ठंड दिखलाने लगी तेवर लेकिन रैन बसेरों का इंतजाम नहीं

punjabkesari.in Tuesday, Dec 08, 2020 - 10:35 AM (IST)

पलवल (बलराम गुप्ता): शहर में खुले आसमान के नीचे सड़कों और चौराहों पर रात काटने वाले बेघर गरीब अभी प्रशासन से कोई उम्मीद न करें। प्रशासन द्वारा पलवल में जाट धर्मशाला , ब्राह्मण धर्मशाला, व  बस स्टैंड में रैन बसेरे की व्यवस्था की जाती रही है,लेकिन प्रशासन द्वारा संचालित सभी 3 रैन बसेरों की हालत खराब है। इनमे से एक के दरवाजे टूटे हैं। जिनसे ठंडी हवा बिना रोकटोक आती है। तख्त टूटे हैं, कंबल गंदे और फटे हैं, गद्दे फटे पुराने हैं, साथ में गंदगी फैली है। इन हालात में रात बिताने की सोचना भी जीवन को खतरे में डालना है।  सबसे ज्यादा हैरानी की बात तो यह है कि इन तीनों रैन बसेरो  में से दो तो बिल्कुल बंद पड़े हुए हैं। 

सर्दियों की आहट के बाबजूद  बस स्टैंड और ब्राह्मण धर्मशाला का रैन बसेरा अभी तक शुरू नहीं हुआ है केवल जाट धर्मशाला में प्रशासन द्वारा दिए गए तीन साल पुराने रजाई गद्दे जिनमे से बदबू आ रही है वह बिछाए हुए हैं। वह भी वह भी धर्मशाला के प्रबंधकों की मेहरबानी से इंतजाम किया गया है प्रशासन की तरफ से दो सालो से कोई इंतजामात नहीं किए गए हैं। मौजूद लोगों की माने तो रात को सोने के लिए दिए गए गद्दे और रजाईयां फट चुके हैं।  हैरानी की बात है कि रेन बसेरे को चलाने वाली सरकारी संस्था रेड क्रास के अधिकारियों ने ना तो पिछले साल और ना ही अभी तक यहां का ना तो कोई दौरा किया है और ना ही कोई रैन बसेरे की सुध ली है। जिसके चलते बेसहारा लोग ठिठुरती  हुई ठंड में पलवल के रेलवे स्टेशन के फुटपाथो पर खुले में जीवन और मृत्यु का संघर्ष में सोने की कोशिश करते हुए नजर आए।

रात में पडऩे वाली ठंड में जहां लोग ठंड से बचाव के लिए कई तरह के साधनों का उपयोग कर घरों से निकलने के लिए भी कतरा रहे हैं ,वहीं बेसहारा लोगो के लिए रात गुजारने के लिए जिला प्रशासन द्वारा बनाए गए रैन बसेरे  उनकी आस को तोड़ते नजऱ आ रहे हैं। जाट धर्मशाला के मैनेजर  ने बताया कि कोई भी अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आया है। वहीं ब्राह्मण धर्मशाला में बने रेन बसेरे पर जब पंजाब केसरी की टीम रात को करीब 7 बजकर 58 मिनट पर पहुंची तो वहां  ताला लगा हुआ था। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि ऐसे में कोई भी शरण लेने वाला बेसहारा यहां से निराश ही होकर लौटेगा। शायद यही वजह है कि लोग रेलवे स्टेशन और फुटपाथो पर अपनी रात  बिताने को मजबुर है। प्रशासन की लापरवाही से सर्द रातो की शुरुआत  में अभी भी गरीब तबके के लोग खुले आसमान के नीचे रात काटने को मजबूर है।

ऐसा नहीं कि सर्दी से बचाने के लिए सरकारी इंतजाम नहीं है। शहर में तीन  रैन बसेरे ऐसे लोगों को शरण देने के लिए बनाए गए हैं, लेकिन इनकी हालत बदतर है।  पंजाब केसरी की टीम ने रात को सभी रैन बसेरों का दौरा किया। जिसने  रैन बसेरों की सच्चाई को खोलकर सभी के सामने रख दिया है। गरीबों और बेसहारा लोगों को सर्दी से बचाने के लिए खोले गए रैन बसेरे खुद अव्यवस्था से कांप रहे हैं। पंजाब केसरी की जांच में यह सामने आया है कि  शहरी क्षेत्र में ऐसा कोई रैन बसेरा नहीं है, जहां कोई सुविधा मौजूद हो जबकि नियमानुसार रैन बसेरे की सफाई से लेकर शौचालयों तक की व्यवस्था बेहतर होना जरूरी है। यही कारण है कि इन रैन बसेरों में रात में लोग ठहरने से कतरा रहे हैं।

पोल खोल रहीं ये तस्वीरें
रैन बसेरों को लेकर प्रशासन चाहे  कुछ भी कहें, लेकिन तस्वीरें सारी पोल खोल रही है।  पंजाब केसरी की टीम ने शहरी क्षेत्र के कई रैन बसेरों की स्थिति की जांच की तो सभी की हालत खराब मिली। कहीं दरवाजा टूटा मिला तो कहीं गद्दे फटे हुए थे और कंबल भी काफी हल्का और गंदे थे। इसके अलावा रैन बसेरों के रखरखाव के लिए तैनात कर्मी भी मौके से गायब मिले सभी  रैन बसेरे की हालत खराब मिली।

सुविधा के नाम पर कुछ भी नहीं
नियमानुसार रैन बसेरों में सफाई के लिए वाइपर, झाडू, मच्छरों से बचाव के लिए मॉर्टिन, बाल्टी, मग्गा, रिकार्ड अंकित करने के लिए रजिस्टर और पैन, शौचालय, साबुन, फिनाइल आदि के साथ सर्दी में प्रयोग होने वाले बिस्तर और बिजली आदि की व्यवस्था होना जरूरी है। किसी भी रैन बसेरे में जांच के दौरान निम्न स्तर के बिस्तर के अलावा कोई अन्य सुविधा नहीं मिली।

यहां हैं रैन बसेरे
शहर में प्रशासन  द्वारा संचालित   हरियाणा रोड वेज के  बस स्टैंड के अंदर, जाट धर्मशाला, ब्राह्मण धर्मशाला में  रैन बसेरा बनाए जाते हैं, लेकिन जाट धर्मशाला को छोड़कर कोई भी रैन बसेरा चालू हालत में नहीं था।

शहर को चाहिए 10 रैन बसेरे
शहर के आसपास की आबादी 2 लाख से ज्यादा है। शहर में गरीब, बेघर तथा बाहर से आने वाले लोगों की संख्या हजारों में है। प्रशासन ने फिलहाल तीन रैन बसेरे बनाये हैं। जबकि दस के करीब रैन बसेरों की और आवश्यकता है।     


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Shivam

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