संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर किसानों, कर्मचारियों व मजदूरों ने किया विरोध प्रदर्शन
punjabkesari.in Monday, Dec 14, 2020 - 05:04 PM (IST)
फरीदाबाद (सूरजमल): संयुक्त किसान मोर्चा के राष्ट्रव्यापी आह्वान पर सोमवार को कर्मचारियों, किसानों व मजदूरों ने डीसी ऑफिस पर सामूहिक धरना दिया और सरकार की हठधर्मिता के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। धरने प्रदर्शन में शामिल होने से पहले कर्मचारी व मजदूर ओपन एयर थियेटर में एकत्रित हुए और सभा का आयोजन किया। करीब एक बजे सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा, वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, जिला प्रधान अशोक कुमार व सचिव बलबीर सिंह बालगुहेर ओर सीटू के जिला प्रधान निरंतर पराशर व महासचिव लालबाबू शर्मा के नेतृत्व में हजारों कर्मचारी व मजदूर केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ जुलूस की शक्ल में नारेबाजी करते हुए डीसी आफिस पर किसानों के धरने में शामिल हुए।
धरने प्रदर्शन में किसान संघर्ष समिति से अमर सिंह मलिक, किसान संघर्ष समिति नहर पार के संयोजक सतपाल नरवत, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष नवल सिंह किसान यूनियन से बबलू हुड्डा, किशन चहल व धर्मपाल चहल के नेतृत्व में सैकड़ों की संख्या में किसानों ने भी भाग लिया। धरने पर कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण चल रहे किसान आंदोलन को टुकड़े-टुकड़े गैंग, खालिस्तानी, चीन व पाकिस्तान समर्थित आंदोलन बताकर बदनाम करने की घोर निन्दा की ओर केन्द्र व राज्य सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए जोरदार प्रर्दशन किया।
धरने पर सर्व सम्मति से पारित किए गए प्रस्ताव में तीन कृषि कानूनों व बिजली संशोधन बिल 2020 को रद्द करने,नया कानून बनाकर किसानों को सी-2 फार्मूले के अनुसार एमएसपी की गारंटी देने, किसानों का कर्जा माफ करने, आंदोलन में शहीद हुए किसानों को एक करोड़ रुपए मुआवजा और परिवार के एक सदस्य को स्थाई नौकरी देने और किसानों पर दर्ज झुठे मुकदमों की वापस लेने की मांग की गई। धरने के बाद किसान, मजदूर व कर्मचारियों ने डीसी की गैर मौजूदगी में एडीसी को ज्ञापन सौंपा।
सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व वरिष्ठ उपाध्यक्ष नरेश कुमार शास्त्री, किसान संधर्ष समिति नहर पार के संयोजक सतपाल नरवत, अखिल भारतीय किसान सभा के जिलाध्यक्ष नवल सिंह, किसान यूनियन से बबलू हुड्डा व धर्मपाल चहल,किशन चहल आदि ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि तीन कृषि कानून व बिजली संशोधन बिल 2020 किसानों के लिए डेथ वारंट है। उन्होंने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने कारपोरेट घरानों को फायदा पहुंचाने के लिए कोरोना महामारी से संसद सत्र बुलाकर जबरन तीन कृषि कानूनों बनाने का काम किया है। कारपोरेट घरानों के प्रति प्रतिबद्धता के कारण 19 दिन से किसानों के चल रहे ऐतिहासिक आंदोलन के बावजूद केन्द्र सरकार हठधर्मिता पर अड़ी हुई है।
उन्होंने कहा कि सरकार आंदोलन को लंबा करके पिटना चाहती है लेकिन सरकार को इसमें निराश ही होना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि सरकार कोरोना को अवसर में बदलकर सार्वजनिक क्षेत्र के उपकमों एवं जन सेवाओं का निजीकरण कर रही है। उन्होंने कहा कि जितना लंबा आंदोलन चलेगा उतना ही सरकार को नुक्सान उठाना पड़ेगा। धरने में अपने आकाओं को खुश करने के लिए कृषि कानूनों का समर्थन करने वाले सरकारी दलालों को भी आड़े हाथों लिया और उन्हें किसानों का दुश्मन बताया गया। धरने प्रदर्शन को कर्मचारी व मजदूर सुनील चिंडालिया, नेता बीरेंद्र सिंह डंगवाल, युद्धवीर सिंह खत्री, शब्बीर अहमद गनी, गुरचरण सिंह खाडिया,अतर सिंह केशवाल,राजबेल देसवाल, खुर्शिद अहमद, धर्मबीर वैष्णव, करतार सिंह, जगदीश चंद्र, विजय झा,औम प्रकाश,केपी सिंह आदि ने संबोधित किया।
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