देश में कितना भी बड़ा बखेड़ा खड़ा करना पड़े, कांग्रेसियों को केवल सत्ता हथियाने से है: गुर्जर

punjabkesari.in Thursday, Dec 03, 2020 - 12:18 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : पंजाब के किसानों द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में हरियाणा के किसानों की भागीदारी के बाद पंजाब के युवा कांग्रेस नेताओं ने चंडीगढ़ में खूब उत्पात मचाया और हरियाणा के मुख्यमंत्री के निवास को घेरने का प्रयास किया। इसके बाद राजनीति भी गरम हो गई। जहां  सरकार के मंत्री पहले दिन से इसे कांग्रेस द्वारा रचित षड्यंत्र करार दे रहे थे। वही आज उन्होंने इस बात पर पूरी तरह से मोहर लगा दी। आज पंजाब केसरी ने हरियाणा सरकार के शिक्षा, वन एवं पर्यटन मंत्री कंवर पाल गुज्जर से खास मुलाकात की और इस आंदोलन पर चर्चा की।

जिसमें उन्होंने कहा कि कांग्रेस कहीं-से-कहीं तक भी भारतीय जनता पार्टी  द्वारा किए गए किसानों के लिए कामों में मुकाबला नहीं कर सकती और पंजाब में विधानसभा चुनाव सिर पर है और चुनाव में आने वाले परिणामों का कांग्रेस को आभास है। जिस कारण से उन्होंने यह प्रॉप गंडा रचा है। उन्हें पता है कि भारतीय जनता पार्टी का मुकाबला चुनाव में नहीं कर पाएंगे। इस कारण से कांग्रेस ने  पंजाब में अपने आपको किसान हितेषी साबित किया। ताकि चुनाव में फायदा उठाएं और हरियाणा में भी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की जा रही है। लेकिन उनका यह सपना पूरा नहीं हो पाएगा। उनसे बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : पंजाब युवा कांग्रेस द्वारा मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के चंडीगढ़ निवास को घेरने की कोशिश पर आपकी तात्विक टिप्पणी क्या है?
उत्तर :
हम तो पहले से ही कह रहे हैं कि यह आंदोलन किसानों के हित के लिए नहीं बल्कि कांग्रेस ने अपने राजनीतिक हित के लिए करवाया है। आज यह स्पष्ट भी हो गया है। कांग्रेस का किसान के हित से कोई लेना देना नहीं है। 6 साल अटल जी की सरकार रही और अब करीब साडे 6 साल मोदी जी की सरकार को हो गए। आप कांग्रेस की और भाजपा की सरकारों के किसानों के लिए किए गए कामों की तुलना कर लीजिए। अब यह किसान हितैषी बनने का ड्रामा कर रहे हैं। आप पूछो उनसे कि उन्होंने सरसों, सूरजमुखी, मूंग, मक्का कितनी खरीदी और हरियाणा में भी देखो कि कितनी खरीदी। वह केवल धान और गेहूं एम.एस.पी. पर खरीदते हैं। हमने भावांतर योजना चलाई किसानों को करोड़ों रुपए उनकी फसल के रेट डाउन होने पर दिए। किसान की फसल बर्बाद होने पर हम 12000 और पंजाब 8000 देता है।

प्रश्न : आप क्या मानते हैं कि कांग्रेस का मकसद क्या है?
उत्तर : 
वास्तविकता में आने वाले समय में पंजाब में चुनाव है और अमरेंद्र सिंह महाराजा है और चंडीगढ़ में नहीं बल्कि पटियाला में अपना समय बिताया है। उन बातों से जनता का ध्यान भटकाने के लिए यह प्रॉप गंडा रचा गया है। उनका मकसद है कि पंजाब के चुनाव में अपने आपको किसान हितेषी साबित कर के चुनावों में फायदा उठाया जाए और हरियाणा में सरकार को अस्थिर किया जाए। लेकिन यह उनका ख्वाब पूरा होने वाला नहीं है। आप देखिए कि किस प्रकार की भाषा का इस्तेमाल किया गया। जिसका कोई औचित्य ही नहीं। यह आंदोलन पूरा का पूरा स्वार्थों पर आधारित आंदोलन है। जब कांग्रेस किसानों का सहयोग कर रही है तो हाउस में इस मुद्दे पर जब चर्चा होने के समय वहां से क्यों भागी क्यों, चर्चा नहीं की। देश में कितना बड़ा बखेड़ा खड़ा करना पड़े, इन कांग्रेसियों का तो मतलब केवल सत्ता हथियाने से है।

प्रश्न : यूथ कांग्रेसियों का कहना है कि गड्ढे खोदे गए, पानी की बौछारें की गई और 2 दिन तक हमें दिल्ली नहीं जाने दिया गया। इसलिए घेराव कर रहे हैं?
उत्तर :
दिल्ली में कोरोना खतरनाक स्थिति पर है और कोई भी सरकार होती, वह ऐसा ही करती। अगर हम पहले ही इजाजत दे देते, तो पूरे देश में गलत संदेश जाता कि हरियाणा बीच में था लेकिन उन्होंने जिम्मेदारी नहीं निभाई। सच में हमारा प्रयास यही था कि इस कोरोना काल में जोखिम ना उठाया जाए। यह दिल्ली ना जाए, यहीं पर बैठकर आंदोलन हो जाए। किसानों ने बैरिकेट्स उठाकर फेंके, लेकिन फिर भी सरकार ने बल का प्रयोग नहीं किया। इसका मतलब सरकार उद्धार थी। अब आप ही देख लें कि कृषि मंत्री और केंद्रीय नेतृत्व ने किसान नेताओं को बुलाया और मीटिंग की। लेकिन पॉइंट पर बात करने की बजाय केवल और केवल किसानों द्वारा यही कहा गया कि यह बिल किसान को बर्बाद कर देंगे, तबाह कर देंगे। 

प्रश्न : आपकी गठबंधन पार्टी जे.जे.पी. के वरिष्ठ नेता अजय चौटाला और इ.न.सो. के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला ने भी एम.एस.पी. लिखकर दे देने की गारंटी की वकालत की है
उत्तर : 
जब लाल बहादुर शास्त्री जब देश के प्रधानमंत्री थे। उन्होंने एम.एस.पी. को लागू किया था तब से लेकर अब तक एम.एस.पी. चल रहा है। किसी ने उस समय भी लिखकर नहीं दिया। उस समय भी शासकीय आदेश था। आज भी शासकीय आदेश है।यह केवल किसानों को डराने की बात है कि एम.एस.पी. खत्म हो जाएगी। जबकि दुनिया की कोई ताकत कोई सरकार इसे खत्म नहीं कर सकती। आप खुद सोचिए आज देश की आबादी 140 करोड़ है और उनमें से कम-से-कम 70 करोड़ जनता सरकार से राशन लेती है और अगर सरकार खरीदेगी नहीं तो उनको देगी कहां से? 

प्रश्न : आपको लगता है कि खापों के बढ़ते दबाव के कारण जे.जे.पी. यह स्टैंड ले रही है?
उत्तर : 
मुझे जे.जे.पी. की ऐसी कोई टिप्पणी की जानकारी नहीं है। लेकिन दादरी के विधायक सोमवीर सांगवान का बयान मैंने पढ़ा। जिसमें उन्होंने कहा कि भाईचारा पहले पार्टी और सरकार बाद में है। तो सीधे तौर पर देखिए कि भाईचारा किस चीज का दबाव दे रहा है। मतलब सीधे तौर पर सरकार को स्थिर करने का प्रयास है। आप खुद बताए कि इस बिल से हरियाणा सरकार का मतलब क्या है। यानी षड्यंत्र साफ दिखता है कि पंजाब के लोगों को भड़का कर सरकार बना ले और हरियाणा में सरकार को अस्थिर कर दिया जाए। हरियाणा और पंजाब के अलावा यह आंदोलन कहीं पर भी नहीं है। इसके पीछे वही लोग हैं जो सी.ए.ए. के नाम पर हुए आंदोलन करने वालों को गाइड कर रहे थे। भले ही सच्चे किसान भी आंदोलन में गए हैं। लेकिन वह बहकावे का शिकार होकर वहां पर पहुंचे हैं। 

प्रश्न : इन दो विधायकों की सहमति के बाद क्या आपको लगता है कि और भी विधायक इस आंदोलन के साथ जुड़ सकते हैं?
उत्तर : 
दो विधायकों ने भले ही सहमति दे दी हो फिर भी वह सरकार से दूर नहीं है। जो लोग आंदोलन कर रहे हैं, मुझे यह बताओ कि सरकार ने किसान से लिया क्या है? इन बिलों के माध्यम से दिया ही दिया है।मार्केट फीस 4% से घटाकर 1% कर दी, मंडी के बाहर बेचने का भी अधिकार दिया, कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग में भी किसान को सब तरह से फायदा पहुंचाया कि अगर  इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं उठाया तो वह किसान का हो जाएगा, पेमेंट लेट करने पर किसान को ब्याज सहित पेमेंट देनी होगी, प्राकृतिक आपदा आने पर किसान कॉन्ट्रैक्ट पूरा करने के लिए बाध्य नहीं होगा। सभी चीजें किसान के पक्ष में की गई है। किसान द्वारा इतनी मेहनत से उगाई गई फसल के उचित प्रबंधन के लिए बाहर के आदमियों को स्टॉक करने की परमिशन दी गई है। ताकि जैसे आज आप भी सुनते होंगे कि इतनी गेहूं सड़ गई, इतनी गेहूं खराब हो गई। इस कानून से उचित प्रबंधन होगा और फसलें खराब होने की संभावनाएं खत्म हो जाएंगे। 

प्रश्न : किसानों से क्या अपील करना चाहेंगे?
उत्तर : 
जो लोग राजनीतिक स्वार्थ के चलते वहां पहुंचे हैं, वह तो मेरी अपील को मानेंगे नहीं। जो केवल खेती की बात कर रहे हैं, सच्ची नियत से किसान के हित के लिए वहां गए हैं। मेरा उन लोगों से निवेदन है कि किसी के बहकावे में, झूठ में मत फंसे। इन बिलों का अध्ययन करें। जितने भी कृषि विशेषज्ञ हैं सभी ने अब तक इन बिलों को किसानों के हितों में माना है। मैं उनसे अपील करना चाहता हूं कि शांत चित्त से सोचें कि आखिर यह बिल है क्या? कहीं ऐसा तो नहीं कि राजनीति के भूखे लोग हमारे हाथों से हमारा बुरा करवाने में लगे हो, कहीं हमारे हाथों हमारी हत्या तो नहीं करवाना चाह रहे हैं। 


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Manisha rana

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