने वाले उसके ही नेताओं से वह सुलह करने के मूड में नहीं है। इसके लिए वह पुरानों की जगह नए नेताओं को तवोज्जों देकर उनके माध्यम से आगामी चुनाव में विजयी पताका पहराने की योजना बनाई है। इसी के चलते उसने पार्टी पर सवाल उठाने वाले नेताओं को साइड लाइन करने का काम युद्धस्तर पर शुरू कर दिया है। इसकी शुरूआत उसने राष्ट्रीय कार्यकारिणी में शामिल हरियाणा के दो दिज्गज नेताओं की छुट्टी कर की है। इनकी जगह उसने दो नए चेहरों को जगह दी है। हालांकि साउथ हरियाणा में योजना के अनुसार केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव पूरी तरह सक्रिय भी हो गए हैं और उन्होंने कार्यकर्ताओं के साथ ही आम लोगों से मेल-मिलाप का दौर भी शुरू कर दिया है।

भाजपा ने हमेशा परिवारवाद का विरोध किया है और इसके लिए बड़े-बड़े दिज्गजों को उसने बाहर का रास्ता दिखा दिया। नामी-गिरामी नेताओं को साइड लाइन करने वाली पार्टी की रणनीति को हरियाणा के दो नेता नहीं समझ पाए। कांग्रेस से आए यह दोनों नेता अपने हिसाब से भाजपा को चलाने की कोशिश करते रहे और समय-समय पर पार्टी व उसके ही नेताओं को आंख भी दिखाते रहे। भाजपा ने विधानसभा चुनाव में अपने केंद्रीय मंत्री को सबक भी सिखाया और उनके लाख दबाव के बावजूद उनकी बेटी को टिकट नहीं दी। वहीं एक अन्य केंद्रीय मंत्री ने त्यागपत्र देकर अपने बेटे को लोकसभा की सीट दिलाई। त्यागपत्र देकर भले ही नेताजी ने अपने बेटे को सांसद बना दिया लेकिन अंदर ही अंदर वह भाजपा से नाराज थे। वहीं दूसरे नेता को अपनी बेटी का टिकट नहीं मिला तो वह भी तिलमिलाए हुए थे।

पार्टी को इन दोनों नेताओं की नाराजगी और उनकी अपने-अपने क्षेत्र में पकड़ की जानकारी थी। इसी के चलते भाजपा ने गुरुग्राम निवासी भूपेंद्र यादव को पहले केंद्रीय मंत्री बनाया और फिर उनकी जन आशीर्वाद यात्रा दक्षिण हरियाणा में निकलवाई। इस यात्रा का लोगों ने जबरदस्त स्वागत किया और केंद्रीय मंत्री के विरोधी भी इसमें शरीक हो गए। अभी तक विरोधी के पास कोई विकल्प नहीं था और भाजपा ने यह विकल्प सभी के सामने रख दिया है। जन आशीर्वाद से बौखलाए केंद्रीय मंत्री ने जमकर भाजपा और प्रदेश के सीएम पर कटाक्ष करते हुए प्रहार किए। भाजपा पहले से ही इसके लिए तैयार थी और नेताजी के जब बगावती सुर दिखे तो उसने धीरे से राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इनकी छुट्टी कर दी। वहीं दूसरे पूर्व केंद्रीय मंत्री ने जींद में इनेलो की महारैली में शरीक हुए और किसानों के प्रति लगातार हमदर्दीद दिखाई। इसके चलते राष्ट्रीय कार्यकारिणी से इनकी भी विदाई कर दी गई। इनकी जगह सांसद सुनीता दुज्गल को जगह मिली तो साउथ हरियाणा में केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव को।

हालांकि केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर नड्डा टीम में यथावत हैं यानि आने वाले समय में हरियाणा में पावर के तीन केंद्र रहेंगे। एक भूपेंद्र यादव, दूसरे कृष्णपाल गुर्जर तो तीसरी सुनीता दुज्गल। पार्टी अब इन तीनों के माध्यम से ही धरातल पर अपनी पकड़ मजबूत करेगी और आगामी चुनाव में विजय पातका भी इन्हीं के माध्यम से फहराने की रणनीति पर काम कर रही है। पीएम नरेंद्र मोदी व गृहमंत्री अमित शाह वाली भाजपा अब किसी से दबकर या उनसे सुलह करके आगे नहीं बढ़ेगी यह संदेश साफ कर दिया है। पार्टी हित एवं परिवारवाद से दूर रहने वालों को पार्टी में जगह व सम्मान मिलेगा यह संदेश अब सार्वजनिक रूप से दे दिया गया है। 

पिता-पुत्री ने चुनाव लडऩे का इरादा किया साफ
पटौदा की रैली में केंद्रीय मंत्री व उनकी बेटी ने चुनाव लडऩे का इरादा साफ कर सीधे-सीधे भाजपा को ही चुनौती दी है। हालांकि उन्होंने यह भविष्य पर छोड़ दिया कि वह किस पार्टी और कहां से चुनाव लड़ेंगे। यह सभी को पता है कि भाजपा में तो पिता-पुत्री को टिकट मिलना मुश्किल है, तो साफ है कि इस बार वह अपनी कोई पार्टी, संस्था के माध्यम से जनता के बीच जा सकते हैं। इसको लेकर मंत्रणा का दौर चल रहा है और जल्द ही इसका खुलासा भी हो जाएगा। हालांकि उनकी संस्था के पदाधिकारी इस समय काफी सक्रिय हैं और लोगों के बीच पहुंचकर उन्हें अपने पाले में करने में जुटे हुए हैं।

किसान आंदोलन से भाजपा को खतरा 
किसान आंदोलन से भाजपा को खतरा है और इसी के चलते सांसद, केंद्रीय मंत्री पार्टी से दूरी बनाने की रणनीति बनाते नजर आ रहे हैं। इन सभी को लगता है कि किसान आंदोलन के चलते कहीं उनकी राजनीति पर ग्रहण ना लग जाए और इसी के चलते वह संभावनाएं तलाश रहे हैं। वहीं समय-समय पर किसानों के पक्ष में बातचीत कर वह भाजपा को संदेश देने के साथ ही अपने मन की बात कह किसानों के सच्चे हमदर्दी बनने का भी प्रयास करते नजर आते हैं। हालांकि यह अलग बात है कि भाजपा इनके झांसे में नहीं आने वाली और वह आगामी चुनाव में अपनी नई टीम, चेहरों को लेकर जाने की रणनीति पर काम कर रही है।

ऐलनाबाद पर सभी की नजर
भाजपा से नाराज नेताओं की इस समय ऐलनाबाद के उपचुनाव पर नजर टिकी हुई है। वहां किसानों के विरोध का सामना भाजपा प्रत्याशी को लगातार करना पड़ रहा है। इसी के चलते भाजपा सांसद, केंद्रीय मंत्री इस समय वहां पर अपनी नजरें टिकाए हुए हैं। इस उपचुनाव के रिजल्ट के बाद ही यह नेता अपनी रणनीति का खुलासा करेंगे और आगे की राजनीति का रोड मैप तैयार करेंगे। यह बात सही है कि कृषि बिल को लेकर विरोध के स्वर पंजाब-हरियाणा में ही सबसे तेज हैं। इसी के चलते इस समय भाजपा विरोधी, बागी और विपक्ष भी उपचुनाव पर अपनी नजरें टिकाए हुए हैं।

 

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Content Writer

Isha

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