चुनावी रण : सत्ता, वर्चस्व व वजूद बचाने की लड़ाई लड़ रहे राजनीतिक दल

punjabkesari.in Sunday, Oct 13, 2019 - 09:39 AM (IST)

चंडीगढ़ (बंसल): विधानसभा के चुनावी रण में राजनीतिक दल सत्ता प्राप्ति, वर्चस्व तथा वजूद बचाए रखने की लड़ाई लड़ते नजर आ रहे हैं। भाजपा अपनी नीतियों को सही ठहराने, कांग्रेस संगठन में बदलाव को सही ठहराने, जजपा प्रदेश के राजनीतिक दलों की पंक्ति में शुमार होने,इनैलो बिखराव के बाद भी अपने वजूद को बचाने तथा लोसुपा,आप व बसपा अपने जनाधार के दावों का सबूत देने की लड़ाई लड़ रही है। इस बार का विधानसभा चुनाव प्रदेश की राजनीति के बदलाव का भी सूचक हो सकता है, क्योंकि अधिकांश नेताओं का भविष्य चुनाव परिणाम पर टिका है।

क्या भाजपा के 75 पार का सपना होगा पूरा?
भाजपा अपने 75 पार के सपने को पूरा करने के लिए एड़ी से लेकर चोटी तक का जोर लगा रही है। यहां तक कि मोदी से लेकर शाह व अन्य केंद्रीय नेता चुनावी प्रचार में उतरे हैं। लोकसभा चुनाव के बाद दूसरे दलों से नेताओं को पार्टी में शामिल करने का सिलसिला अभी तक जारी है।

शायद ही इससे पहले ऐसा नजारा किसी चुनाव में देखने को मिला हो। अगर भाजपा का सपना पूरा होता है तो न केवल भाजपा सतारूढ़ होगी बल्कि इसके बाद प्रदेश की राजनीति नए मायनों के साथ आगे बढ़ेगी। मुख्यमंत्री जहां पूरे प्रदेश में घूमकर अपनी कार्यशैली की दुहाई दे रहे हैं वहीं भाजपा के जाट दिग्गज कै. अभिमन्यु, ओम प्रकाश धनखड़, सुभाष बराला, बीरेन्द्र सिंह की पत्नी प्रेमलता जैसे नेताओं का भविष्य चुनावी परिणाम पर टिका है। 


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Isha

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