डेरा प्रमुख की पैरोल पर जल्द हो सकता है फैसला!

punjabkesari.in Thursday, May 20, 2021 - 09:26 AM (IST)

चंडीगढ़ (संजय अरोड़ा) : डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह द्वारा अब एक बार फिर से जेल से पैरोल की अर्जी लगाई गई है। डेरा प्रमुख ने अपनी बीमार मां की देखभाल करने को लेकर रोहतक की सुनारिया जेल प्रशासन को चिट्ठी लिखी है। जेल मैन्यूल के अनुसार अब एक बार फिर से जेल प्रशासन की ओर से पुलिस विभाग को इस बारे में पत्र लिखा गया है कि डेरा प्रमुख को पैरोल देने में कहीं कानून व्यवस्था की दिक्कत तो नहीं पेश आएगी?

मिली जानकारी के अनुसार अभी तक पुलिस विभाग की ओर से जेल विभाग को इस संबंध में जवाब नहीं भेजा गया है और ऐसी उम्मीद है कि अगले एकाध दिन में पुलिस विभाग इस प्रक्रिया को अमल में ला सकता है और ऐसी संभावना है कि डेरा प्रमुख की पैरोल पर जल्द ही फैसला हो सकता है। डेरा प्रमुख द्वारा जेल प्रशासन से अपनी मां से मिलने के लिए दूसरी बार पैरोल मांगी गई है। पैरोल के लिए लिखी अपनी चिट्ठी के साथ डेरा प्रमुख ने कुछ जरूरी दस्तावेज भी सलंग्र किए हैं। बताया गया है कि डेरा प्रमुख की मां इस समय सिरसा के डेरा सच्चा सौदा मुख्यालय में हैं। पिछले साल जब वे गुरूग्राम के मेदांता अस्पताल में उपचाराधीन थीं तब उनसे मिलने के लिए डेरा प्रमुख को जेल प्रशासन के अधिकारी कड़ी सुरक्षा के बीच एक दिन की पैरोल पर गुरुग्राम ले गए थे।

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गौरतलब है कि डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम पिछले करीब पौने चार वर्ष से रोहतक की सुनारिया जेल में बंद हैं। डेरा प्रमुख की ओर से इससे पहले भी अपनी बीमार मां की देखभाल के अलावा अपनी खेतीबाड़ी की देखरेख करने को लेकर कुल मिलाकर चार बार पैरोल की अर्जियां लगाईं गईं। इससे पहले हर बार सुरक्षा व्यवस्था के बिगडऩे का हवाला देकर उनकी पैरोल अर्जी खारिज होती रही है। अभी हाल में जेल में डेरा प्रमुख की तबीयत एकाएक बिगड़ जाने के बाद जेल प्रशासन की ओर से डेरा प्रमुख को इलाज के लिए रोहतक के पीजीआई में दाखिल करवाया गया था। तबीयत ठीक होने के कुछ ही घंटों बाद उन्हें दोबारा जेल में शिफ्ट कर दिया गया था। सूत्रों की मानें तो डेरा प्रमुख के वकील की ओर से पैरोल अर्जी में इस बार इस बात को भी आधार बनाया गया है कि दो बार डेरा प्रमुख को जेल से बाहर लाया गया, लेकिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर स्थिति सामान्य रही।

अक्तूबर में मिली थी एक दिन की पैरोल
डेरा प्रमुख राम रहीम को पिछले साल अक्तूबर माह में एक दिन की पैरोल दी गई थी। उस समय कड़ी सुरक्षा के बीच डेरा प्रमुख को गुरुग्राम में ले जाया गया था। इस मामले को पूरी तरह से गोपनीय रखा गया। जेल प्रशासन के कुछ उच्च अधिकारियों के अलावा हरियाणा सरकार के आला अफसर व संबंधित मंत्री इससे अवगत थे। जेल प्रशासन की ओर से डेरा प्रमुख को उस समय एक दिन के लिए दी गई पैरोल और उसकी जानकारी को गोपनीय रखे जाने पर कई सामाजिक संगठनों ने जेल प्रशासन की भूमिका पर सवाल भी खड़े किए थे।

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पौने चार साल से हैं जेल में बंद
डेरा प्रमुख गुरमीत राम रहीम सिंह पिछले करीब पौने चार साल से सुनारिया जेल में बंद है। उन्हें 25 अगस्त 2017 को साध्वी यौन शोषण मामले में पंचकूला की विशेष सी.बी.आई. अदालत ने दोषी करार दिया था। 28 अगस्त 2017 को उन्हें इस मामले में 20 साल की सजा सुनाई गई। 25 अगस्त 2017 को गुरमीत राम रहीम सिंह को दोषी दिए जाने के बाद डेरा अनुयायियों की उग्र भीड़ ने पंचकूला, सिरसा सहित हरियाणा और पंजाब के कई हिस्सों में हिंसा को अंजाम दिया था। उस हिंसा में पंचकूला में 32 जबकि सिरसा में 6 लोग मारे गए थे। उग्र भीड़ ने मीडिया की कई ओबी वैन के अलावा सिरसा में मिल्क प्लांट, बिजलीघर सहित कई वाहन आग के हवाले कर दिए थे।

सिरसा में है बाबा का परिवार
जब से डेरा चीफ जेल में है तभी से लेकर विवादित और बहुचर्चित डेरा सच्चा सौदा की गद्दी और बाबा के परिवार को लेकर खबरों का सिलसिला थमा नहीं है। इस समय गुरमीत राम रहीम सिंह का परिवार डेरा सच्चा सौदा में है। गुरमीत राम रहीम के परिवार में उनकी मां और पत्नी के अलावा बेटा जसमीत इन्सां, बेटियां अमरप्रीत इन्सां व चरणप्रीत इन्सां के अलावा उनके दो दामाद और मुंह बोली बेटी हनीप्रीत शामिल हैं। राम रहीम के परिवार को डेरा में शाही परिवार के नाम से जाना जाता है और उनके पारिवारिक सदस्यों की डेरा परिसर में कोठियां बनी हुई हैं। जबसे डेरा प्रमुख को सजा हुई है और वे जेल में हैं तब से लेकर अब तक डेरा सच्चा सौदा की तमाम गतिविधियां ठप्प सी पड़ी हैं। व्यवसाय प्रतिष्ठान तो बंद हैं ही वहीं साल में अनेक अवसरों पर होने वाले बड़े सत्संग भी स्थगित ही चल रहे हैं। 

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नियमानुसार कोई भी कैदी मांग सकता है पैरोल: रणजीत सिंह
इस सिलसिले में राज्य के जेल मंत्री चौधरी रणजीत सिंह ने कहा कि जेल के जो नियम हैं उनके अनुसार कोई भी व्यक्ति जेल प्रशासन को पैरोल के लिए आवेदन कर सकता है। उन्होंने बताया कि जेल अधीक्षक को यह अधिकार है कि वे संबंधित जिला प्रशासन और पुलिस अधीक्षक को इस संदर्भ में अपने स्तर पर लिख सकता है कि संबंधित कैदी को पैरोल दिए जाने पर किसी प्रकार की कानून व्यवस्था की किसी प्रकार की दिक्कत पैदा तो नहीं होगी, यदि इस बारे कोई दिक्कत जैसी बात न हो और जेल मैन्यूअल अनुसार पैरोल दी जा सकती हो तो यह हर कैदी का हक है और ऐसा ही नियम डेरा प्रमुख पर भी लागू हो सकता है।

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Content Writer

Manisha rana

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