साइबर सिटी : एक तरफ चकाचौंध तो दूसरी ओर महिलाओं के लिए डरावनी!

punjabkesari.in Monday, Dec 09, 2019 - 10:01 AM (IST)

गुरुग्राम(ब्यूरो) : साइबर सिटी हरियाणा का ही नहीं बल्कि देश की हाईटैक सिटी में एक मानी जाने लगी है। एक ओर जहां इस शहर की चकाचौंध रात में देखने को मिलती है तो वहीं दूसरी ओर महिलाओं के लिए यह सिटी डरावनी भी दिखती है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि महिलाओं के साथ इस शहर में घटित हुई घटनाएं बयां कर रही हैं। पुलिस में दर्ज आंकड़ों पर नजर डालें तो यहां बीते 5 सालों में महिलाओं के साथ रेप के 663 मामले हुए। अनुमानित तौर पर यहां हर तीसरे दिन रेप की घटना हो रही है। छेड़छाड़ व अन्य अपराधिक मामले इससे भी कई गुणा अधिक हैं,जो इस शहर की सुरक्षा व्यवस्था पर सवालिया निशान भी लगाते हैं। 

महिलाओं की सुरक्षा पर हुए सर्वे के परिणाम भी डरावने
सरकार चाहे जितनी बार महिला सुरक्षा और बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ के मंत्र का जाप करती रहे लेकिन साईबर सिटी की हकीकत कुछ और ही बयां करती है। महिलाओं की सुरक्षा मामलों को लेकर गत दिनों सेफ्टीपिन नाम की संस्था ने जब सर्वे किया तो उसका दावा है कि शहर में कुल 1200 ऐसी जगह हैं जहां महिलाएं खुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। संस्था कहती है कि सिर्फ नए गुरुग्राम ही नहीं पुराने गुरुग्राम को भी इससे अलग करके नहीं देखा जा सकता। इतना ही नहीं,यहां विभिन्न संस्थाओं में काम करने वाली महिलाओं का भी यही कहना है कि साईबर सिटी की रात हमें डराती हैं। 

अनेक स्थानों पर नहीं है रोड लाइट
गुरुग्राम जैसे शहर में आज भी सड़कों पर रोशनी नहीं है। अनेक स्थानों पर खंभे हैं तो बिजली नहीं अथवा है भी खराब। जब महिलाएं नाईट सिफ्ट में काम पर आती या जाती हैं तो उन्हें डर के साथ आना-जाना पड़ता है। शहर में सड़क को पार करने के लिए अंडरग्राऊंड अंडरपास कुल 3 जगहों पर बनाए गए हैं। इन तीनों अंडरग्राऊंड अंडरपास पर रात में अंधेरा कायम रहता है। पुलिस पैट्रोङ्क्षलग की कमी की शिकायत भी महिलाएं करती हैं। सबसे बड़ी दिक्कत महिलाओं को रात के समय पब्लिक ट्रांसपोर्ट की है। बहुत सी काम करने वाली महिलाएं जिन्हें उनकी कम्पनी ट्रांसपोर्ट नहीं उपलब्ध कराती है उन्हें रात में आने में दिक्कत महसूस होती है। 

दिन में 52 तो रात में 22 फीसदी अपराध 
गुरुग्राम में अपराध के लिहाज से देखें तो अपराध का प्रतिशत दिन में 52 फीसदी है तो रात में 22 फीसदी जोकि गत 2 सालों में बढ़ा ही है। ज्यादातर महिलाएं रोजाना कैब भी अफोर्ड नहीं कर सकतीं साथ ही रात में चलने वाले ज्यादातर ऑटो रजिस्टर्ड नहीं हैं। वहीं ऑटो चालकों द्वारा किराए की मनमानी की समस्या को और जटिल बना देती है। 

कुछ इस तरह का हाल बयां करती हैं महिलाएं
मल्टीनैशनल कम्पनी में काम करने वाली उद्योग विहार की संगीता व्यास कहती हैं कि हम लोग नाईट सिफ्ट में काम करके लौटते हैं,कंपनी की ओर से कैब की सुविधा तो है लेकिन कैब कॉलोनी की तंग गलियों में नहीं जा सकती और हमें सौ मीटर की दूरी अकेले जाने में ही सौ तरह के डर लगते हैं। यह डर और आशंका किसी एक की नहीं,साईबर सिटी में काम करने वाली ज्यादातर महिला कर्मियों की है। शहर के सैक्टर 10,29, और डी.एल.एफ. जैसे क्षेत्र में तो आना-जाना बहुत ही मुश्किल है। शोहदों,मनचलों और नशेडिय़ों से बचकर जाना रोज की चुनौती है। इफको चौक से लेकर सुल्तानपुर मैट्रो तक का क्षेत्र अनेक माल्स,मल्टीप्लेक्स आदि से जगमग है लेकिन वहां रात 9 बजे के बाद यदि आप परिवार के साथ जाते हैं तो यह भारी जोखिम भरा काम है। 


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Edited By

vinod kumar

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