क्या कुलदीप बिश्नोई की विधानसभा सदस्यता रद्द करवा सकती है कांग्रेस ?

punjabkesari.in Monday, Jun 13, 2022 - 08:27 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी): कांग्रेस पार्टी में बैठे कुलदीप बिश्नोई के विरोधी भले ही उनके द्वारा राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोट करने को लेकर उनकी सदस्यता समाप्त करवाने की बात कर रहे हो, लेकिन क्या कांग्रेस के पास असल में इसके लिए कोई रास्ता है। हरियाणा विधानसभा से सेवानिवृत्त एडिशनल सेक्रेटरी रामनारायण यादव ने बताया कि पार्टी बेशक अपने स्तर पर कुलदीप को पार्टी से निकाल सकती है। यह उनका अंदरूनी मामला है और पार्टी बेशक विधानसभा में लिख कर भी दे सकती है, लेकिन यह मामला डिसक्वालीफिकेशन के अधीन नहीं आता। उनके लिखकर देने के बावजूद भी ऐसा नहीं होगा। वह विधानसभा के सदस्य बने रहेंगे। उनकी पोजीशन ऐसी ही रहेगी।

तमिलनाडु विधानसभा स्पीकर जी ई विश्वनाथन के केस में सुप्रीम कोर्ट ने आदेश जारी किया था कि पार्टी द्वारा निष्कासित करने पर पार्लियामेंट्री सिस्टम से वह निष्कासित नहीं होंगे। उनके ऊपर पार्टी के नियम लागू नहीं होंगे, लेकिन पार्टी के ना चाहने के बावजूद वह सदस्य बने रहेंगे। राज्यसभा चुनाव से जुड़े कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि सदस्य को वोट देने का अधिकार है। नोटिफिकेशन होने पर वह सदस्य बनता है और सारे अधिकार पाता है। वह वोट डालने का अधिकारी होता है। लेकिन उसे हाउस में बैठने का अधिकार नहीं होता और फिर भी बैठेगा तो 500 रुपए प्रतिदिन का जुर्माना अदायगी करेगा।

साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तीसरी बात यह भी कही थी कि राज्यसभा का चुनाव हाउस की प्रोसिडिंग नहीं है। यह एक बाहर का प्रोसेस है जो स्पीकर के कंट्रोल में नहीं होता। इस पर इलेक्शन कमिशन का कंट्रोल होता है। हाउस की प्रोसिडिंग नहीं होने के नाते स्पीकर के पास डिसक्वालीफिकेशन या क्वालिफिकेशन का अधिकार नहीं होता। यादव ने कहा कि कांग्रेस की लाख कोशिशों के बावजूद कुलदीप बिश्नोई की सदस्यता रद्द नहीं होगी, वह बनी रहेगी। यह उनका कानूनी अधिकार है। यह अलग बात है कि वह स्वयं इस्तीफा दे दें और हो सकता है कि इस्तीफा देने के बाद अपने विधानसभा क्षेत्र से फिर से चुनाव जीत जाए। लेकिन डिसक्वालीफिकेशन या स्पीकर के हिसाब से उनकी सदस्यता रद्द नहीं हो सकती।

इस मामले में कोर्ट में भी कांग्रेस को नहीं मिलेगी कोई रिलीफ- यादव

यादव ने बताया कि यदि हरियाणा की 90 सीटों की कैलकुलेशन करें, वह थोड़ी देर में 89 और थोड़ी देर में 88 हो गई। जिससे पूरा सिस्टम बदल गया। वोट बेशक अजय माकन ने ज्यादा लिए थे।  यह एक परपोस्ट सिंगल ट्रांसफरेबल वोट का प्रावधान है। 1870 में इस फार्मूले को पूरे विश्व ने माना था। हरियाणा में 2940 वैल्यू चाहिए थी। 30 वोट लेकर पहला कैंडिडेट जीत गया। पहले उम्मीदवार से बची वोट जिस पर विकल्प दो लिखा था उसको ट्रांसफर हो गई। वहां जाकर वह नंबर वन हो गई। इसी सिस्टम की वजह से कार्तिकेय को यह जीत मिली है। इस सिस्टम में पहले राउंड के अंदर नंबर वन वोट रख लेते हैं। सिस्टम के दौरान कार्तिकेय को 29.6 और अजय माकन को 29 वोट मिले और कार्तिकेय जीत गए। कांग्रेस का यह वोट सही कैंसिल हुआ है। जबकि हम इस फार्मूले पर यहां तक भी चल रहे थे कि चुनाव ड्रा भी हो सकता है। लेकिन हम ड्रा से पहले इस फार्मूले में डेसिमल तक भी लड़ेंगे। डेसिमल पर बराबर-बराबर होने पर ड्रा की बात आती है। इसमें कोई खेला नहीं हुआ है। कांग्रेस बेशक कानूनी मदद की बात कर रही हो जो कि एक राजनीतिक स्टंट है। केस हारने पर भी हारने वाला व्यक्ति वकील के बिकने की बात कहता है। लेकिन न्यायालय में उन्हें कुछ हासिल नहीं होगा।

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भीबस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Vivek Rai

Recommended News

Related News

static