अटकलों पर सीएम ने लगाया ब्रेक लेकिन हरियाणा कैबिनेट में विस्तार तय, आतुर एमएलए लगा रहे जुगत

punjabkesari.in Monday, Jun 21, 2021 - 06:31 PM (IST)

रेवाड़ी/महेंद्रगढ़ (योगेंद्र सिंह): हरियाणा कैबिनेट विस्तार की अटकलों पर भले ही फिलहाल सीएम मनोहरलाल खट्टर ने ब्रेक लगा दिया लेकिन आने वाले समय में कैबिनेट का विस्तार होना तय है। इसके लिए पार्टी बिना कोई बखेड़ा खड़े किए सर्वसम्मिति से कैबिनेट विस्तार की रणनीति पर काम कर रही है। पंजाब एवं यूपी में विधानसभा चुनाव अगले साल होना है और इसी के चलते भाजपा हाईकमान की सोच है कि चुनाव पूर्व हरियाणा में कोई विवाद खड़ा ना हों। जिस प्रकार इस समय महाराष्ट्र, राजस्थान सरकार में अस्थिरता व्याप्त है उस प्रकार की स्थिति भाजपा हरियाणा में कतई नहीं चाहती है। इसी के चलते वह एक-एक कदम फूंक-फूंककर रख रही है। दूसरी ओर कैबिनेट विस्तार में लाल बत्ती की आस लगाए एमएलए लगातार प्रयासरत हैं और अभी भी आकाओं के यहां चक्कर लगाकर उन्हें प्रसन्न करने में लगे हैं।

यह सभी को पता है कि प्रदेश के सीएम मनोहरलाल खट्टर कैबिनेट विस्तार मंत्रियों के रिपोर्ट कार्ड को ध्यान में रखते हुए ही करेंगे। इसमें दक्षिण हरियाणा के दो मंत्री काफी पिछड़े हुए नजर आ रहे हैं। इन मंत्रियों की कुर्सी खिसकने की बात पूरे हरियाणा सहित उनके आकाओं के पास भी पहुंची हुई है। बावजूद आका प्रदेश हरियाणा पर लगातार प्रेशर बनाकर इनकी कुर्सी बचाने की कोशिश कर रहे हैं। कैबिनेट विस्तार को लेकर जेजेपी भी इंतजार की मुद्रा में हैं वहीं भाजपा टिकट पर चुनाव जीते विधायक भी लाल बत्ती की आस लगाए बैठे हुए हैं। जब दो-तीन मंत्रियों की कुर्सी बदलने की कवायद शुरू हुई तो कई विधायक सक्रिय हो गए और अपने आकाओं के यहां लगातार हाजरी लगा रहे हैं। 

आका भी अपने प्रभाव का उपयोग कर कैबिनेट विस्तार में अपने करीबियों के लिए प्रयास कर रहे हैं। यह अलग बात है कि सीएम मनोहरलाल खट्टर कैबिनेट विस्तार को लेकर कोई हंगामा या विवाद नहीं चाहते हैं। इसी के चलते वह धीरे-धीरे अपने कदम आगे बढ़ा रहे हैं। दिल्ली में लगातार हाईकमान एवं संगठन पदाधिकारियों के साथ ही केंद्रीय मंत्रियों से मीटिंग कर वह एक राय बनाने की कोशिश कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर जब चंडीगढ़ जाकर सीएम से मिले तो चर्चाओं का बाजार बहुत गर्म हो गया। गुर्जर भी अपने करीबियों के लिए प्रयासरत बताए जाते हैं। पड़ोसी राज्यों में विधानसभा चुनाव देखते हुए भाजपा किसी भी प्रकार का विवाद पैदा नहीं करना चाहती ना ही कोई मुद्दा विपक्ष को देने के पक्ष में है। संभवत : यही कारण है कि पार्टी एवं सीएम एक राय बनाकर बिना विवाद विस्तार की दिशा में रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं।

दूसरे का साथ देना हो सकता है मजबूरी
एक केंद्रीय मंत्री के करीबियों की लाल बत्ती छीनने की अटकलों के चलते वह खासे परेशान हैं। उनकी संगठन विस्तार में भी नहीं चल रही है और प्रदेश सरकार भी उनकी पूछ परख नहीं कर रही है। इसी के चलते पहले तो वह अपने करीबियों के रिपोर्ट कार्ड खराब होने के बावजूद उनकी कुर्सी बचाने के लिए प्रयासरत हैं। साथ ही उन्होंने एक ओर रास्ता निकाला है कि यदि उनके करीबियों की कुर्सी गई तो वह अपने दूसरे करीबी को कुर्सी दिलवाने का काम मजबूरी में कर सकते हैं। भले ही विधायक संघ करीबी है लेकिन केंद्रीय मंत्री की नाराजगी कोई झेलना नहीं चाहता है। जबकि यह विधायक अंदरखाने अपने आकाओं के अलावा संगठन व संघ के वरिष्ठों की शरण लेकर उनका आशीर्वाद लेने का कोइ्र मौका नहीं छोड़ रहे हैं।
 

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Content Writer

Shivam

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