Exclusive: पंजाब के निकट होने के कारण उनका क्षेत्र बुरी तरह नशे की चपेट में है: नापा

punjabkesari.in Saturday, Nov 09, 2019 - 05:03 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी): विधानसभा चुनाव के दौरान रतिया में पहली बार कमल का फूल खिलने पर इस बार रतिया क्षेत्र के लोगों को विशेष उम्मीदें हैं। भाजपा के विधायक लक्ष्मण नापा का कहना है कि पंजाब के निकट होने के कारण उनका क्षेत्र नशे की बुरी तरह चपेट में है। उनके क्षेत्र में बढ़ते नशे के व्यापार पर ब्रेक लगाना अत्यंत जरूरी है। पहली बार विधायक बन सदन में पहुंचे नापा नशे को लेकर चिंतित हैं। नापा का कहना है कि सी एम मनोहरलाल ने नशे के खिलाफ कार्यवाही के लिए एस आई टी गठित करने की बात की है।

रतिया के इतिहास में पहली बार भाजपा का विधायक बना है, बल्कि शिक्षित व ग्रामीण स्तर से जुड़ा व्यक्तित्व भी विधानसभा में पहुंचा है। उल्लेखनीय है कि रतिया विधानसभा क्षेत्र जब से ही अपने अस्तित्व में आया है, तब से रतिया से कभी भी भाजपा को नेतृत्व करने का मौका नहीं मिला है। हालांकि गठबंधन के तहत रतिया विधानसभा क्षेत्र से इनेलो व हविपा को ही नेतृत्व मिला है, लेकिन अपने स्तर पर भाजपा ने कभी भी यहां से परचम नहीं फहराया है।

रतिया विधानसभा क्षेत्र हमेशा ही इनेलो का गढ़ माना गया है, मगर देश में मोदी लहर के पश्चात जहां लोकसभा चुनाव में सांसद सुनीता दुग्गल को इनेलो के इस गढ़ से भारी भरकम बढ़त मिली थी, वहीं विधानसभा चुनाव में भाजपा प्रत्याशी कांग्रेस प्रत्याशी जरनैल सिंह को कड़ी टक्कर देते हुए मात्र 1216 मतों से ही विजयी हुए हैं। भले ही इस बार विधानसभा में भाजपा को पहुंचने के लिए जजपा व आजाद प्रत्याशियों को समर्थन लेना पड़ा है। चर्चा है नापा को मंत्री बनाया जा सकता है।

एक बार ही बन पाया है मंत्री
रतिया विधानसभा क्षेत्र में हुए अनेक चुनाव के दौरान मात्र एक बार ही हविपा-भाजपा से संबंधित चुने गए विधायक राम स्वरूप रामा को ही राज्य खेल मंत्री का दर्जा दिया गया था, जबकि इससे पहले चुने गए विधायकों में शामिल पीर चंद, आत्मा सिंह गिल व जरनैल सिंह को मात्र विभिन्न बोर्डों का चेयरमैन ही बनाया गया है।

कौन-कौन रहे रतिया के विधायक
रतिया विधानसभा क्षेत्र पहली बार 1977 में ही अपने अस्तित्व में आया और इस सीट से पीर चंद पहली बार जनत पार्टी की तरफ से विधायक चुने गए। 1982 में नेकी राम बड़े कम वोटों के अंतर से कांग्रेस के विधायक बने। 1987 में लोकदल पार्टी की तरफ से आत्मा सिंह गिल विधायक बने। 1991 में हविपा की तरफ से पीर चंद, 1996 में हविपा की तरफ से राम स्वरूप रामा, 2000 में इनैलो की तरफ से जरनैल सिंह, 2005 व 2009 में लगातार 2 बार इनैलो की तरफ से ज्ञान चंद ओढ़ विधायक बने। ज्ञान चंद ओढ़ के आकस्मिक निधन के पश्चात 2011 में हुए उप चुनाव में कांग्रेस की तरफ जरनैल सिंह विधायक बने। 2014 में हुए चुनाव में इनैलो की तरफ से प्रो. रविन्द्र बलियाला विधायक बने।

भाजपा विधायक के लिए होंगी अनेक चुनौतियां
रतिया में पहली बार भाजपा का नेतृत्व करने वाले विधायक लक्ष्मण नापा के समक्ष क्षेत्र के विकास को लेकर अनेक चुनौतियां होंगी। प्रमुख चुनौती में घग्गर के दूषित पानी के अलावा शहर में नहरी पानी की सप्लाई देना प्रमुख होगा। इसके अलावा क्षेत्र में फैल रहे नशे को रोकने के लिए विशेष कानून स्थापित करवाना और मुख्यमंत्री द्वारा पिछले सदन के तहत रतिया के सरकारी अस्पताल में नशे से पीड़ित युवाओं को मुख्य धारा से जोडऩे हेतु खोले जाने वाले ओ.एस.टी. सैंटर की स्थापना करवाना भी प्रमुख होगा।

क्या कहते हैं नवनिर्वाचित विधायक
विधानसभा में शपथ लेने के पश्चात विधायक लक्षमण नापा ने संवाददाता से रू-ब-रू होते हुए कहा कि जिस तरह रतिया क्षेत्र की जनता ने उन्हें विश्वास के साथ विधानसभा में भेजा है, उसी विश्वास के तहत वह क्षेत्र के विकास के लिए हमेशा तत्पर रहेंगे और प्रत्येक समस्या को मुख्यमंत्री के समक्ष रखकर उसका समाधान भी करवाएंगे।


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Shivam

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