खर्चीली व कठिन शिक्षा के बावजूद फिजियोथैरेपिस्ट झेल रहे हैं बेरोजगारी की मार: मुदगिल

punjabkesari.in Friday, Jun 04, 2021 - 08:30 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): बेरोजगारी की मार से ग्रस्त फिजियोथेरेपिस्ट चिकित्सक आज देश से बाहर जाकर सेवाएं देने को मजबूर हैं। 4 साल की खर्चीली व कठिन शिक्षा और 6 माह की इंटर्नशिप के बावजूद प्रदेश के यह चिकित्सक काफी परेशान और लाचार आखिर क्यों हैं? इस बारे में आज पंजाब केसरी ने फिजियोथैरेपिस्ट चैप्टर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. आरके मुदगिल से बातचीत की, जिसमें उन्होंने बताया कि हमारे लोकतांत्रिक देश में पूरा सिस्टम लोकतंत्र के हिसाब से चलता है और यही हमारी ताकत है। बार काउंसिल की तरह फिजियोथैरेपी चिकित्सकों को भी अपने प्रतिनिधियों को चुनने का अधिकार होना चाहिए, क्योंकि अधिकारी चुने हुए नुमाइंदों जितना समय नहीं दे सकते और वह हमारी दिक्कतों को भी नहीं समझ सकते। एक फिजियोथेरेपिस्ट ही हमारी मूलभूत समस्याओं और जरूरतों को जान सकता है। इन्हीं मांगों को लेकर हम प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से भी मिले थे। जिनके हस्तक्षेप के बाद फिजियोथैरेपी काउंसिल में कुछ इलेक्ट्रिक मेंबर बनाने का भी फैसला लिया गया है। जिसमें हमारी कुछ हद तक उम्मीदें जगी है।

उन्होंने बताया कि फिजियोथैरेपी काउंसिल के लिए जो एक्ट विधानसभा द्वारा पास किया है, काउंसिल एक्जिस्टेंस में आ गई है। रजिस्ट्रार नियुक्त कर दिए गए हैं। काउंसिल का प्रेसिडेंट सरकार की तरफ से रहेगा। नॉमिनेटिड मेंबर्स के लिए प्रक्रिया चल रही है। हरियाणा के तमाम फिजियोथैरेपी के कॉलेजों के एचओडी को शामिल करके दो-तीन मीटिंग हुई है। कुछ फीस इत्यादि के मुद्दे थे। जिसे सरकार ने कुछ हद तक मान भी लिया है। डेमोक्रेटिक काउंसिल की शुरू से मांग रही है। जिसमें फिजियोथैरेपिस्ट को अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार हो। लेकिन एक्ट के अनुसार काउंसिल में कुछ ही इलेक्ट्रिक यानि वोटिंग द्वारा चुने हुए मेंबर्स रहेंगे। इससे उम्मीद है कि कोई हमारी बात भी रखने वाला होगा। कुछ सुधार आने की उम्मीद है।

डॉ. मुदगिल ने बताया कि फिजियोथैरेपिस्ट 4 साल की बड़ी कठिन पढ़ाई करता है। जिसमें एमबीबीएस के बराबर सभी सब्जेक्ट जैसे मेडिसिन, फार्मा लॉजी, कम्युनिटी मेडिसिन, सर्जरी पैथोलॉजी, फिजियोलॉजी इत्यादि सेम होती है। इस कठिन शिक्षा कोर्स के बाद 6 माह की इंटर्नशिप करवाई जाती है, जोकि फिजियो थैरेपिस्ट के लिए पेड होती है, जबकि एमबीबीएस को इसकी पेमेंट दी जाती है। हम मांग करते हैं कि इंटर्नशिप के लिए अगर दे नहीं सकते तो कुछ ले भी नहीं।

डॉ. मुदगिल ने बताया कि कोरोना से ठीक होने के बाद भी मरीज की मसल्स में वीकनेस, हड्डियों में दर्द, पूरे शरीर में थकान जैसी बहुत सी समस्याएं रहती हैं। जिसके लिए एक्टिव और रजिस्टेंस एक्सरसाइज एक कारगर इलाज है। इसमें फिजियो थैरेपिस्ट एक अच्छी भूमिका निभा सकता है। जिसके लिए हमने मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री को फिजियोथैरेपिस्ट की ऑफिशियल सर्विसिज लेने के लिए एक चि_ी भी लिखी थी। जिससे सरकार को मैनपावर पावर मिलेगी और पेशेंट को फिजियोथैरेपी पद्धति का लाभ मिलेगा। हम इसके लिए सर्विस देने के लिए भी तैयार हैं। 

डॉ. मुदगिल ने बताया कि कॉविड में लोगों की मदद के लिए एचसीएपी की तरफ से पूरे प्रदेश में जिलावाइज तमाम फिजियोथैरेपी चिकित्सकों को शामिल करके एक लिस्ट जारी की गई थी। हमने टेलीकंसल्टेशन की सुविधा भी पेशेंट को दी थी। क्योंकि कॉविड लंगस इंफेक्शन बहुत अधिक होता है। ऑक्सीजन लेवल कम हो जाता है। ऑक्सीजन लेवल को बढ़ाने के लिए किस प्रकार से एक्सरसाइज की जाए, किस प्रकार से लेटा जाए, हमने यूट्यूब पर बहुत से वीडियो बनाकर भी डाली। पर्सनली मैन-टू-मैन कांटेक्ट करके हमने काम किया, लोगों को समझाया कि यह बीमारी भी एक दूसरी बीमारियों की तरह ही है। एहतिहात रख  मजबूती से लडऩे की जरूरत है। समय पर दवाइयां और एक्सरसाइज से ठीक हुआ जा सकता है, जिसके बहुत अच्छे रिजल्ट भी मिले।

डॉ. मुदगिल ने बताया अनिल विज के ट्वीट में जानकारी मिली कि सरकार एक प्रोजेक्ट उमंग शुरू करने जा रही है। जिससे फिजियोथैरेपिस्ट को रोजगार मिलने की उम्मीद है, क्योंकि हरियाणा में फिजियोथैरेपिस्ट सबसे अधिक बेरोजगार है और दूसरे देशों में इनकी डिमांड होने के कारण देश के नौजवान साढ़े 4 साल तक की कठिन मेहनत-कठिन पढ़ाई करके भी बेरोजगार हैं। वह अपनी सेवाएं विदेशों में देने को मजबूर हैं। पिछले 15 साल से सरकार की तरफ से फिजियोथेरेपिस्ट के लिए कोई वैकेंसी नहीं निकाली गई। अब काउंसिल बनने के बाद रोजगार को लेकर कुछ उम्मीद फिजियोथैरेपिस्ट को हुई है। क्योंकि पहले उनकी पैरवी करने वाला कोई नहीं था। अब काउंसिल बनने के बाद प्रदेश में रजिस्ट्रेशन के तहत पूरी गिनती का पता लग पाएगा।


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Content Writer

Shivam

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