AAP द्वारा भगवंत मान को मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट करने के बाद भाजपा की राह हुई आसान: सुभाष बराला

punjabkesari.in Friday, Jan 21, 2022 - 08:23 AM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : पड़ोसी राज्य पंजाब के चुनावों को लेकर प्रदेश के धुरंधर भाजपा नेताओं को चुनावों की भिन्न-भिन्न जिम्मेदारियां मिली हैं। इस मौके पर हरियाणा सार्वजनिक उपक्रम ब्यूरो के चेयरमैन एवं भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला ने पंजाब चुनावों के मौजूदा हालातों पर चर्चा करते हुए कहा कि आज भारतीय जनता पार्टी में केवल पंजाब बल्कि सभी 5 राज्यों में सबसे मजबूत स्थिति में उभर कर सामने खड़ी है।

पंजाब को लेकर जहां हालात भाजपा के लिए ज्यादा अच्छे नहीं थे, आज पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींडसा जैसे लोगों पार्टियों के समर्थन के बाद स्थितियां बिल्कुल उलट हो गई हैं। दोनों ही पंजाब की गहराई को बखूबी जानते हैं और लंबे समय से राजनीति में अपनी ताकत का अनुभव समय-समय पर करवा चुके हैं। जिन पार्टियों की लहर और जीत की आशंकाएं लोगों के मुंह पर कुछ दिन पहले तक थी, उन पार्टियों के नेता आज भाजपा में शामिल होना एक स्वाभाविक बात नहीं है। जिस प्रकार से 2014 के चुनाव में हरियाणा में गैर राजनीतिक समीकरण उभर कर सामने आए थे, आज उसी प्रकार के समीकरण पड़ोसी राज्य में भी बनते दिखाई दे रहे हैं और इस बात का मैं दावा कर सकता हूं कि पंजाब में गठबंधन की सरकार शत प्रतिशत बनेगी। बराला ने कहा कि जब से आम आदमी पार्टी ने अपने सीएम के रूप में भगवंत मान को उम्मीदवार घोषित किया है तब से भाजपा की राह और अधिक सुगम हो गई है। 

इस मौके पर बराला ने किसान आंदोलन के नेताओं द्वारा चुनाव मैदान में उतरने के सवाल पर जवाब देते हुए कहा कि किसान आंदोलन किसानों की भलाई के दावे पर अवश्य हुआ। लेकिन देश के प्रधानमंत्री भी किसानों की भलाई ही चाहते थे। लेकिन हमारी पार्टी जनता के बीच अपनी बातों को सही ढंग से प्रस्तुत नहीं कर सकी, जिस कारण से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को यह कानून वापस लेने पड़े। लेकिन यह हर किसान जानता है कि जितना काम देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व भाजपा शासित राज्यों में किसानों के लिए हुआ उतना कभी नहीं हुआ, जिसका लाभ इन चुनावों में भाजपा को होना तय है।

किसान नेताओं की इच्छा पहले दिन से ही राजनीति में अपना स्थान बनाने की थी। लेकिन वह दावा करते रहे कि यह आंदोलन गैर राजनीतिक है। अब जब वह राजनीतिक मैदान में उतर ही चुके हैं तो उन्हें अपनी ताकत का अनुभव आसानी से हो जाएगा। क्योंकि इस आंदोलन में कुछ लोग किसानों की भलाई के लिए नहीं बल्कि अपने भविष्य को राजनीति में मजबूत करने के लिए काम कर रहे थे।

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Content Writer

Manisha rana

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