हर लड़की की ख्वाहिश- संवैधानिक तौर पर शादी की उम्र कम से कम 21 वर्ष हो

punjabkesari.in Tuesday, Aug 10, 2021 - 04:01 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): देश में पहली बार की जा रही लाडो पंचायत के चौथे संस्करण में लड़कियों ने कहा कि सरकार अब किस समय का इंतजार कर रही है, आप लड़कियों की शादी की उम्र पर जनमत संग्रह भी करवा कर देख लीजिए, हर लड़की की ख्वाहिश है कि शादी की उम्र कम से कम संवैधानिक तौर पर 21 वर्ष हो। 18 जुलाई से अब तक चार लाडो पंचायत ऑनलाइन हो चुकी हैं और लगातार आवाज बुलंद हो रही है कि शादी की उम्र बढ़ाने का सबसे उपयुक्त समय यही है। 

लाडो पंचायत के संयोजक सुनील जागलान ने कहा कि लड़की की शादी की उम्र 21 वर्ष होने पर लाडो के एवरेस्ट तय हो सकेंगे, जिसे पाने के लिए वह सामाजिक, आर्थिक तौर पर मजबूती मिलेगी। लाडो पंचायत में संग बात भी खुलकर सामने आ रही है कि शादी के एक साल में ही बच्चा पैदा करने का दबाव बच्चे व लड़की दोनों की सेहत के साथ बहुत बड़ी खिलवाड़ है।

देश के लगभग सभी हिस्सों में सबसे ज्यादा शादी 18 वर्ष की उम्र होते ही कर दी जाती है और उसके 18 महीने में बच्चों का जन्म व मृत्यु दर पर भी सरकार अगर संग्रहण करें तो असल स्थिति का पता चल सकता है। हिसार की लाडो शीतल ने अपनी कविता जिसमें उसने लड़की की शादी की उम्र क्यों 18 से 21 वर्ष की जाए विषय को बहुत बेहतरीन तरीके से सबके सामने रखा जिसकी हर किसी ने तारीफ की।

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अबकी बार लाडो पंचायत में देश भर में काम करने वाली वाली रिपोर्टर निलांजना भौमिक ने कहा कि यह आज के लिए लड़की की जिंदगी के लिए बहुत बड़ा बदलाव होगा यदि सरकार लड़की की शादी की उम्र को बढ़ा दे। इससे पहली तीन लाडो पंचायत में स्त्री रोग विशेषज्ञों से लेकर मनोवैज्ञानिकों ने भी इस पंचायत में भाग लेकर इसके पहलुओं  को बताया और इस बात पर सहमति दी है कि लड़की की शादी की उम्र 21 वर्ष हो।

सुनील जागलान ने बताया कि हम गांवों में जाकर भी लाडो पंचायत कर रहे हैं, जिसमें आज गांव की लड़कियां इस कम उम्र की शादी से मुक्ति पाना चाहती हैं। बैंगलोर की रिसर्च स्कॉलर पूजा जो बैंगलोर में इस मुद्दे पर सेल्फी विद् डॉटर अभियान के साथ कार्य कर रही है। उन्होंने बताया कि देवांगा बिंदु समाज की लड़कियों पर मैंने रिसर्च किया तो पता चला कि कम उम्र की शादी वाली सभी लड़कियां मां बन गई है और उनकी सेहत सही नहीं है।

इसके अलावा उन्हें लगता है कि लड़कियों का जीवन यही होता है कि वो शादी करें, बच्चा करें और घर का काम करें। लाडो पंचायत में उतर भारत के अलावा दक्षिण भारत से भी लड़कियां जुड़ कर सुर मिला रही हैं। सुनील जागलान ने कहा कि लाडो पंचायत भारत की इकलौती ऐसी पंचायत है, जिसमें मगर क्षेत्र धर्म जाति की लड़की अपनी आवाज बुलंद कर रही है। गौरतलब है कि महिला अधिकार की आवाज एक दशक से बुलंद करने वाले सुनील जागलान ने देश को काफी अभियान दिए हैं, जिन्हें केन्द्र व राज्य सरकारों ने भी अपनाया है।
 

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Content Writer

Shivam

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