सरकारी अध्यापकों के बच्चे भी प्राइवेट स्कूलों में लें रहें शिक्षा, आमजन का कम हो रहा विश्वास

punjabkesari.in Saturday, Dec 07, 2019 - 11:10 AM (IST)

जाखल (हरिचंद) : प्रदेश की 65 फीसदी आबादी इस बात के लिए राजी है कि अगर सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का स्तर, ढांचागत सुविधाएं और पाठ्यक्रम सुधर जाएं तो वे अपने बच्चों को सरकारी स्कूलों में पढ़ाना चाहेंगे। वहीं लोगों का कहना है कि अगर राजनेताओं, सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के बच्चे सरकारी स्कूल में ही पढऩे लगे तो व्यवस्थाएं जल्द सुधर जाएगी। लोगों का यह भी मानना है कि सरकारी स्कूलों की बदहाली के लिए मंत्री, अफ सर और अध्यापक भी जिम्मेदार हैं।

शिक्षकों को हजारों रुपए मासिक तनख्वाह, छात्रों को छात्रवृत्ति, साइकिल, भोजन, ड्रैस आदि सुविधाएं देने के बाद भी सरकारी स्कूलों में हर साल छात्रों की दर्ज संख्या कम हो रही है। वहीं वार्षिक परीक्षा परिणाम भी सरकारी स्कूलों की अपेक्षा निजी स्कूलों के बेहतर देखने को मिल रहे हैं। दरअसल संसाधन व शिक्षा गुणवत्ता की वजह से ही यह बड़ा अंतर देखा जा रहा है।  आंकड़े बयां करते है कि वर्ष दर वर्ष शासकीय विद्यालयों में बच्चों के नामांकन में गिरावट आ रही है। बच्चे व उनके परिजन निजी स्कूलों की तरफ  रुख करने लगे हैं।

जिसका फायदा निजी स्कूल संचालक उठा रहे हैं। धरातलीय यह है कि इसके पीछे कहीं न कहीं स्वयं शिक्षा विभाग जिम्मेदार है। विभागीय अधिकारियों के उपेक्षापूर्ण रवैये के कारणवश ही सरकारी स्कूलों का ग्राफ  निरंतर गिरता जा रहा है। मौजूदा समय में यहां एक तरफ  अधिकतर सरकारी स्कूल ऐसे हैं, जिनमें अध्यापकों की भारी कमी है। वहीं इसी बीच कुछ विद्यालय ऐसे भी हैं जिनमें बच्चों की दर्ज संख्या 10 से भी कम है, अपितु इन बच्चों को शिक्षा का पाठ पढ़ाने को 2-2 शिक्षक तैनात है।

लंबे समय से यह स्थिति है किंतु प्रशासन इससे अनजान बना है। उल्लेखनीय है कि शिक्षा विभाग के मानकों अनुसार स्कूल में 30 बच्चों को पढ़ाने के लिए एक शिक्षक तैनात होना चाहिए। अपितु आश्चर्य की बात यह है कि यहां ज्यादातर स्कूलों में सैंकड़ों बच्चों की शिक्षा पर भी 2 ही शिक्षक तैनात हैं, वहीं यहां स्कूल में मात्र 5-6 बच्चे है, वहां भी गुरुजन 2-2 नियुक्त किए गए हैं।ऐसे में एक तरफ  यहां शिक्षकों के अभाव में बच्चों की शिक्षा प्रभावित हो रही हैं, वहीं दूसरी ओर ऐसे शिक्षकों पर शासन वेतन के रूप में लाखों रुपया भुगतान कर रहा है। जिससे शासन पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ भी आ रहा है।


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Isha

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