बिजली के ट्रान्सफार्मर में करंट की चपेट में आने से दो गौवंश की मौत

punjabkesari.in Saturday, Aug 01, 2020 - 08:35 AM (IST)

होडल (ब्यूरो) : शहर तथा आसपास के क्षेत्र में गौसेवा धाम के अलावा कई गौशालाएं स्थापित होने के बावजूद भी गौवंश पोलीथिन व कूढा कर्कट खाकर असमय ही मौत के मुंह में समा रहा है। इनके अलावा कुछ गौवंश की सडक मार्गों पर वाहनों की टक्कर, गहरी नालियों में गिरकर मरने, गौतस्करों द्वारा उठाए जाने तथा बिजली के ट्रान्सफार्मर की चपेट में आकर मौत हो रही हैं। आसपास के क्षेत्र में कई गौशाला, राष्ट्रीय राजमार्ग पर खुले गौसेवा धाम हास्पीटल तथा सरकारी पशु चिकित्सालय होने के बावजूद भी बीमार और घायल गौवंश को समय पर उपचार तक नहीं मिल पा रहा है। बिड बना यह है कि सरकार द्वारा उक्त गौशालाओं और अस्पतालों पर लाखों रुपए खर्च भी किए जा रहे हैं।

बीती देर सांय भी राबिया पटटी के निकट जमीन पर रखे बिजली के ट्रान्सफार्मर में करंट की चपेट में आने से दो गौवंश की मौत हो गई। आसपास के ग्रामीणों ने एकत्रित होकर मृत गौवंश का अंतिम संस्कार किया। ग्रामीणों ने का कहना था कि इससे पहले भी जमीन पर रखे बिजली के ट्रान्सफार्मर से कंरट लगने की घटनाएं घट चुकी है। बिजली के करंट से गौवंश की हुई मौत के बाद ग्रामीणों में बिजली विभाग के प्रति रोष व्याप्त है। ग्रामीणों का कहना था कि विभागीय लापरवाही के कारण ट्रान्सफार्मर के आसपास विभाग द्वारा किसी प्रकार की तार फैंसिंग तक नहीं की हुई है। ग्रामीणों ने बिजली विभाग के अधिकारियों से मांग की है कि शहर में जमीन पर रखे ट्रान्सफार्मर को ख बों पर लगाया जाए या जमीन पर रखे ट्रान्सफार्मर के आसपास तार फैंसिंग कराई जाए। 

मेरे सांवरिया संकीर्तन सेवा संस्थान कर रहा है बीमार गौवंश की सेवा
उधर मेरे सांवरिया संकीर्तन सेवा संस्थान के अध्यक्ष घनश्याम वशिष्ठ ने बताया उन्होंने लगभग एक दर्जन सदस्यों के साथ मिलकर गौसेवा टोली बनाई हुई है। उन्हें शहर तथा आसपास के क्षेत्र में जहां भी बीमार,असहाय या दुघर्टनाग्रस्त गौवंश की सूचना मिलती है वह अपने टीम के सदस्योंं के साथ उपचार कराने पहुंचते हैं। उन्होंने बताया कि वह बीमार या घायल अवस्था में मिले गौवंश की सूचना सबसे पहले गौसेवा धाम हास्पीटल को देते हैं।

उन्होंने बताया कि उक्त हॉस्पिटल द्वारा फोन रिसीव नहंी किया जाता और अगर फोन रिसीव होता भी है तो कहा जाता है कि उन्होंने गौवंश उठाने का कोई ठेका नहीं ले रखा है। घनस्याम वशिष्ठ ने कहा कि उक्त हास्पीटल द्वारा गौसेवा के नाम पर देश विदेश के सैंकडों श्रद्धालुओं से करोडों रुपए का चंदा एकत्रित किया जा रहा है और सरकार द्वारा भी ग्रांट भेजी जा रही है, लेकिन गौवंश के उपचार के नाम पर यहां सब कुछ शून्य है। उन्होंने बताया कि बीमार गौवंश की सूचना मिलते ही वह स्वयं अपनी टीम के सदस्यों के साथ तुरंत मौके पर पहुंचते हैं और घायल गौवंश का उपचार तथा मृत गौवंश का अंतिम संस्कार कराते हैं। वह लगभग 9 वर्षों से गौवंश की सेवा में लगे हुए है।  

 


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Edited By

Manisha rana

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