स्पोर्ट्स इंजरीस व एसीएल की एडवांस सर्जरी प्रणाली की सुविधा अब हरियाणा के सरकारी अस्पताल भी पीछे नहीं: डॉ बल

punjabkesari.in Tuesday, May 10, 2022 - 04:01 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी):  आमतौर पर तेजी से दौड़ते हुए दिशा बदलने-अचानक रुकने, कूदते समय ठीक से पैर ना रख पाने या किसी खिलाड़ी से सीधी टक्कराने के चलते स्पोर्ट्स इंजरीस व एसीएल (एंटीरियर क्रूसिएट लिगामेंट) जैसी परेशानी से पीड़ित खिलाड़ियों के लिए एक बेहद अच्छी खबर है। अब उन्हें हरियाणा के सरकारी हॉस्पिटलस  में बेहद अत्याधुनिक मशीनों से बेहद कम खर्च में ऐसी सर्जरी मिलेगी, जिससे न केवल वह अगले ही दिन चल-फिर सकेगें, साथ ही वह बहुत जल्द सामान्य स्थिति में लौट फिर से खेल पाएंगे। शायद यह आपको कुछ अचरज भरा लग रहा होगा, लेकिन ऐसा ही पंचकूला सेक्टर 6 के ऑर्थो सर्जन डॉ गुरविंदर बल ने कर दिखाया है। दरअसल एनएसजी में पीटीआई (फिजी इंस्ट्रक्टर) के पद पर कार्यरत कमांडो अरुण कुमार को बॉस्केटबॉल खेलते वक्त झटका लगने से एसीएल की प्रॉब्लम हो गई थी। लेकिन ज्यादा ध्यान ना देने के कारण लगातार दर्द बढ़ता गया। कई चिकित्सकों द्वारा उन्हें अलग-अलग तरह की दवा व करीम की सलाह दी गई। लेकिन आराम नहीं आया। इस माह हरियाणा पुलिस को ट्रेनिंग देने के कार्यक्रम के दौरान अस्पताल के कर्मचारी सुनील ने डॉक्टर बल से मिलने की सलाह दी तो अस्पताल में पहुंचने पर डॉक्टर बल ने उनके एमआरआई समेत कई टेस्ट  करवाए। जिसमें लेग हड्डी (टिबिया) में काफी दिक्कत पाई गई। अरुण ने बताया कि वह स्पोर्ट्स टीम के बेस्ट रनर है और इस परेशानी के बाद वह काफी डरे हुए थे कि पहले जैसे खेल पाऊंगा या नहीं। लेकिन डॉ बल द्वारा अच्छे से समझाने और भरोसा दिलवाने के बाद काफी पॉजिटिव हुआ और इस सर्जरी के बाद काफी अच्छा महसूस कर रहा हूं।


इस महत्वपूर्ण विषय को लेकर डॉ बल(पंचकुला) ने जानकारी देते हुए बताया कि अरुण नाम का यह पेशेंट काफी परेशान था।लेकिन पंचकूला के सामान्य अस्पताल ऑर्थोपेडिक्स विभाग में बेहद हाईटेक ऑर्थोस्कोपी मशीन आ चुकी है। जिसमें बहुत शानदार कैमरे की सुविधा है। अच्छे इंस्ट्रूमेंट हैं और यह स्पोर्ट्स इंजरी के लिए बहुत अच्छा समाधान है। हम खिलाड़ियों को अच्छा इलाज दे सकते हैं। यहां बेहतरीन आईसीयू, प्राइवेट रूम्स इत्यादि की अच्छी सुविधाएं प्रदेश सरकार ने दी हुई हैं। यह सर्जरी बेहद शॉर्ट डे सर्जरी है। इसमें अधिकतर मरीजों को अगले ही दिन छुट्टी दे दी जाती है। प्रदेश के मुख्यमंत्री द्वारा मुफ्त इलाज योजना है। यहां बेहतरीन आईसीयू, प्राइवेट रूम बिल्कुल निशुल्क है। अच्छी कंपनी के इमप्लांट का खर्च आता है। बाहर के कॉर्पोरेट अस्पतालों से मात्र एक चौथाई खर्च में यहां इलाज करवाया जा सकता है। इस सर्जरी के रिजल्ट काफी बेहतर है। रिकवरी रेट फास्ट है और पेशेंट को दर्द भी कम होता है। पहले एसीएल में एथीबांड के इस्तेमाल से फिक्स कर दिया जाता था। पहले सर्जरी के फेल होने के ज्यादा चांस रहते थे। जिससे स्पोर्ट्स पर्सन की लाइफ पर नकारात्मक असर होता था। अस्पताल में बहुत कुछ इंप्रूव किया जा रहा है। आईसीयू में बाहर के व्यक्ति की एंट्री पर बेहद सख्ती है। यहां बेहद काबिल चिकित्सक, बहुत काबिल टीम, फेरियो थैरेपिस्ट, डाइटिशियन, आईसीयू इंचार्ज डॉक्टर, ऑर्थोपेडिक्स के सीनियर सभी मिलकर पेशेंट को काफी अच्छी सेवाएं देते हैं।


डॉ बल ने बताया कि जांघ की हड्डी को टिबिया (लेग हड्डी) स्थिरता प्रदान करती है। यह टूट जाने पर इंस्टिबिल्टी बढ़ जाती है। जिससे घुटने खराब होने की संभावनाओं के साथ-साथ कई नुकसान होने के चांस बढ़ जाते हैं। इसलिए इस सर्जरी को स्पोर्ट इंजरी कहा जा सकता है। आमतौर पर यह खेलते वक्त या फिर एक्सीडेंट होने पर इंजरी होती है। हमने टखने से परोनिस लॉन्गस का ग्राफ लेकर लिंगामेंट बनाकर साथ में इंटरनल जोड़ने का एक रिसेस एडवांस सिस्टम का प्रयोग किया और इसमें हमने स्टेबिलिटी दी है। 15 दिन बाद यह अच्छी तरह से चल फिर पाएंगे और 30 दिन में भाग दौड़ सकेंगे। 6 महीने बाद इन्होने जो इंटरनेशनल गेम खेलने के लिए जाना है जा पाएंगे। कुछ दिन तक इन्होंने कुछ सावधानियां अवश्य बरतनी होंगी। इंफेक्शन से बचना होगा। 15 दिन बाद सूचर्स निकाले जाएंगे। मुझे अपनी सर्जरी पर पूरा विश्वास है। अच्छी स्टेबिलिटी और सर्जरी मैंने इन्हें दी है। 15 दिन बाद यह बिल्कुल ठीक हो जाएंगे।


 


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Content Writer

Isha

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