सुरजेवाला के आरोप पर BJP प्रवक्ता आत्रेय का पलटवार, बोले- पारदर्शिता ने बढ़ाई कांग्रेस की हाय तौबा

punjabkesari.in Monday, Jan 23, 2023 - 09:20 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी) : भाजपा प्रदेश प्रवक्ता प्रवीण आत्रेय ने कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला पर तंज कसते हुए कहा कि जैसे-जैसे हरियाणा की मनोहर सरकार की पारदर्शी कार्यप्रणाली के नतीजे सामने आ रहे हैं। वैसे-वैसे कांग्रेस की हाय तोबा का स्वर तेज हो रहा है। आत्रेय ने कहा कि पूर्व की कांग्रेस सरकार के दौरान हरियाणा में एक भ्रष्ट तंत्र खड़ा हो गया था। इसी भ्रष्ट तंत्र के सहारे नौकरियों और तबादलों में पर्ची-खर्ची का बोलबाला था। प्रदेश में मनोहर लाल के नेतृत्व में भाजपा सरकार बनते ही पहला प्रहार इस तंत्र पर हुआ। बिना पर्ची-खर्ची के योग्यता अनुसार नौकरियां देने की व्यवस्था लागू की। नक़ल गैंग के  साथ-साथ भ्रष्ट अधिकारियों पर कार्रवाई हुई। सरकार द्वारा आनलाइन ट्रांसफर पालिसी लाने का विरोध करने वाले भी यही लोग थे। इस पॉलिसी के आने से तबादला उद्योग बंद हो गया। सरकार के द्वारा 48 भ्रष्ट और अक्षय अधिकारियों पर कार्रवाई सरकार की भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस पॉलिसी का नतीजा है। 

 

प्रदेश में पंचायतें पढ़ी लिखी हो। यह अभूतपूर्व निर्णय मनोहर लाल ने लिया। परन्तु इन लोगों इस क़दम का विरोध करने में कोई कोर-कसर बाकी नहीं रखी। यह विषय को सुप्रीम कोर्ट तक गया। आज दूसरे प्रदेश भी हरियाणा सरकार की योजनाओं को अपना रहे हैं।

 

सरकारी योजनाओं का लाभ पात्र और जरूरतमंदों तक पहुंचाने के लिए सरकार ने परिवार पहचान पत्र योजना को अमलीजामा पहनाना शुरू किया तो यही लोग इसके विरोध में बयान बाजी करके जनता को गुमराह में जुट गए। सरकार अंत्योदय की भावना पर काम कर रही है। प्रदेश के संसाधनों पर पहला अधिकार गरीब व्यक्ति का है। परन्तु विरोध करने वाले प्रदेश के संसाधनों का दोहन स्वयं और चहेतों के लिए करते थे। इस योजना के कारण इसके उद्देश्य पर चोट पहुंची। सरकार ने हरियाणा में 2016 में डीबीटी लागू की तो इन लोगों ने विरोध में अजब गजब तर्क देने शुरू किए ‌। योजना लागू होने के बाद विरोध का कारण स्पष्ट हुआ। लगभग पौने तीन लाख पेंशन ऐसे लोगों के नाम से जाती थी। जो इस दुनिया में ही नहीं थे। सरकार की पारदर्शिता के कारण प्रदेश का लगभग एक हजार करोड़ रुपए बचने लगा। सवाल यह है कि यह पैसा किसकी जेब में जाता था। इन सब बातों पर प्रदेश के लोग भी ध्यान दें रहे हैं।

 

प्रदेश की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए सरकार द्वारा स्कूलों को समायोजित करने का निर्णय लिया। परन्तु यह तंत्र विरोध करने के लिए सक्रिय हो गया। एक ही स्थान पर अलग अलग श्रेणी में चलने वाले स्कूल प्रदेश के संसाधनों की फिजूलखर्ची थी। विरोध इसलिए था क्योंकि इस फिजूलखर्ची का लाभ इनके कुछ चहेतों को था।

 

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Content Writer

Gourav Chouhan

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