दोबारा टोल प्लाजा पर किसानों का लौटना सरकार के खिलाफ असंतोष को दर्शाता है : अशोक अरोड़ा

punjabkesari.in Friday, Jan 29, 2021 - 03:56 PM (IST)

चंडीगढ़ (धरणी) : कृषि आंदोलनों को लेकर जहां आए दिन नए-नए हालात सामने आ रहे हैं। 26 तारीख की घटना ने इस आंदोलन पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया है। एक और जहां किसान सरकार को इस षड्यंत्र का हिस्सा बता रहे हैं, वहीं पूरे देश के विभिन्न हिस्सों के लोग इन तथाकथित किसानों के खिलाफ सड़कों पर आने लगे हैं। लेकिन विपक्ष आज भी वहीं के वहीं खड़ा है। सरकार को घेरने की हर जी तोड़ कोशिश में लगा है। कल तक तो विपक्ष पर किसानों को भड़काने तक का आरोप लग रहे थे।

वहीं आज विपक्ष के लोग 26 जनवरी को हुए तिरंगे के अपमान पर किसानों के खिलाफ सख्त एक्शन न लेने पर सरकार पर भी उंगली उठा रहा है। यानि सरकार करे तो मरे, ना करे तो मरे ऐसी स्थिति में फंसी हुई नजर आ रही है। आज इसी कड़ी में पंजाब केसरी ने पूर्व मंत्री एवं वरिष्ठ कांग्रेसी नेता अशोक अरोड़ा से खास मुलाकात की। जिसमें उन्होंने 26 जनवरी प्रकरण की निंदा की और सरकार को दोषी ठहराते हुए तुरंत प्रभाव से गृहमंत्री के इस्तीफे की मांग की। उनसे बातचीत के कुछ अंश आपके सामने प्रस्तुत हैं:-

प्रश्न : किसान आंदोलन को लेकर आज के हालातों के बारे में आप क्या कहेंगे ?
उत्तर :
हमारा अन्नदाता जो गर्मी-सर्दी की परवाह किए बगैर काम करता है। हमारा पेट पालता है। पिछले 2 महीने से वह अपने हकों के लिए सड़कों पर है। जिस तरह से 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस के अवसर पर पूरे देश से लाखों लोग दिल्ली पहुंचे और जिस तरह की घटना लाल किले पर घटी, हम उसकी निंदा करते हैं। लेकिन इसके साथ-साथ किसानों पर मुकदमे बनवाकर सरकार अपनी विफलता को छुपा रही है। पूरी तरह से गृह विभाग इसके लिए जिम्मेदार है। किसान नेताओं के लुकआउट ऑर्डर की बात सुनकर बड़ी हैरानी हो रही है। क्या वह भगोड़े हैं। वह अन्नदाता की मांगों के लिए वहां बैठे हैं। सरकार को अपनी जिद छोड़नी चाहिए। यह अच्छी बात नहीं होती। आज पूरे देश के किसान इकट्ठे हुए हैं। जिस तरह की खबरें आ रही हैं कि पहले से भी ज्यादा जोश से हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब से किसान वहां पहुंच गए हैं।

प्रश्न : क्या जोश का कारण राकेश टिकैत के आंसू है ?
उत्तर :
वह तो असर है ही। सबसे बड़ा असर है कि भाजपा ने जो काम किया कि लोगों को आपस में कैसे लड़ाया जाए। हरियाणा में जहां-जहां टोल बैरियर थे, वहां अपने आदमी भेज कर लड़ाई शुरू करवा दी। इसी प्रकार गाजीपुर बॉर्डर पर वहां के भाजपा विधायक स्वयं जाकर किसानों को पीटने लग गए। इससे किसानों में और ज्यादा गुस्सा बढ़ गया। प्रशासन और सरकार अपना काम करें। परंतु जबरदस्ती बीजेपी के लोग गुंडागर्दी करें, हम इसकी निंदा करते हैं और मांग करते हैं कि ऐसे आदमी जो स्वयं जाकर किसानों को धमका रहे हैं, मार रहे हैं, उनके खिलाफ सरकार को सख्त कार्रवाई करनी चाहिए।

प्रश्न : टोल प्लाजा पर फिर से जमावड़ा लगने शुरू हो गए हैं। क्या कारण मानते हैं ?
उत्तर : 
पूरे 60 दिन से बड़ा शांतिप्रिय आंदोलन चल रहा था। यह देश का ही नहीं बल्कि विश्व का पहला ऐसा आंदोलन था जो बड़ी अच्छी तरह से आयोजित था। पूरी तरह से शांतिप्रिय था। 90 फ़ीसदी लोग तय रूट्स पर गए पर कुछ लोग शरारती भी आंदोलन में घुस जाते हैं या सरकार द्वारा भी प्रायोजित ऐसा कर दिया जाता है। परंतु उसके लिए सारे किसान वर्ग को दोषी ठहराना गलत बात है। उसी का यह नतीजा है कि सरकार ने किसानों को जितना दबाने का प्रयास किया, किसान उतनी तेजी से वही दोबारा जाकर बैठ गए।

प्रश्न : दिल्ली हिंसा और लाल किले पर तिरंगे के अपमान को किस नजर से देखते हैं ?
उत्तर : 
लाल किला हमारे देश की धरोहर है। लाल किले पर झंडा फहराने के लिए हमारे स्वतंत्रता सेनानियों ने लंबे लंबे समय तक जेले जेल काटी, हजारों-लाखों शहीद हुए। तब जाकर देश आजाद हुआ और झंडा फहराने का अधिकार मिला। लाल किले की जो घटना की मैं उसकी निंदा करता हूं। मैं इसमें सरकार का फेलियर देखता हूं। क्या कर रही थी पुलिस, क्या कर रही थी आर्मी। आज वह दुहाई दे रहे हैं। उस समय यह लोग कहां गए थे। जो लोग इस घटना में दोषी हैं। उनके खिलाफ तो कार्रवाई होनी ही चाहिए, इसके साथ ही देश के गृहमंत्री को इसकी जिम्मेदारी लेकर इस्तीफा देना चाहिए।

प्रश्न : संसद का सेशन है। राष्ट्रपति के अभिभाषण को न सुने जाना, उसका विरोध करना, क्या यह लोकतंत्र के लिए अच्छा है ?
उत्तर : 
लोकतंत्र में सबको अधिकार है। राष्ट्रपति ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या में कहा था कि कृषि बिल अच्छे हैं, देश के हित में हैं। विपक्षी पार्टियों का निर्णय अच्छी बात है। विरोध से केंद्र सरकार पर दबाव पड़ेगा और केंद्र सरकार अपनी जिद्द को छोड़ेगी।

प्रश्न : इसके समाधान के लिए बीजेपी और जेजेपी के नेता भी केंद्र सरकार से मिलकर दबाव बना रहे हैं ?
उत्तर :
हरियाणा सरकार की भाजपा और जजपा पूरी तरह से दोषी है। किसान दिल्ली में आंदोलन के लिए जा रहे थे, उनका क्या कसूर था। वह केवल हरियाणा प्रदेश से निकल रहे थे। हरियाणा सरकार के खिलाफ यह आंदोलन नहीं था। हरियाणा सरकार ने जिस प्रकार से वाटर कैनन, आंसू गैस का प्रयोग किया। जिस प्रकार से गड्ढे खोदे गए। तिरंगा हमारी शान है और यह तिरंगे की दुहाई देते हैं। फरीदाबाद में ट्रैक्टर पर लगे तिरंगे को लाठियों से पुलिस ने नीचे गिरा दिया। यह लोग घड़ियाली आंसू बहाने के लिए केंद्र सरकार से मिलते हैं।

प्रश्न : कंडेला में रात को सड़क के ब्लॉक कर दी गई। किसान सड़कों पर आ गए। क्या यह प्रदेश की समृद्धि के लिए अच्छा है ?
उत्तर :
जिस प्रकार से सरकार से भाजपा से जुड़े लोग टोल प्लाजा पर झगड़ा कर रहे हैं। रेवाड़ी, बसताड़ा टोल प्लाजा पर इनके लोग पहुंच गए। यह काम प्रशासन का है। इस बात का जनता में रोष है और यह आंदोलन सरकार के इस सरकार के प्रॉपगंडो से रुकने वाला नहीं है। यह आंदोलन और बड़ा रूप लेगा और आखिरकार इस सरकार को झुकना पड़ेगा और इन बिलों को वापस लेना पड़ेगा।

प्रश्न : अब आपकी सरकार से क्या मांग है ?
उत्तर :
प्रदेश के प्रधानमंत्री जिद छोड़ें, अहंकार छोड़ें। अहंकार तो रावण और दुर्योधन जैसे लोगों का नहीं रहा। अब तो प्रजातंत्र है। प्रजातंत्र में अपनी प्रजा की बात मानने से कोई छोटा नहीं हो जाता। इन तीन बिलों को रद्द करके किसानों से बात करनी चाहिए और अच्छे सुझाव के बाद उन्हें शामिल करके आगे कदम बढ़ाना चाहिए।


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Manisha rana

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