संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुंची हरियाणा में बेटियां बचाने और पढ़ाने की मुहिम की गूंज

punjabkesari.in Monday, Jun 08, 2020 - 08:20 PM (IST)

चंडीगढ़: लड़कों और लड़कियों में भेदभाव खत्म करने की जो मुहिम हरियाणा में चल रही है, उसकी गूंज संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुंची है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस मुहिम की जमकर सराहना की। संयुक्त राष्ट्र संघ ने लैंगिक असमानता खत्म करने के प्रयासों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि देश में मेवात हरियाणा का ऐसा जिला है, जहां सबसे ज्यादा बेटियां जन्म लेती हैं। इस जिले का साक्षरता और स्वास्थ्य दर काफी कम है, जिसे बढ़ाने की दिशा में काम करना होगा। मेवात में बदलाव का मतलब है कि पूरी दुनिया में बदलाव संभव है।

मौका था सेल्फी विद डाटर अभियान के पांच बरस पूरे होने पर आयोजित इंटरनेशनल वेबिनार का, जिसमें देश और विदेश की कई हस्तियां जुड़ी। संयुक्त राष्ट्र संघ की भारत में महिला हेड निष्ठा सत्यम ने कहा कि बदलाव निजी होता है और इसके लिए किए जाने वाले प्रयास सामूहिक। बदलाव के लिए मन में विचार आना जरूरी है। विश्व स्तर पर हमें अपनी भूमिका निभानी होगी। घर में बदलाव आएगा तो गली में आएगा और गली में आएगा तो शहर में बदलाव होगा। शहर से प्रदेश, प्रदेश से देश और देश से दुनिया में बदलाव के रास्ते खुलेंगे।

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सेल्फी विद डॉटर अभियान से मेवात में लड़कियों के जीवन में सकारात्मक बदलाव आया है। निष्ठा सत्यम ने सुनील जागलान के महिला सशक्तिकरण के प्रयासों की जमकर सराहना की। सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन डे नौ जून मंगलवार को है। सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के संयोजक जींद जिले की बीबीपुर ग्राम पंचायत के पूर्व सरपंच सुनील जागलान हैं, जिनकी इस मुहिम को देश-विदेश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कई बार सराहा। दो बेटियों के पिता केंद्रीय राज्य मंत्री राव इंद्रजीत को भी इस वेबिनार में शामिल होना था, लेकिन पीएमओ की मीटिंग के कारण वह नहीं जुड़ सके। उनके स्थान पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करने का मौका हरियाणा की बेटी अनवी अग्रवाल को मिला, जो चंडीगढ़ के कार्मल कान्वेंट स्कूल की दसवीं कक्षा की छात्रा है।

इटेलियन फिल्म निर्देशक एवं अभिनेत्री बारबरा क्यूपिस्ती ने भारत में महिलाओं व लड़कियों की सुधर रही स्थिति का श्रेय काफी हद तक सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के अभियान को दिया। उन्होंने कहा कि आज दुनिया में भारत की छवि बदली है और लड़कियां हर फील्ड में आगे आ रही हैं। भारतीय फिल्म निर्माता विभा बख्शी ने लड़कियों को प्रोत्साहित करने वाले अभिभावकों की सराहना की। 

अंतरराष्ट्रीय शूटर मनु भाकर ने पुरुष प्रधान सोसायटी को खारिज किया, लेकिन साथ ही कहा कि अभिभावकों को बच्चियों को अपनी विचारधारा को सामने लाने की आजादी देनी चाहिए। कैंब्रिज यूनिवर्सिटी यूके में पढऩे वाली रोहतक की योगिता बांगड़ वहां पंचायत सिस्टम पर रिसर्च कर रही हैं। उन्होंने कहा कि हरियाणा से निकले उन्हें आठ साल हो गए हैं, लेकिन हरियाणा की महिलाओं में चैलेंज स्वीकार करने की गजब की हिम्मत है।

भाजपा के राज्यसभा सदस्य जनरल डीपी वत्स ने कहा कि बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और बेटी को बढ़ाओ, सेल्फी विद डाटर उसी मुहिम का हिस्सा है। बेटी को पराया धन समझने की मानसिकता में बदलाव लाना होगा। जनरल वत्स ने कहा कि वैसे तो हम सिंगल चाइल्ड के ही हक में हैं, लेकिन हम दो और हमारे दो भी हो जाएं तो अच्छा है। भले ही वह लड़कियां हो। संयुक्त राष्ट्र संघ महिला की मध्यप्रदेश में हेड पूजा सिंह ने सपनों को पूरा करने के लिए लड़कियों की पढ़ाई पर जोर दिया। सेल्फी विद डाटर फाउंडेशन के अध्यक्ष सुनील जागलान ने बताया कि यह कंपेन दीनबंधु सर छोटू राम को समर्पित है। लैंगिक असमानता के बहुत पुराने दौर में भी दीनबंधु ने हमेशा लड़कियों को महत्व दिया। केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत भी इसमें शामिल हैं।

सेल्फी विद डाटर फार सिंगल वूमैन कैटेगरी में विजेता पूजा ने अकेली औरत के संघर्ष की कहानी बयां की। जींद के रामराय गांव के रमेश ने बताया कि उनके पास एक बेटा और एक बेटी होने के बावजूद परिवार ने मजदूर की बेटी को गोद लिया है। मेवात के पिपाका गांव की रिजवाना ने कहा कि जब तक मेवात पढ़ेगा नहीं तो बढ़ेगा कैसे। मेवात के गांव साथरस की शहनाज ने महिलाओं व लड़कियों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक किया। लुधियाना की सुमेल कमल ने कहा कि बेटियां पैदा होने का गम नहीं बल्कि खुशी मनानी चाहिए।

रेडियो सिटी की दिल्ली में आरजे दिव्या ने ग्यारह से दो मां बहन का शो के बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि मां बहन की गाली देनी बंद करनी होगी। मेवात की अंजुम इस्लमाम ने इस बात पर चिंता जताई कि बेटी बचाने में मेवात नंबर वन और बेटी पढ़ाने में सबसे पीछे है। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही हरियाणा की लाडो अनवी अग्रवाल ने मां-बाप की सिंगल गर्ल चाइल्ड को प्रोत्साहित किया। मेवात की अरस्तुन खान अपने संघर्ष की कहानी बयां करते हुए भावुक हो गई। सेंट्रल यूनिवर्सिटी महेंद्रगढ़ के प्रोफेसर डॉ. दिनेश चहल ने कहा कि लहरों को शांत देखकर यह नहीं समझना कि समंदर में रवानी नहीं है।


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Shivam

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