ऐलनाबाद सीट पर सितम्बर तक हो सकता है उपचुनाव, शुरू हुआ चर्चाओं का दौर

punjabkesari.in Sunday, Jun 20, 2021 - 01:00 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : कोरोना की दूसरी लहर का असर कम होने के बाद अब जहां प्रदेश में सियासी सरगर्मियां फिर से बढऩे लगी हैं तो इस बीच प्रदेश की ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर उपचुनाव करवाए जाने की चर्चाएं भी शुरू हो गई हैं। सूत्रों की माने तो ऐलनाबाद का उपचुनाव इसी वर्ष सितम्बर माह तक करवाए जाने की प्रबल संभावनाएं हैं। उल्लेखनीय है कि इसी साल 27 जनवरी को अभय सिंह चौटाला ने 3 कृषि कानूनों के विरोध में विधायक पद से अपना इस्तीफा दे दिया था और उसी दिन विधानसभा के अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने इसे स्वीकार करते हुए ऐलनाबाद सीट को रिक्त घोषित कर दिया था और तब से यह सीट खाली चली आ रही है।

नियमों के अनुसार किसी भी सीट पर 6 माह की अवधि में उपचुनाव करवाना जरूरी होता है, मगर अप्रैल माह में कोरोना ने ऐसी रफ्तार पकड़ी कि उसके बाद तो हरियाणा में स्थिति काफी चिंतनीय बन गई थी। इसी के चलते इस वर्ष 6 मई को भारतीय चुनाव आयोग ने ऐलनाबाद सहित देश में 8 जगहों पर होने वाले उपचुनावों को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया था। अब चूंकि कोरोना की रफ्तार कम हो गई है और परिस्थितियां सामान्य होने लगी हैं, ऐसे में ऐलनाबाद में इसी साल सितम्बर महीने तक उपचुनाव होने की संभावना बढ़ गई है।

गौरतलब है कि हरियाणा सहित देश के कई राज्यों में अप्रैल के महीने में कोरोना का ग्राफ तेजी से बढऩा शुरू हो गया था। मृत्यु दर भी बढ़ गई थी। ऐसे में चुनाव आयोग ने हरियाणा सहित 8 विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों को स्थगित किया था। अब कोरोना का असर कम हो गया है। ऐसे में उपचुनाव की घोषणा किसी भी वक्त हो सकती है। सितम्बर तक  चुनाव की उम्मीद इसलिए भी की जा रही है क्योंकि पश्चिम बंगाल सहित कई राज्यों में उपचुनाव होने हैं। सबसे अहम बात ये है कि खुद तृणमूल कांग्रेस की नेता और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उपचुनाव लडऩा है, क्योंकि इस वर्ष 2 मई को आए पश्चिम बंगाल के नतीजों में ममता नंदीग्राम विधानसभा सीट से चुनाव हार गई थी।

ऐसे में ममता बनर्जी को 6 माह के भीतर विधायक बनने के लिए विधानसभा उपचुनाव जीतना जरूरी है और वहां उपचुनाव नवम्बर से पहले हो सकते हैं। चूंकि अक्तूबर के महीने में बंगाल में दुर्गा पूजा का त्यौहार व्यापक पैमाने पर मनाया जाता है और अन्य राज्यों में भी अक्तूबर-नवम्बर में त्योहारी सीजन शुरू हो जाता है, ऐसे में संभावना यही है कि पश्चिम बंगाल में उपचुनाव सितम्बर में ही करवाए जा सकते हैं और इसी के साथ ऐलनाबाद का उपचुनाव भी संभावित है।

फिर से बढ़ेगी नेताओं की सक्रियता
27 जनवरी को अभय सिंह चौटाला की ओर से ऐलनाबाद सीट से त्यागपत्र दिए जाने और यह सीट रिक्त होने के चलते राजनेताओं की सक्रियता भी इस क्षेत्र में एकाएक तेज हो गई थी। खुद अभय चौटाला ने ऐलनाबाद में किसान महापंचायत का आयोजन करके चुनावी शंखनाद कर दिया था और उन्होंने ऐलनाबाद हलके के गांवों में जनसम्पर्क अभियान भी चलाया। इसी प्रकार से कांग्रेस की प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा ने भी दो दिनों में ऐलनाबाद के 20 से अधिक गांवों में सभाएं की और इस सीट पर होने वाले उपचुनाव के मद्देनजर कार्यकत्र्ताओं को सक्रिय करने के साथ साथ उम्मीदवार को लेकर भी मंथन किया।

इधर, मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने भी चंडीगढ़ में ऐलनाबाद के जनप्रतिनिधियों और भाजपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की और उनसे ऐलनाबाद सीट पर होने वाले उपचुनाव को लेकर पूरा फीडबैक हासिल किया। इसी तरह से जजपा के संरक्षक अजय चौटाला ने भी सिरसा स्थित अपने निवास स्थान पर कार्यकत्र्ताओं के साथ बैठक की थी,मगर चुनाव आयोग द्वारा इस सीट पर होने वाले उपचुनाव को कोरोना की वजह से अनिश्चतकाल के लिए स्थगित किए जाने के बाद तमाम चुनावी सरगर्मियां भी थम गई थी। अब चूंकि कोरोना की लहर कम हो गई है और चुनाव को लेकर अधिसूचना कभी भी जारी हो सकती है। ऐसे में एक बार फिर से ऐलनाबाद में नेताओं की सक्रियता तेज हो सकती है।

यह रहा है ऐलनाबाद का सियासी अतीत
जाट बाहुल्य ऐलनाबाद विधानसभा क्षेत्र साल 1967 से लेकर 1972 सामान्य जबकि 1977 से 2005 तक आरक्षित रहा। 2008 के परिसीमन के बाद यह हलका फिर से सामान्य हो गया। यहां पर 1967 से लेकर 2019 तक 13 सामान्य जबकि दो उपचुनाव हुए हैं। कुल 15 चुनावों में से 11 बार देवीलाल व चौटाला समर्थक नेता ही जीत दर्ज करते रहे हैं। जबकि 3 बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है और एक बार विशाल हरियाणा पार्टी को जीत मिली। साल 1970 में हुए उपचुनाव में ओमप्रकाश चौटाला विजयी हुए और 2010 के उपचुनाव में अभय चौटाला विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद अभय सिंह  2014 और 2019 के चुनाव में यहां से लगातार विधायक चुने गए।

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Content Writer

Manisha rana

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