बादल के सरकारी नौकरी वाले बयान को आंदोलनकारी किसानों ने बताया चुनावी जुमला

punjabkesari.in Saturday, Jul 10, 2021 - 07:39 PM (IST)

बहादुरगढ़ (प्रवीण धनखड़): पंजाब के नेता सुखबीर सिंह बादल द्वारा किसान आंदोलन में जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को सरकारी नौकरी देने के बयान को आंदोलनरत किसानों ने चुनावी जुमला करार दिया है। किसानों का कहना है कि किसान अब जागरूक हो गए हैं, अब वह किसी के बहकावे में नहीं आने वाले। किसानों का कहना है कि सुखबीर सिंह बादल सरकारी नौकरी के नाम पर किसानों को लॉलीपॉप दे रहे हैं, पता नहीं कब उनकी सरकार आएगी और कब वह नौकरी देंगे। 

किसानों का कहना है कि जब संसद में कानून पास हो रहे थे तो सुखबीर बादल भी कानून बनवाने में शामिल थे। ढाई महीने पंजाब में आंदोलन चला और अब 7 महीने से ज्यादा दिल्ली की सीमाओं पर किसानों का आंदोलन को हो गए हैं। ऐसे में अब बादल को किसानों की याद आई है। किसानों का कहना है कि किसान अब नेताओं की सियासी चाल समझ गए हैं, वह किसी के बहकावे में नहीं आएंगे। उनका कहना है कि सुखबीर बादल के इस बयान से पंजाब की राजनीति में कोई बदलाव नहीं आएगा। 

 विपक्षी सांसदों को देंगे चेतावनी पत्र
किसान नेता परगट सिंह महासचिव बीकेयू राजेवाल, कुलवंत, जोगेन्द्र नैन प्रधान बीकेयू घासीराम नैन ने संयुक्त रूप से कहा कि किसान 17 जुलाई को देशभर के विपक्षी सांसदों को चेतावनी पत्र देंगे और किसानों के समर्थन में या तो चुप्पी तोडऩे या फिर कुर्सी छोडऩे का आह्वान करेंगे। किसानों का कहना है कि किसान 22 जुलाई को संसद का घेराव करेंगे। विपक्षी सांसदों से किसानों ने मांग की है कि वे संसद के अंदर सरकार का घेराव करें और जब तक संसद चलेगी किसान बाहर से संसद का घेराव करेंगे।

उन्होंने कहा कि कृषि मंत्री बार-बार बातचीत के लिए कहते हैं, लेकिन कोई बुलावा नहीं भेजते। किसान पहले ही सरकार को बातचीत शुरू करवाने के लिए पत्र लिख चुके हैं, लेकिन अब तक सरकार ने बातचीत के लिए किसानों को कोई न्योता नहीं भेजा। किसानों का कहना है कि वह हमेशा टेबल टॉक के लिए तैयार हैं, लेकिन आंदोलन तभी खत्म होगा जब तीनों कृषि कानून रद्द हो जाएंगे।
 

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Content Writer

Shivam

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