SC की कमेटी के सुझाव को किसानों ने नकारा, बोले- कमेटी में कानूनों के पक्षधर, सरकार चल रही चाल

punjabkesari.in Wednesday, Jan 13, 2021 - 09:01 AM (IST)

सोनीपत : कृषि कानूनों पर रोक और कमेटी बनाए जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले को किसानों ने सिरे से नकार दिया है। हालांकि किसानों ने सर्वोच्च अदालत की ओर से आंदोलन के हक में दिए गए फैसले का स्वागत किया, लेकिन कमेटी के बारे में स्पष्ट कर दिया कि वे इसमें शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि किसान पहले से जानते थे कि अब सरकार अपना पल्ला झाडऩे के लिए कोई नया बहाना तैयार करेगी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद यहां कुंडली बॉर्डर पर मीडिया से बात करते हुए संयुक्त मोर्चा के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल, दर्शन पाल, जगमोहन सिंह, जगजीत सिंह दल्लेवाल और प्रेम सिंह पंघू आदि ने कहा कि अचरज की बात यह है कि सरकार ने कमेटी के लिए 4 नाम दिए हैं, जो पहले से ही इन कानूनों के समर्थक रहे हैं। सैंकड़ों लेख इन चारों सदस्यों के विभिन्न अखबारों में कानून की प्रशंसा के बारे में छपे हुए हैं। ऐसे में भला ये कैसे किसान के हित में सोच सकते हैं। दूसरा जब किसान ने कमेटी का कोई प्रस्ताव रखा ही नहीं है, तो इसका कोई औचित्य ही नहीं बनता है।

किसान नेताओं ने कहा कि वे सुप्रीम कोर्ट में गए ही नहीं थे। यह याचिका सरकार ने दायर की थी। उन्होंने कहा कि जहां तक कानूनों को स्थगित करने का सवाल है, यह कोई समाधान नहीं है। किसानों ने साफ कर रखा है कि वे कानून रद्द करवाना चाहते हैं। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन यथावत जारी रहेगा। किसान नेताओं ने कहा कि 26 जनवरी को ट्रैक्टर परेड को लेकर लोगों को गुमराह करने का प्रयास हो रहा है। हर जगह भ्रम फैलाया जा रहा है कि जैसे दुश्मन देश पर हमला करना चाहते हों। दिल्ली फतेह करने जा रहे हैं, ऐसा कोई इरादा किसानों का नहीं है।

उन्होंने कहा कि लाल किला पर जाने का कार्यक्रम नहीं है और न ही किसान संसद में जाने की कोशिश करेंगे। इस पर 15 की बैठक के बाद तय होगा कि आंदोलन का स्वरूप क्या होगा। शांतिपूर्ण ढंग से जैसे पहले किसान आंदोलन करते रहे हैं, आगे भी इसी तरह चलेगा और शांतिभंग करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। किसानों ने कहा कि 15 जनवरी को बातचीत के लिए जरूर जाएंगे और इसके बाद आंदोलन की अगली रणनीति बनेगी। संभव है कि यह आंदोलन अब और लंबा चले। फिलहाल किसान बुधवार को लोहड़ी पर प्रतियां जला कर विरोध दर्ज करवाएंगे।

इसके बाद 18 को महिला पंचायत और 20 को गुरु गोबिंद सिंह जी का शहीदी दिवस और 23 को नेताजी जयंती पर किसान दिवस के कार्यक्रम हैं। इसके बाद देशभर से आने वाले किसान 26 को एक साथ दिल्ली में ट्रैक्टर परेड करेंगे। इसके अलावा पूरे देश में किसान हित में आंदोलन शुरू हो गया है और इसे व्यापक रूप में फैलाया जाएगा। किसान नेता दल्लेवाल ने कहा कि सरकार की जिस तरह की नीति और नीयत कानून बनाने के समय रही है, ऐसे ही कमेटी के दौरान रही है, जिसको जत्थेबंदियां नहीं मानेंगी। 

सुप्रीम कोर्ट में बची एक पटीशन
किसान नेता प्रेम सिंह पंघू ने बताया कि सुप्रीम कोर्ट में सरकार ने तीन अलग-अलग अर्जियां दी थीं। इनमें से एक सड़क से किसानों को उठाने की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मनाही कर दी और किसानों के धरने को कानूनी रूप से वाजिब ठहराया। दूसरी पटीशन भी सरकार की थी, इसमें कमेटी और कानून स्थगित करने को किसानों ने मानने से इंकार कर दिया है। तीसरी पटीशन अब 26 जनवरी के ट्रैक्टर परेड पर रोक के लिए सरकार ने लगा रखी है। इसमें 8 जत्थेबंदियों को नोटिस प्राप्त हो चुका है। इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट में हम अपना पक्ष रखेंगे और 15 जनवरी की वार्ता के बाद अगले आंदोलन के बारे में बताएंगे।
 


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Manisha rana

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