चढूनी की चुनावी महत्वाकांक्षा के कारण लगने लगे धोखाधड़ी और चंदा हड़पने के आरोप

punjabkesari.in Saturday, Jul 17, 2021 - 08:03 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी की चुनावी महत्वाकांक्षा जानने के बाद आज उनके खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी हो रही है, बल्कि चंदा हड़पने, कमीशन खाने और धोखाधड़ी करने के सीधे-सीधे आरोप लग रहे हैं, जिससे माहौल गर्माया हुआ है। हरियाणा में किसान आंदोलन का सबसे बड़ा चेहरा रहे गुरनाम सिंह चढूनी एक तरफ जहां अपनी चुनाव लडऩे की महत्वाकांक्षा की वजह से संयुक्त किसान मोर्चा का सस्पेंशन झेल रहे हैं, वहीं अब दूसरी तरफ उत्तरी हरियाणा के कुछ गांवों ने चढूनी के प्रवेश पर पंचायतों ने न सिर्फ बैन लगा दिया है, बल्कि भविष्य में चंदा देने से भी इंकार कर दिया है।

बागवाली गांव की पंचायत ने तो चढूनी के खिलाफ गांव के बाहर ही प्रवेश न करने देने का पोस्टर लगा दिया है। शनिवार को इसी गांव में किसानों ने पंचायत की थी और चढूनी के आंदोलन में चंदा न देने का निर्णय लिया है। किसान नेता गुरनाम सिंह चढूनी के खिलाफ मुर्दाबाद के नारे अब उसी उत्तरी हरियाणा के अम्बाला जिले में लग रहे हैं, जहां से किसान आंदोलन ने पिछले साल जोर पकड़ा था और दिल्ली बॉर्डर तक का सफर शुरू हुआ था। ये वही इलाका है जहां गुरनाम सिंह चढूनी को सबसे बड़े किसान नेता के रूप में जाना जाता रहा है। जहां गुरनाम सिंह चढूनी की हर गलती को भी माफ किया जाता रहा।

गुरनाम सिंह चढूनी जीटी बेल्ट के खासकर कुरुक्षेत्र, अंबाला, पंचकूला, यमुनानगर और करनाल के इसी इलाके के किसानों की हमेशा से  सियासत करते रहे हैं। पर चढूनी की चुनावी महत्वाकांक्षा  जानने के बाद आज उनके खिलाफ न सिर्फ नारेबाजी हो रही है, बल्कि चंदा हड़पने, कमीशन खाने और धोखाधड़ी करने के सीधे सीधे आरोप लग रहे हैं। सामाजिक बहिष्कार के भी बाकायदा पोस्टर एक पंचायत में नजर आए। पंचायत के बारे में जिक्र करने से पहले आपको बता देते हैं कि हाल ही में गुरनाम सिंह चढूनी की राजनीतिक महत्वाकांक्षा को संयुक्त किसान मोर्चा ने भांप लिया था और किसान आंदोलन में उन्हें संयुक्त किसान मोर्चा के किसी भी स्टेज पर बोलने को लेकर बैन कर दिया गया है। दरअसल चढूनी ने कुछ दिन पहले किसान मोर्चा को चुनाव में उतरने की बात कही थी।

क्या चढूनी किसान नेता हैं या फिर चुनावी नेता?
अगर किसान नेता हैं तो फिर बार-बार राजनीति के मैदान की तरफ क्यों  देख रहे हैं? और अगर चुनावी नेता हैं तो क्यों बार-बार किसानों का इस्तेमाल कर रहे हैं ? क्योंकि वे पहले खुद चुनाव भी लड़ चुके हैं, पत्नी को भी चुनाव लड़वा चुके हैं और अब तो नई पार्टी बनाने की मंशा भी जाहिर कर दी है। दरअसल किसानों का इस्तेमाल इसलिए, क्योंकि कई सालों से किसानों की भलाई का ठेका इनके पास ही है। कम से कम वो ऐसा दिखा रहे हैं, लेकिन वास्तविकता क्या है? उतरी हरियाणा के किसान अब खुद बता रहे हैं।

दरअसल असलियत जान चुके किसान अब साफ बता रहे हैं कि चढूनी ने किसानों का चंदा हड़पा है और चीनी मिलों से उगाही की है और किसानों के साथ कई बार धोखा किया है। चढूनी पर चीनी मिलों से उगाही, किसानों के साथ धोखाधड़ी और चंदे में गड़बड़ी के आरोप पहली बार नहीं लगे, इससे पहले भी कई बार आरोप लगते रहे हैं, और इन आरोपों से कभी भी चढूनी उबर नहीं पाए। आरोप लगाने वाले नए पीड़ित तैयार होते गए और अब पंचकूला जिले के बागवाली गांव में अकेले पंचकूला नहीं बल्कि 3 जिलों पंचकूला, यमुनानगर और अंबाला के किसान इक_ा हुए और पंचायत हुई। चढूनी के सामूहिक बहिष्कार का ऐलान हो गया हैऔर अगर बागवाली पंचायत में लगे ये आरोप सच हैं, तो पुराने आरोप भी झूठे नहीं हो सकते। फिर तो किसानों के कंधे पर चढ़कर चढूनी सत्ता की दहलीज पहुंचना चाहते हैं, ये एक कड़वा सच है। ऐसा किसानों का ही आरोप है।


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Content Writer

Shivam

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