भूपेंद्र हुड्डा सहित 5 नेताओं को कांग्रेस हाईकमान ने राजस्थान चुनाव को लेकर बनाया विशेष पर्यवेक्षक

punjabkesari.in Thursday, Nov 02, 2023 - 09:46 PM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : दो बार हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे और वर्तमान में हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राजस्थान में 25 नवंबर को होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस हाईकमान ने विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की ओर से मुकूल वासनिक, जितेंद्र सिंह, शक्ति सिंह गोहिल एवं शकील अहमद खान को भी यह जिम्मेदारी दी गई है। राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को विधानसभा के चुनाव होने हैं। राजस्थान में पिछले करीब 5 वर्ष से कांग्रेस की सरकार है और कांग्रेस फिर से सत्ता में आने के लिए जोर-आजमाइश कर रही है। इसी कड़ी में हरियाणा के बड़े चेहरे भूपेंद्र सिंह हुड्डा को भी विशेष जिम्मेदारी दी गई है। इससे पहले तोशाम की विधायक किरण चौधरी को राजस्थान चुनाव के मद्देनजर समन्वयक नियुक्त किया गया था। खास बात यह है कि राजस्थान चुनाव में विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किए गए चौ. भूपेंद्र सिंह हुड्डा को हरियाणा का बड़ा जाट चेहरा माना जाता है और राजस्थान में भी जाट मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं। शायद यही वजह है कि हुड्डा को पड़ौसी राज्य राजस्थान में यह बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।

उल्लेखनीय है कि नवंबर माह में राजस्थान, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना और मिजोरम में विधानसभा के चुनाव होने हैं। इन पांचो राज्यों के विधानसभा चुनाव को अगले वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से पहले सैमीफाइनल माना जा रहा है। ऐसे में यह सैमीफाइनल जीतने के लिए भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस सहित अनेक सियासी दल सक्रिय हैं। विशेष बात यह है कि इन चुनावों को लेकर हरियाणा के भी बड़े नेताओं की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। गौरतलब है कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव रणदीप सिंह सुर्जेवाला मध्यप्रदेश के, जबकि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव कुमारी सैलजा छत्तीसगढ़ की प्रभारी हैं। इसी तरह से भारतीय जनता पार्टी की ओर से पूर्व सांसद कुलदीप बिश्नोई को राजस्थान का चुनाव से प्रभारी लगाया गया है। कांग्रेस की ओर से तोशाम की पूर्व विधायक किरण चौधरी को समन्वयक की जिम्मेदारी दी गई है, तो हरियाणा की जननायक जनता पार्टी राजस्थान में प्रत्यक्ष तौर पर चुनावी ताल ठोक रही है। अब कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा को खास जिम्मेदारी देते हुए राजस्थान चुनाव के मद्देनजर विशेष पर्यवेक्षक नियुक्त किया है। हुड्डा को चुनाव प्रबंधन, संगठन और शासन का लंबा अनुभव है। संगठन में हुड्डा कई अहम पदों पर रह चुके हैं। 2005 से लेकर 2014 तक भूपेंद्र सिंह हुड्डा लगातार साढ़़े 9 वर्ष तक हरियाणा के मुख्यमंत्री रहे। 2019 से वे हरियाणा विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष के रूप में कार्य कर रहे हैं।

1972 में सियासत में सक्रिए हुए थे हुड्डा

चौ. भूपेंद्र ङ्क्षसह हुड्डा का जन्म 15 सितम्बर 1947 को हुआ। रोहतक के गांव सांघी में जन्मे हुड्डा की आरंभिक शिक्षा गुजरात के सैनिक स्कूल में हुई। 1971 में उन्होंने पंजाबी यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ से ग्रेजुएट की। 1974 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री ली। कुछ समय वकालत की और फिर सियासत में आ गए। 1972 से 1977 तक कांग्रेस कमेटी के ब्लॉक अध्यक्ष रहे। 1980 में युवा कांग्रेस हरियाणा के उपाध्यक्ष चुने गए। साल 1991 में भूपेंद्र हुड्डा ने चौधरी देवीलाल को रोहतक सीट से पराजित किया। इसके बाद उनका सियासी कद ऊंचा हो गया। 1996 में फिर से रोहतक लोकसभा सीट से देवीलाल को हराया। इसके बाद कांगे्रस हाईकमान ने हुड्डा को हरियाणा प्रदेश कांगे्रस कमेटी का प्रधान बना दिया। 2001 तक वे इस पद रहे। हुड्डा ने 1998 में लगातार तीसरी बार रोहतक सीट से चौ. देवीलाल को हराते हुए जीत की हैट्रिक लगा दी। साल 2000 में किलोई से चुनाव जीतकर पहली बार विधायक बने। 2004 में भी रोहतक संसदीय सीट से जीत हासिल की। 2005, 2009, 2014 और 2019 में वे किलोई से विधायक चुने गए। 

कांग्रेस के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है राजस्थान का चुनाव

गौरतलब है कि राजस्थान की 200 विधानसभा सीटों पर 25 नवंबर को विधानसभा का चुनाव होगा। यह चुनाव जहां कांग्रेस के लिए बड़ी परीक्षा है, तो विशेष पर्यवेक्षकों के लिए भी चुनौती है। कांग्रेस शीर्ष नेतृत्व की ओर से भूपेंद्र सिंह हुड्डा को विशेष पर्यवेक्षक जैसी खास जिम्मेदारी दिए जाने का अपना एक महत्व है। भूपेंद्र सिंह हुड्डा को राजनीति में 5 दशक का लंबा अनुभव है। विशेष बात यह है कि उनके पिता चौ. रणबीर हुड्डा लोकसभा के सदस्य व विधायक रहने के अलावा संविधान निर्माता समिति के सदस्य रह चुके हैं। रोहतक सीट से रणबीर हुड्डा 3 बार, भूपेंद्र हुड्डा 4 बार, जबकि उनके बेटे दीपेंद्र हुड्डा 3 बार लोकसभा के सदस्य चुने जा चुके हैं। 2005 में जब हुड्डा को मुख्यमंत्री बनाया गया तो उस वक्त वे लोकसभा के सदस्य थे और बाद में विधानसभा का चुनाव लडक़र विधायक बने थे। इसके साथ ही हरियाणा के अलावा भी हुड्डा का प्रभाव राजस्थान में माना जाता है। सियासी विश्लेषकों का मानना है कि कांग्रेस को फिर से सत्तासीन करने में विशेष पर्यवेक्षकों की भी अहम भूमिका रहेगी।

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Content Editor

Mohammad Kumail

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