इलाज के लिए राह ताक रहे प्रसिद्ध सारंगी वादक मामन खान, कोई अधिकारी या नेता नहीं ले रहा सुध

punjabkesari.in Sunday, Nov 27, 2022 - 04:07 PM (IST)

चंडीगढ़(चंद्रशेखर धरणी): ट्रेन टू पाकिस्तान फिल्म में सारंगी की धुन देने वाले ख्याति प्राप्त सारंगी वादक मामन खान कहते हैं कि  इस उम्र में  जब सरकार की  जरूरत उनको  पड़ी तो  सारंगी की यह डूबती हुई पुकार क्यों नहीं सुन रही ? यह पुकार जिला प्रशासन, सरकार या किसी नेता तक क्यों नहीं पहुंच रही ? जाने माने लेखक,कवि,कहानीकार,पत्रकार  कमलेश भारतीय भी कहते हैं कि ख्याति प्राप्त सारंगी वादक मामन खान को जिला प्रशासन या सरकार की तरफ से आर्थिक मदद मिलनी चाहिए।

 

प्रसिद्ध सारंगी वादक मामन खान चुपचाप जीवन गुजारते हुए जो देश विदेश में सारंगी वादन की प्रस्तुति दे चुके हैं, लेकिन आज अपने इलाज के लिए पैसे न होने से कातरता से हमें ताक रहे हैं कि कहीं उनकी बात पहुंचाए  और उनकी बात सुनी जाए। जींद के महाराजा के दरबार में खरक पूनिया के सारंगी वादक मामन खान के पितामह और पिता तक सारंगी वादक रहे और यही नहीं सातवीं पीढ़ी से सारंगी वादन करते आ रहे परिवार के राष्ट्रपति पदक विजेता मामन खान अब 83 साल के हो चुके हैं और खरक पूनिया में अपने छोटे से घर में बैठे इलाज के लिए प्रशासन व सरकार की मदद की राह ताक रहे हैं ।

 

मामन खान कहते हैं कि उन्हें  सारंगी वादक ही बनना था क्योंकि मेरे पितामह जींद के दरबार में सारंगी वादक रहे और हमारी सात पीढ़ियां उनके दरबार में रहीं । मेरे पिता तो पिता मां भी सारंगी बजा लेती थीं। अब आठवीं पीढ़ी भी सारंगी वादन करती हैं बल्कि अब तो सारा परिवार ही संगीत के साथ जुड़ा है -राजेश भी फर्स्ट आया है तबला वादन में तो परिवार में कोई नगाड़ा बजाता है ! राकेश हिसार के डीएन कॉलेज में कार्यरत है। मामन खान कहते हैं कि सारंगी वादन की प्रथम  प्रस्तुति नारनौंद  के निकट मोठ गांव वाले सांगी रामकिशन व्यास के साथ दी। सारंगी यात्रा का जिक्र करते हुए कहते हैं कि उन्हें हरियाणा लोकसम्पर्क विभाग में नौकरी मिल गयी । कमल तिवारी के पास रहा चंडीगढ़ और उनका खूब प्यार मिला । इस तरह वह नीविया , सीरिया , दुबई, दिल्ली , चंडीगढ़ और मोरक्को तक सारंगी वादन कर पाया ! यहां तक कि धनबाद में भी छह सात साल रहे।

एक संदूक में उनको मिले  पदक व सम्मान पत्र रखे हुए है।राष्ट्रपति पदक और पच्चीस हजार की राशि । हरियाणा सरकार से ताम्रपत्र और इक्कीस हजार की राशि ! इनके अतिरिक्त भी सम्मान होते रहे । नारनौंद के रामकिशन व्यास और दूसरे चंद्रावली के साथ भी उन्होंने काम किया।

अनूप लाठर के हरियाणवी आर्केस्ट्रा में भी पहली प्रस्तुति टैगोर थियेटर ,चंडीगढ़ में दी थी जिसमें मैं भी शामिल था और यह अनूठी देन है हरियाणवी संगीत को अनूप लाठर की।  दादा लखमी फिल्म  यशपाल शर्मा ने बनाई है। सूर्य कवि पर फिल्म बनाना सराहनीय कार्य है। 

 

(हरियाणा की खबरें टेलीग्राम पर भी, बस यहां क्लिक करें या फिर टेलीग्राम पर Punjab Kesari Haryana सर्च करें।)  


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Editor

Ajay Kumar Sharma

Recommended News

Related News

static