एलेनाबाद सीट का उप चुनाव होगा रोचक, सत्ता पक्ष खेलेगा बड़े दाव

punjabkesari.in Tuesday, Sep 28, 2021 - 11:43 AM (IST)

चंडीगढ़(चन्द्र शेखर धरणी): अभय चौटाला ने किसान आंदोलन के समर्थन और कृषि कानूनों के विरोध में विधायक पद से 27 जनवरिकी इस्तीफा दे दिया था। इस्तीफा देने के बाद ऐलनाबाद में तीसरी बार उप चुनाव होगा।हरियाणा की एलेनाबाद सीट का उप चुनाव 30 अक्टूबर को होगा 2 नवंबर को नतीजे आयेगे।ऐलनाबाद का चुनाव रोचक होगा।क्योंकि सत्ता पक्ष भी बड़े दाव खेलेगा।


तीसरी बार ऐलनाबाद में उपचुनाव
सबसे पहले ऐलनाबाद में उप चुनाव 1970 में हुआ था। किसान आंदोलन के समर्थन में ऐलनाबाद के विधायक अभय सिंह चौटाला के इस्तीफा देने के बाद ऐलनाबाद में तीसरी बार उप चुनाव होगा।सबसे पहले ऐलनाबाद में उप चुनाव 1970 में हुआ था। सुप्रीम कोर्ट में 1968 के चुनाव में जीते लाल चंद खोड के चुनाव को चुनौती दी गई थी। इसके बाद हुए उप चुनाव में चौ. ओमप्रकाश चौटाला ने जीत दर्ज की थी। इसके बाद वर्ष 2010 में फिर यहां उप चुनाव हुआ। इस उप चुनाव में अभय सिंह चौटाला ने जीत दर्ज की।

यह उप चुनाव चौ. ओमप्रकाश चौटाला के दो जगह जीतने के बाद यहां से त्यागपत्र देने के कारण हुआ था। तब से लेकर अब तक उन्होंने ही इस हलके का प्रतिनिधित्व किया है। 1977 से 2005 तक यह सीट आरक्षित रही जिसके चलते चौ. देवीलाल परिवार यहां से चुनाव नहीं लड़ पाया वरना सबसे पहले चुनाव में यहां से कांग्रेस की टिकट पर 1967 में प्रताप सिंह चौटाला ने जीत दर्ज की। 1972 में यहां से बृजलाल विजयी रहे थे।हरियाणा की एलेनाबाद सीट का चुनाव 30 अक्टूबर को होगा 2 नवंबर को नतीजे आयेगे।  ऐलनाबाद में अभी से चुनावी बिसात बिछती दिख रही है. हो भी क्यों न, जब ऐलनाबाद में होने वाला चुनाव महज विधानसभा का उपचुनाव नहीं होगा, बल्कि वहां एक बिखरे हुए कुनबे के बीच विरासत की महाभारत जो होने वाली है. मजेदार बात यह है कि चुनाव आयोग ने अभी ऐलनाबाद में उपचुनाव की घोषणा नहीं की है. संभावना है कि ऐलनाबाद विधानसभा चुनाव मई के दूसरे पखवाड़े में हो सकता है.


ऐलनाबाद सीट पर उपचुनाव इंडियन नेशनल लोक दल के इकलौते विधायक अभय सिंह चौटाला के किसान आंदोलन के समर्थन में जनवरी में दिए इस्तीफे से खाली हुई सीट की भरपाई के लिए होगा. जहां अभय सिंह चौटाला फिर से एक बार चुनावी मैदान में ताल ठोकते दिखेंगे. 2019 के विधानसभा चुनाव में भी चौटाला परिवार बिखरा हुआ था, पर परिवार के सदस्य एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़े थे. ऐलनाबाद में अभय सिंह ने बीजेपी प्रत्याशी पवन बेनीवाल को लगभग 12,000 मतों दे हरा कर लगातार तीसरी बार विधायक चुने गए थे। अब पवन बेनीवाल ने कांग्रेस का दामन थाम लिया है।तब तीसरे नंबर पर कांग्रेस पार्टी रही थी और इनेलो से अलग हो कर अजय सिंह चौटाला परिवार द्वारा बनाई गई जननायक जनता पार्टी के प्रत्याशी ओपी सिहाग की जमानत जब्त हो गयी थी. अक्टूबर 2019 में हुए विधानसभा चुनाव के बाद हरियाणा की राजनीति में काफी बदलाव आया है. जेजेपी अब बीजेपी की सहयोगी दल है और राज्य में दोनों दलों की मिली जुली सरकार है. अब बीजेपी और जेजेपी एक दूसरे के खिलाफ चुनाव नहीं लड़ेगी। 

वर्त्तमान में भजपा व जेजेपी गठबंधन में है।अब भजपा के पावन बेनीवाल कांग्रेज़ के संभावित उम्मीदवार हों सकते हैं।यहां से भजपा खुद लड़ती है या जे जे पी को लड़ने के लिए कहती है।इस पर भी बहुत से राजनैतिक समीकरण निर्भर करेंगे।अगर जे जे पी लड़ती है तो क्या भतीजे दिग्विजयसिंह चौटाला चाचा अभय सिंह के सामने मैदान में उतारे जा सकते है।अतीत में जींद उपचुनाव में दिग्विजय चौटाला भले ही खुद न जीत सके हों मगर इनके चुनाव मैदान में उतरने से कांग्रेस के दिग्गज रणदीप सिंह सुरजेवाला के जीत के सभी समीकरण बिगड़ गए थे व भजपा के कृष्ण मिड्डा तब जीते थे।

2019 में किसको कितने वोट मिले
ऐलनाबाद के अंदर पिछले विधानसभा चुनाव में 2019 के अंदर इनेलो के उम्मीदवार अभय सिंह चौटाला को 57055  वोट मिले थे जो कि 37 पॉइंट 86 प्रतिशत बनते हैं। अभय चौटाला का जीत का मार्जन 11922 वोट का रहा था। भाजपा के उम्मीदवार पवन बेनीवाल जो अब कांग्रेस में है 45133 यानी 29 पॉइंट 95% वोट मिले थे। कांग्रेस के भरत सिंह बेनीवाल को 35 383 यानी 23 पॉइंट 48% मत मिले थे। जेजेपी के ऑफिस याद को 6569 यानी 4 पॉइंट 36% मत मिले। बहुजन समाज पार्टी के एडवोकेट है रविंदर बालियान को 1947 यानी 1 पॉइंट 29 प्रतिशत मत मिले थे। 

देवीलाल परिवार का दबदबा
ऐलनाबाद विधानसभा सीट के बारे में कहा जाता है कि इस सीट पर ज्यादातर चौधरी देवी लाल के परिवार या समर्थक व्यक्ति ही जीता है सिरसा जिले की ऐलनाबाद विधानसभा सीट इसलिए भी खास हो जाती है क्योंकि इसी सीट से पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला पहली बार जीतकर विधानसभा में पहुंचे थे। अभय सिंह चौटाला भी इस सीट पर कई पारी खेल चुके हैं ऐसा कहा जाता है कि ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर चौधरी देवी लाल के परिवार के व्यक्तियों का आधिपत्य ज्यादातर रहा है। 1968 और 1991 को छोड़ दिया जाए तो यहां से ज्यादातर इनेलो का विधायक ही बना है अभय सिंह चौटाला को पहली जीत तिरोड़ी विधानसभा से मिली थी लेकिन उसके बाद इन्होंने ऐलनाबाद से चुनाव लड़ने की बात कही थी ऐलनाबाद सीट पर तीन बार विजय हासिल कर चुके अभय चौटाला ने 2009 में पहली बार उपचुनाव लड़ कर खाता खोला था। ऐलनाबाद विधानसभा सीट 1977 में आरक्षित हो गई थी 2005 में यह सीट आरक्षित नहीं रही। जिसके चलते चौधरी देवीलाल परिवार का कोई भी सदस्य या इनका समर्थक चुनाव इस सीट से ज्यादातर जीते हैं। 1977 में भागी राम ने निर्दलीय उम्मीदवार को चुनाव में हराया तथा 1982 ,1987 में दो बार कांग्रेस के उम्मीदवार मनीराम को भागी राम ने फिर हराया। 1991 में कांग्रेस उम्मीदवार मनीराम ने भागी राम के जीत के सिलसिले को तोड़ दिया लेकिन  व वापसी करते हुए भागी राम ने 2006 का चुनाव भी जीता।

कब कब कौन जीता
ऐलनाबाद विधानसभा सीट पर 1970 में आईएमसी के वीरेंद्र सिंह जीते उनका जीत का मार्जन 1632 वोटका रहा 1982 में वीरेंद्र सिंह आईएनएलडी के देशराज से 5806 मतों से जीते। 1987 में एलकेडी के सूबे सिंह आईएमसी के देशराज से जीते। 1991 में आईएमसी के वरिंदर सिंह देशराज से 8844 वोटों से जीते 1996 में वीरेंद्र सिंह एस्से पीके भाग सिंह से 3912 मतों से जीते 2000 के अंदर हुए चुनाव में आईएनएलडी के भाग सिंह आईएमसी के वीरेंद्र सिंह से 6942 मतों से जीते। 2005 में आईएमसी के वीरेंद्र सिंह आईएनएलडी के देशराज सिंह से जीते 2009 में ओम प्रकाश चौटाला आईएमसी के भारत सिंह से 16423 मतों से जीते 2014 में इनेलो के अभय सिंह चौटाला पवन बेनीवाल बीजेपी से 115 39 मतों से जीते तथा 2019 में आईएनएलडी के पवन सिंह चौटाला भाजपा के पवन बेनीवाल से 11922 मतों से जीते।


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

Isha

Recommended News

Related News

static