राहतः जरूतमंद एडवोकेट्स के लिए आगे आई काउंसिल ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा, प्रतिमाह देगी 5 हजार रुपए

punjabkesari.in Saturday, Apr 25, 2020 - 12:34 PM (IST)

चंडीगढ़(धरणी)- कोरोना वायरस के प्रकोप के चलते हाईकोर्ट सहित पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अदालतों में अब सिर्फ अर्जेन्ट केसों पर ही सुनवाई हो रही है ऐसे में कई युवा वकील आर्थिक संकट में आ गए हैं। अब ऐसे जरूरतमंद वकीलों की मदद के लिए बार  काउंसिल  ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा आगे आई है| काउंसिल ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा ने एक आपात बैठक बुला ऐसे जरूरतमंद वकीलों को आर्थिक सहायता दिए जाने के लिए कोवीड-19 रिलीफ फंड बनाया है जिस फंड से मौजूदा हालत में आर्थिक संकट का सामना कर रहे जरूरतमंद वकीलों को मदद दी जा सकेगी।  |

पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष एवं वर्तमान सदस्य एडवोकेट लेखराज शर्मा ने बताया कि पंजाब-हरियाणा बार काउंसिल को विभिन्न बार एसोसिएशन के प्रधानों ने आर्थिक सहायता मुहैया करवाने के लिए पत्र भेजना शुरू कर दिया है। वकीलों और उनके साथ काम करने वाले मुंशियों को आर्थिक सहायता देने की मांग उठने लगी है। एडवोकेट लेखराज शर्मा ने बताया कि बार काउंसिल ऑफ पंजाब-हरियाणा के वकीलों व मुंशियों के लिए कुछ शर्त के साथ मदद की तैयारी की गई है। इसमें जो वकील 5 साल से कम की प्रैक्टिस करने वाला है और जिसके पास शहर में अपना मकान व कार नहीं है,पांच एकड़ से कम भूमि हो,माता-पिता सरकारी सेवा में न हों,उन्हें बार काउंसिल से पांच हजार रुपये प्रतिमाह आर्थिक दी जाएगी।   

 काउंसिल ऑफ़ पंजाब एंड हरियाणा के चेयरमैन करनजीत सिंह ने बताया कि अब तक ऐसे जरूतमंद एडवोकेट्स की कुछ अर्जियां जरूर आई हैं जो बेहद ही कम हैं ।फिर भी  काउंसिल उनकी मदद के लिए हमेशा तैयार है और फंड से उनके मदद की जाएगी । इस फंड से सिर्फ उन्ही जरूरतमंद एडवोकट को आर्थिक मदद दी जाएगी जो इस फंड के तहत राहत दिए जाने की सभी पैमाने पुरे करेंगे कोरोना महामारी का असर अब वकीलों पर भी पड़ने लगा है। ऐसे में बार एसोसिएशन ने वकीलों की मदद के लिए हाथ आगे बढ़ाया है। कुछ शर्तों के साथ बार एसोसिएशन ने वकीलों को पांच हजार रुपये प्रतिमाह देने का फैसला लिया है ताकि किसी वकील को कोई समस्या न हो।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी लिया संज्ञान
इससे पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वकीलों और मुंशियों की आर्थिक स्थिति पर संज्ञान लेते हुए बार काउंसिल ऑफ इंडिया और उत्तर प्रदेश बार काउंसिल से इस संदर्भ में 20 अप्रैल तक जवाब देने को कहा है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की ओर से संज्ञान लेने के बाद पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के बार एसोसिएशन ने भी यह कदम उठाया है।

वकीलों के लिए प्रावधान मुंशियों के लिए नहीं समाधान
लेखराज शर्मा ने बताया कि वकील पिछले कई दिनों से घर पर बैठे हैं। ऐसे में जिन वकीलों की अच्छी प्रैक्टिस थी,वह भी अब धीरे-धीरे पैसों के मोहताज होते जा रहे हैं। ऐसी स्थिति में मुंशियों को राशि देने के लिए बार काउंसिल आदेश जारी नहीं कर सकती है, लेकिन बार काउंसिल ने सभी वकीलों से अनुरोध किया है कि वह अपनी ओर से मुंशियों के लिए कुछ न कुछ आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाएं।

आर्थिक तंगी से जूझ रहे मुंशी 
हाईकोर्ट और जिला अदालतों में कोरोना वायरस के चलते अवकाश के बाद अब वकीलों के साथ कार्य करने वाले मुंशी आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। कोई भी मुंशी अपना नाम सामने लाने को तैयार नहीं है। उन्होंने यह भी बताया कि मुंशियों का वेतन 4 से 10 हजार के बीच होता है। जो वकील अच्छा कमाते हैं, वह तो थोड़ी बहुत सहायता मुंशियों को उपलब्ध करा रहे हैं। लेकिन जिन वकीलों की प्रैक्टिस कम है, उनके साथ काम करने वाले मुंशी अब आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं। जहां कुछ मुंशी लॉकडाउन आरंभ होने से पहले अपने अपने घर को निकल गए थे। वहीं,जो मुंशी अपने कार्यस्थल पर फंसे हुए हैं, वह स्थानीय प्रशासन की दया पर निर्भर हैं। उन्होंने बार काउंसिल से मांग की है कि वकीलों की तर्ज पर अब उन्हें भी आर्थिक सहायता मुहैया करवाई जाए।


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Isha

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